अपडेटेड 24 May 2024 at 14:49 IST

दिल्ली की पहली CM बनी थीं मां सुषमा स्वराज,नई दिल्ली से जीत के साथ बांसुरी संभालेंगी सियासी विरासत?

दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी अपनी मां की सियासी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

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late sushma swaraj with daughter bansuri
दिवंगत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बांसुरी स्वराज | Image: x

Sushma Swaraj Daughter Bansuri:  नई दिल्ली सीट से बीजेपी ने बांसुरी स्वराज को मैदान में उतारा है। कैंपेनिंग के दौरान दिखा कि विदेश मंत्री रहीं दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी को सुनने और उनके कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रशंसकों, समर्थकों का हुजूम जुटता है। 400 पार के नारे को बुलंद करती हैं तो कन्विक्शन के साथ। ये आत्मविश्वास ही लोगों का विश्वास बढ़ाता है कि जीत के साथ सफलतापूर्वक बांसुरी मां की विरासत को आगे बढ़ाएंगी।

बीजेपी ने नई दिल्ली सीट से मौजूदा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का टिकट काट कर बांसुरी स्वराज को टिकट थमाया गया था। नोमिनेशन से लेकर रोड शो में उनकी धमक दिखी।

मां की विरासत बेटी बढ़ा रही आगे

सुषमा स्वराज का रसूख और उनका लोगों से सहज कनेक्ट उनकी यूएसपी थी। बेटी भी उसी पथ पर आगे बढ़ रही है। बांसुरी में भी वही जोश, इंटेलिजेंस और वाकपटुता है जिसके कायल सुषमा स्वराज के समर्थक थे। मां की विरासत को सहेजा है और उसी अंदाज में आगे बढ़ रही हैं। सुषमा स्वराज दक्षिणी दिल्ली सीट से 1996 में जीतीं और लोकसभा पहुंची। अटल बिहारी वाजपेई की 13 दिन की सरकार में मंत्री भी रहीं। इसके बाद 1998 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में बंपर जीत हासिल की और पहली महिला सीएम के तौर पर कार्यभार भी संभाला। ये टेन्योर भी छोटा था अक्तूबर में सीएम बनीं और दिसंबर में इस्तीफा दे राष्ट्रीय राजनीति में वापसी कर ली।

मां के साथ बचपन में और बड़े होने पर बांसुरी (सोर्स- सोशल मीडिया)

सुषमा बांसुरी एक सी

दोनों में समानताएं बहुत हैं। दिखने में ही नहीं कर्म में भी। बोलने का अंदाज, विपक्ष पर हमला करने का तरीका और वायदा निभाने की फितरत एक समान ही है। सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री रहते कइयों की रिक्वेस्ट सुनी। एक आवाज पर मदद का हाथ बढ़ाया। कौन भूल सकता है पाकिस्तान में रह रही हिंदू मूक बधिर लड़की गीता को? उसे भारत पूरे हक के साथ बुलाया और डेस्टिनेशन तक पहुंचाने में मदद की। बेटी की बात करें तो वो भी वायदे पूरे करने में माहिर हैं। 2019 में सुषमा स्वराज के निधन बाद बांसुरी ने वचन निभाया। दरअसल, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में कुलभूषण जाधव का केस लड़ने के लिए साल्वे ने सिर्फ 1 रुपये की फीस ली थी।  सुषमा स्वराज ने मौत से कुछ घंटे पहले हरीश साल्वे को फोन कर कहा था कि घर आओ और अपने 1 रुपये की फीस ले जाओ। लेकिन फिर वो नहीं रहीं। कुछ दिन बाद बांसुरी हरीश साल्वे से मिली और उन्हें वो 1 रुपया सौंप दिया जिसका वायदा मां ने किया था।

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पहली बार मुकाबले में वकील बनाम वकील

सोशल मीडिया में बांसुरी की पॉलिटिकल इनिंग की चर्चा जोरों पर है। लोग कह रहे हैं 28 साल बाद दिल्ली की एक सीट पर फिर एक वकील स्वराज बनाम वकील सोमनाथ का मुकाबला होगा। तब सुषमा स्वराज डेब्युटेंट थीं। मतलब लोकसभा सीट के लिए डेब्यू किया था ठीक वैसे ही बांसुरी करने वाली हैं।  तब सुषमा स्वराज ने वकील कपिल सिब्बल को टक्कर दी थी। सीट थी दक्षिणी दिल्ली की।  सिब्बल भी पहली बार लोकसभा सीट के लिए किस्मत आजमा रहे थे।

जब सुषमा ने कहा- मैं भी काले कोट वाली

बांसुरी के जीन्स में ही बेबाकपन और वाकपटुता है। वो भी विरोधियों पर लॉजिकली अटैक करती हैं ठीक वैसे जैसे सुषमा स्वराज करती थीं। 1996 में चुनाव लड़ते हुए जुबानी जंग जबरदस्त चर्चा में रही थी। बात 'कोर्ट रूम में देख लेने' तक पहुंच गई थी। सिब्बल ने सुषमा को ललकारते हुए कोर्ट जाने की धमकी दी थी। इस पर सुषमा ने जो कहा वो सुर्खियों में छा गया। उन्होंने कहा था-  मैं भी काले कोट वाली हूं। इस सीट से स्वराज ने सिब्बल को करारी मात दी थी।

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बीजेपी ने 6 नए चेहरों को उतारा

दिल्ली में छठे चरण में 25 मई को चुनाव हैं। बीजेपी ने लोकसभा की 7 में से 6 सीटों पर नए चेहरों को उतारा है। चांदनी चौक से व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल, नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज, पश्चिमी दिल्ली से पूर्व मेयर कमलजीत सेहरावत, दक्षिण दिल्ली से रामवीर सिंह बिधूड़ी, उत्तर पश्चिमी दिल्ली से योगेंद्र चंदोलिया और पूर्वी दिल्ली से पूर्व मेयर रहे हर्षदीप मल्होत्रा उम्मीदवार हैं।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 24 May 2024 at 14:49 IST