पब्लिश्ड 21:37 IST, June 5th 2024
UP में दो लड़कों की जुगलबंदी और बंगाल में ममता दीदी की मोर्चाबंदी...INDI में कैसे फूंक दी जान?
UP के दो लड़कों की जुगलबंदी और बंगाल में ममता दीदी की मोर्चाबंदी ने अप्रत्याशित को हकीकत में बदल दिया। अब क्या होगा आगे इसे लेकर सियासी चर्चाएं चरम पर हैं।
Lok Sabha Election 2024 Result: यूपी के दो लड़के यानि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस का चेहरा राहुल गांधी की मेहनत का नतीजा सामने है। भले ही इंडी अलायंस का मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल में सूपड़ा साफ हो गया लेकिन जिस तरह उत्तर प्रदेश में रिवाइव किया उसने राजनीतिक पंडितों को भी हैरान कर के रख दिया। ऐसा ही कुछ बंगाल में भी दिखा। जहां पश्चिम बंगाल में सभी समीकरणों से उलट टीएमसी ने बीजेपी को पछाड़ दिया।
यूपी में 80 में से 43 सीटों पर अलायंस का कमाल दिखा। कांग्रेस जो 2019 में मात्र एक सीट पर सिमटी थी वो 2024 में 6 पर पहुंच गई। ये ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। वहीं बंगाल की 42 में से 29 सीट जीत कर टीएमसी ने भी परफेक्ट बल्लेबाजी की। यहां कांग्रेस एक पर सिमट गई जबकि 2019 में दो सीटें मिली थीं। यूपी में कांग्रेस को संजीवनी मिली तो बंगाल में गठबंधन साथी के साथ भी एक पर सिमट गई! इसे लेकर सियासी गुणा भाग का खेल शुरू हो गया है।
यूपी के ये दो लड़के
राहुल गांधी और अखिलेश का कमाल पूरा देश देख रहा है। प्रचार में खुद को खपाने का नतीजा ही था कि यूपी के मतदाताओं ने इन पर भरोसा जताया। सत्ता धारी दल के खिलाफ एंटिकंबेसी को और बढ़ावा दिया, नेगेटिव पब्लिसिटी की, पीडीए कार्ड फेंका, ओबीसी का बिगुल फूंका और मैन टू मैन मार्किंग की, कुल मिलाकर मैनेज बहुत बढ़िया तरीके से किया। मैन टू मैन मार्किंग का ही नतीजा था कि ऐन मौके पर राहुल गांधी ने रायबरेली से पर्चा भरा तो अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को टिकट थमाया।
पोलराइजेशन करने में क्या हुए कामयाब?
चुनाव में कांग्रेस को इंडी अलायंस के तहत 17 लोकसभा सीटें मिलीं। इससे पहले सपा और कांग्रेस के बीच खींचतान भी खूब हुई। इनमें से 6 पर कब्जा जमा लिया। इसमें रायबरेली, अमेठी, इलाहाबाद, बाराबंकी, सहारनपुर और सीतापुर शामिल हैं। राहुल और अखिलेश ने बार बार संविधान को बचाने और यूसीसी को लेकर केंद्र पर हमला बोला। इससे दलित और मुस्लिम वोटरों ने एकजुट होकर मतदान किया। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि बसपा का खाता तक नहीं खुल पाया। सपा के खाते में 37 सीटें आईं, जबकि 33 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी सिमट गई। इस तरह कह सकते हैं कि जातिगत समीकरण को साधने में कामयाब रही ये जोड़ी और इंडी अलायंस के साए तले बड़ा उलटफेर दिखा।
पश्चिम बंगाल में अलायंस मजबूत पर...
एक तरफ यूपी में गठबंधन साथी मजबूत दिखे तो वहीं बंगाल में क्षत्रप तो मजबूत हुआ लेकिन कांग्रेस कमजोर हुई। 13 कैंडिडेट खड़े किए और जीत केवल 1 सीट पर दर्ज करा पाई। सबसे हैरान करने वाला नतीजा बहरामपुर से आया जहां से अधीर रंजन चौधरी अपनी सांसदी गंवा बैठे। उन्हें टीएमसी के फर्स्ट टाइमर और क्रिकेटर युसूफ पठान ने 85022 मतों से हरा दिया।
इंडी अलायंस जहां 234 सीटों के साथ ठीक ठाक पोजिशन पर दिख रहा है तो वहीं बंगाल में दीदी का बढ़ता कद उनके लिए आगे मुश्किल खड़ी कर सकता है। वो पहले भी अपने तेवर दिखाती रही हैं। हाल ही में 1 जून को घटक दलों की बैठक में भी दिल्ली नहीं पहुंची तो सीट शेयरिंग के दौरान भी आंखें दिखा चुकी हैं। उसका ही नतीजा था कि कांग्रेस अलग लड़ी और वो अलग! चुनावी नतीजों से पहले ही कह चुकी थीं कि वो इंडी अलायंस की सरकार बनने पर समर्थन तो करेंगी लेकिन बाहर से।
फिलहाल यूपी के दो लड़कों की धूम है और ममता बनर्जी की मोर्चाबंदी भी सुर्खियों में है, गठबंधन गदगद है लेकिन लॉन्ग रन में क्या ये पेस, ये साथ और ये अग्रेशन बना रहेगा- ये सवाल मौजूं हो गया है। वो भी तब जब 5 जून को इंडी अलायंस मीट में पहुंचने से महाराष्ट्र के साथी उद्धव ठाकरे ने ना कह दी हो!
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अपडेटेड 15:52 IST, June 6th 2024