अपडेटेड 3 April 2024 at 15:30 IST

AAP के हाथ से फिसलता चुनाव?19 को मतदान, 15 अप्रैल तक तिहाड़ में केजरीवाल, पार्टी की प्रायोरिटी क्या?

दिल्ली में आगे घटनाक्रम बदला तो अरविंद केजरीवाल को CM की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। मसलन AAP के लिए सरकार को बचाना और नया मुख्यमंत्री चुनना प्रायोरिटी होगी।

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अरविंद केजरीवाल | Image: file

Arvind Kejriwal: लोकसभा का चुनाव है, अरविंद केजरीवाल जेल में हैं और मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग है... दिल्ली के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में यही सब कुछ घट रहा है। इसी घटा-बढ़ी में संकट आम आदमी पार्टी पर है, जिसके लिए अभी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जेल से वापसी से ज्यादा अहम अब आगे चुनौती है। 21 मार्च को AAP के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई और इसके बाद से अभी तक वही मुख्यमंत्री पद पर बने हैं। हालांकि सवाल इसके आगे भी बहुत हैं।

मुख्यमंत्री केजरीवाल अड़ चुके हैं कि वो जेल से ही सरकार चलाएंगे। आम आदमी पार्टी के नेताओं के भी सुर यही हैं। 2 अप्रैल को जब अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के आवास पर विधायकों का जमावड़ा लगा तो वहां भी मांग उठी कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए और सीएम पद से वो इस्तीफा ना दें। दिल्ली में AAP के 62 विधायकों में से 55 विधायक बैठक में मौजूद थे। हालांकि अगर केजरीवाल लंबे समय तक जेल में रहते हैं तो दिल्ली में सरकार चलाना शायद ही संभव हो।.

केजरीवाल के जल्द बाहर आने की उम्मीद कितनी?

ये तय है कि AAP संयोजक केजरीवाल 15 दिन तक जेल में रहेंगे ही, क्योंकि अदालत ने उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा है। अगर आम आदमी पार्टी के नेताओं की कतार को देख लिया जाए तो उस बात की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं कि 15 अप्रैल के बाद भी केजरीवाल का जेल से बाहर सकते हैं या देरी होगी। इसे ऐसे समझिए कि मनीष सिसोदिया हों, संजय सिंह या सत्येंद्र जैन... केजरीवाल के बाद आम आदमी पार्टी की कतार में नंबर के हिसाब से खड़े ये नेता अभी तक जेल में हैं।

संजय सिंह को जमानत मिली भी है, तो लगभग 6 महीने वो जेल में गुजार चुके हैं। मनीष सिसोदिया को भी तकरीबन 13 महीने हो चुके हैं, जबकि सत्येंद्र जैन की बात कर लें तो वो करीब 23 महीने से वो जेल में हैं। इसी के समानांतर केजरीवाल को अगर जमानत ना मिली तो लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है।

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क्या जेल से सरकार चलाना संभव है?

वैसे एक मुख्यमंत्री के लिए जेल से सरकार चलाना संभव नहीं है। इसे ऐसे समझिए कि अब केजरीवाल तिहाड़ जेल में आम कैदी की रहेंगे। जेल मैनुअल का पालन करना पड़ेगा, जिसके मुताबिक हरेक चीज का रिकॉर्ड रहेगा। एक मुख्यमंत्री के लिए कैबिनेट बैठक करनी होती है, तो केजरीवाल के लिए संभव नहीं है। सीएम को फाइलों पर साइन करने होते हैं। कैबिनेट बैठक में पास हुए आदेश की फाइल राज्यपाल या उपराज्यपाल के पास जाती है, लेकिन फाइल पर मुख्यमंत्री का साइन जरूरी है। यहां पेच ये है कि जेल के भीतर जब फाइलों को देखा जाएगा तो सरकार की नीतियों की गोपनीयता खत्म हो जाएगी।

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अब AAP के लिए प्रायोरिटी क्या?

केजरीवाल की जल्द जेल से वापसी की संभावनाएं जब कम हो जाएंगी तो आम आदमी पार्टी के लिए दो चुनौतियां सबसे बड़ी होगीं। पहली सरकार बचाना और दूसरी नया मुख्यमंत्री चुनना। वो इसलिए कि दिल्ली के उपराज्यपाल पहले ही कह चुके हैं कि जेल से सरकार नहीं चलने देंगे। इधर, भारतीय जनता पार्टी लगातार दिल्ली के सीएम का इस्तीफा मांग रही है। तेजी से बदले घटनाक्रम के बीच अगर दिल्ली में उपराज्यपाल ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया तो CM पद से केजरीवाल को हटना पड़ सकता है। इस लिहाज से AAP के लिए सरकार को बचाना और नया मुख्यमंत्री चुनना प्रायोरिटी हो जाएगा।

केजरीवाल ने छोड़ा पद तो कौन हो सकता है CM?

अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को उनके संभावित विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा है। जिस तरह वो आगे बढ़कर मोर्चा संभाल रही हैं, मंचों पर नेतृत्व कर रही हैं, उससे संभावनाएं और बढ़ जाती हैं। सुनीता केजरीवाल पूर्व आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी रही हैं। सुनीता के अलावा दिल्ली के कैबिनेट मंत्रियों आतिशी और सौरभ भारद्वाज के नाम की चर्चा है, जो केजरीवाल की अनुपस्थिति में जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। हालांकि अब संजय सिंह भी जेल से बाहर आ रहे हैं तो उनके कंधों पर भी बड़ी जिम्मेदारी रहेगी।

सिर पर चुनाव, मुखिया जेल में?

इधर लोकसभा चुनाव हैं, जिनकी तारीखें घोषित हो चुकी हैं और इसी महीने से वोटिंग शुरू हो जाएगी। 4 जून को नतीजे हैं। चुनावों में AAP दिल्ली-पंजाब से लेकर गोवा और गुजरात तक चुनाव लड़ रही है। हालांकि आम आदमी पार्टी का कोई नेता या कोई ऐसा संगठन है नहीं, जो लोकप्रिय हो, सिवाय अरविंद केजरीवाल के। 19 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव है, अगर केजरीवाल के पक्ष में फैसला आया भी तो चुनाव प्रचार के लिए 4 दिन ही बचेंगे। इस स्थिति में जहां AAP चुनाव लड़ रही है, वहां उम्मीदवारों के लिए कैंपेन का मोर्चा कौन संभालेगा, ये सवाल बरकरार है।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 3 April 2024 at 13:30 IST