अपडेटेड 31 May 2024 at 16:45 IST

50 डिग्री का टॉर्चर, 75 दिन और PM मोदी की 'डबल सेंचुरी'...कैसे अकेले मोड़ दिया लोकसभा चुनाव का रुख?

नरेंद्र मोदी ने 75 दिनों में रैलियों और रोड शो समेत कुल 206 चुनावी कार्यक्रम किए। उसके अलावा 80 अलग-अलग अखबारों और मीडिया संस्थानों को उन्होंने इंटरव्यू दिए।

Follow : Google News Icon  
PM Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी | Image: Ani

Narendra Modi election campaign: मई महीने में 50 डिग्री के पार का तापमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी कैंपेन पर कोई असर नहीं डाल पाया। नौतपा के दिनों की भयंकर गर्मी और रूह जलाने वाली गर्म हवाओं के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने अपना प्रचार अभियान कभी रोका नहीं। वो हर दिन लगभग 2-3 कार्यक्रमों का हिस्सा बने। इसी तरह 75 दिनों में नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं की 'डबल सेंचुरी' लगा डाली। खैर, दो महीने से अधिक समय तक भीषण गर्मी में चला प्रचार अभियान पूरे देश में थम चुका है। 1 जून को आखिरी चरण में मतदान है।

16 मार्च 2024 को लोकसभा चुनावों का ऐलान हुआ था। इसके अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी कैंपेन शुरू कर दिया था। 17 मार्च 2024 को उन्होंने आंध्र प्रदेश के पालनाडू में पहली रैली की थी। 30 मई 2024 को पंजाब के होशियारपुर में उनकी आखिरी रैली हुई। लगभग इन 75 दिनों में प्रधानमंत्री ने 200 से अधिक चुनाव प्रचार कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए उनकी रैलियां और रोड शो शामिल हैं।

75 दिन में 206 चुनावी रैली, 80 इंटरव्यू

नरेंद्र मोदी ने कुल 206 चुनावी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। 80 अलग-अलग अखबारों और मीडिया संस्थानों को उन्होंने इंटरव्यू दिए, जिनका चुनाव शुरू होने के बाद से प्रतिदिन औसतन एक से अधिक रहा। राज्यवार देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा 31 रैली कीं। उसके बाद बिहार में 20, महाराष्ट्र में 19 और पश्चिम बंगाल में 18 चुनावी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने 2019 के चुनावों के दौरान लगभग 145 सार्वजनिक कार्यक्रम किए थे। इस बार प्रचार अभियान की अवधि 76 दिनों की थी, जबकि 5 साल पहले हुए चुनावों में ये अवधि 68 दिनों की थी।

कैसे अकेले मोड़ दिया लोकसभा चुनाव का रुख?

रैलियों के मामले में प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग पूरा चुनावी कैंपेन हाईजैक कर लिया था। क्योंकि कांग्रेस का बड़े से बड़ा नेता भी 100 चुनावी कार्यक्रमों के इर्द-गिर्द ही ठहर गया। राहुल गांधी के 107 चुनावी कार्यक्रम रहे तो प्रियंका गांधी 108 सभाएं कर सकीं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 100 रैलियां ही कर पाए। 73 साल की उम्र में नरेंद्र मोदी ना सिर्फ रैलियों की संख्या और तय की गई दूरी के मामले में किसी भी अन्य नेता से आगे थे, बल्कि अपनी पार्टी के लिए सबसे बड़े वोट जुटाने वाले नेता भी बने रहे हैं। जहां उनकी टिप्पणियों की आलोचकों ने आलोचना की और बीजेपी के उत्साही समर्थकों ने उनका स्वागत किया, जिससे चुनाव की दिशा भी तय हुई।

Advertisement

विपक्ष के मुद्दों को बना दिया कैंपेन

अब चाहे मुद्दे हों या जनता के बीच हवा का रुख भांपना हो, नरेंद्र मोदी ने परिस्थितियों को बखूबी अपने अनुकूल बदला।विपक्षियों के हमलों को चुनावी रैलियों के दौरान पीएम मोदी ने अपना मजबूत हथियार बनाया। जाति मतगणना, संपत्ति सर्वे और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों ने जोर पकड़ा तो रैलियों के जरिए नरेंद्र मोदी अपना पक्ष मजबूत करते नजर आए। फिर 'विरासत कर' से लेकर मंगलसूत्र तक नरेंद्र मोदी ने मुद्दों के मामले में बीजेपी को बढ़त दिलाई। 

उसके बाद सैम पित्रोदा की भारतीयों को लेकर नस्लीय टिप्पणी, कांग्रेस शासित राज्यों कर्नाटक और तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा या 'खटाखट से फटाफट और फिर टनाटन' वाला चुटाली अंदाज, प्रधानमंत्री मोदी ने रैलियों के जरिए विपक्ष को जमीन पर घसीटा। आखि में पश्चिम बंगाल का 'OBC सर्टिफिकेट' एक बड़ा मुद्दा नरेंद्र मोदी ने बनाया था। इससे ममता बनर्जी से कांग्रेस तक को बैकफुट पर हटने को मजबूर होना पड़ा।

Advertisement

बहरहाल, उनके धुआंधार प्रचार अभियान की सफलता का पता 4 जून को ही चलेगा, जब चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें: मोदी के 'ध्यान' से पहले देश में सियासी तूफान, ममता ने दी धमकी तो कांग्रेस को सता रहा नुकसान का डर

Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 31 May 2024 at 16:45 IST