अपडेटेड 20 February 2024 at 11:23 IST

राजनीति का कालचक्र... कांग्रेस से मध्य प्रदेश का बदला UP में ले रहे हैं अखिलेश यादव?

मध्य प्रदेश में जिस तरह समाजवादी पार्टी कांग्रेस से सीटें मांगती रह गई, उसी के ठीक उलट परिस्थिति अब उत्तर प्रदेश में है। यहां दबदबा और रुतबा सपा का बड़ा है।

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Akhilesh Yadav and rahul gandhi
अखिलेश यादव और राहुल गांधी | Image: file

Akhilesh Yadav vs Congress : राजनीति वक्त का खेल है और जब वक्त करवट बदलता है तो बाजियां पलट जाती हैं। दबदबा-रुतबा सब कुछ उसी का होता है, जिसके अनुकूल वक्त होता है। आजकल यही वक्त उत्तर प्रदेश में INDI गठबंधन के अंदर समाजवादी पार्टी के अनुकूल दिखाई पड़ता है। जिस तरह से समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के तड़ातड़ फैसले आ रहे हैं, सपा की तरफ से लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की आ रही हैं, इन फैसलों से कतई ये समझा नहीं जा सकता है कि वो INDI गठबंधन का हिस्सा हैं। ये घटनाक्रम कुछ ऐसा ही है, जैसे मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने किया था।

मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव, इसे अभी कुछ ही दिन बीते हैं। नवंबर 2023 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया था और अकेले मैदान में खड़ी हो गई थी। उस वक्त अखिलेश यादव और सपाइयों ने जमकर विरोध किया था, आपत्ति पर आपत्ति जताई थी, अनुरोध किए गए, लेकिन कांग्रेस ने सपा को कतई भाव नहीं दिया। इससे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच भयंकर संग्राम छिड़ा था। सार्वजनिक तौर पर दोनों ही दल आमने-सामने खड़े हो चुके थे, वो भी तब जब कांग्रेस और सपा पहले से ही INDI गठबंधन का हिस्सा थे।

उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस का संख्याबल

इसमें कोई दोराय नहीं है कि उत्तर प्रदेश के अंदर सपा अपना मजबूत वोटबैंक है। उत्तर प्रदेश में खासकर यादव और मुस्लिम वोटबैंक पर समाजवादी पार्टी की पकड़ मजबूत है। राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भी सपा है। 2022 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के खाते में 111 सीटें आई थीं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में 5 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा किया था।

अगर कांग्रेस की स्थिति को समाजवादी पार्टी के मुकाबले रखकर देखा जाए तो सबसे पुरानी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस के हाथ खाली रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में 80 में से महज रायबरेली की सीट कांग्रेस को मिली थी, जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में महज 2 सीटों पर कांग्रेस का खाता खुला था। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश में हैसियत समाजवादी पार्टी की बड़ी हो जाती है और शायद अखिलेश यादव अभी कांग्रेस के साथ 'जैसे को तैसा' व्यवहार कर रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश में लाठी सपा के हाथ

मध्य प्रदेश में जिस तरह समाजवादी पार्टी कांग्रेस से सीटें मांगती रह गई, उसी के ठीक उलट परिस्थिति अब उत्तर प्रदेश में है। अभी कालचक्र बदला है और लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के अंदर समाजवादी पार्टी ने अपनी ताकत और दबदबा दिखाना शुरू कर दिया है। अहम बात ये है कि INDI गठबंधन के तहत सीट फॉर्मूला तय किए ही बिना अखिलेश यादव चुनावी मैदान में अब तक 27 उम्मीदवारों को खड़ा कर चुके हैं। समाजवादी पार्टी की तरफ से सोमवार की दूसरी लिस्ट आई। 11 उम्मीदवार घोषित किए गए। उसके पहले 30 जनवरी को उत्तर प्रदेश की 16 लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित किए थे।

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UP में कांग्रेस को भाव नहीं दे रही सपा

समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवारों को उतारने से पहले कांग्रेस को पूछ भी नहीं रही है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस करीब दो दर्जन सीटों की मांग कर रही है। कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने कहा था कि उनकी पार्टी को करीब दो दर्जन सीट दी जानी चाहिए, जहां 2009 के लोकसभा चुनावों में उसने जीत दर्ज की थी। हालांकि यहां समाजवादी पार्टी इतनी सीटें देना नहीं चाहती है। सपा ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 11 सीट की पेशकश की है।

समाजवादी पार्टी अभी राहुल गांधी की न्याय यात्रा में भी शामिल नहीं हो रही है। अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिए जाने तक उनकी पार्टी राहुल गांधी की न्याय यात्रा में हिस्सा नहीं लेगी। रायबरेली में सपा प्रमुख को यात्रा में शामिल होना था।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 20 February 2024 at 11:12 IST