अपडेटेड 16 January 2024 at 13:01 IST

मायावती का INDI में ना जाना किसके लिए झटका, UP ही नहीं इन राज्यों में BJP को भी रहना होगा सतर्क

लोकसभा चुनावों में BJP हैट्रिक के लिए तैयार है तो INDI गठबंधन चुनौती देने के लिए खड़ा है। ऐसे में बसपा के अकेले लड़ने से राजनीतिक समीकरण पूरे तरह बदल जाते हैं।

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Mayawati Bahujan Samaj party
मायावती | Image: ANI/PTI/@INCIndia

Lok Sabha Elections: बहुजन समाज पार्टी की राजनीति हमेशा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों की रही है। यही इस पार्टी का सबसे बड़ा वोटबैंक रहा है और राजनीतिक ताकत भी। अभी जब उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य में दलितों का एक खासा वोटबैंक है तो बहुजन समाज पार्टी का कलेवर और तेवर पूरे बदल चुके हैं। चुनावों में अपनी ताकत दिखाने के लिए मायावती अकेले मैदान में खड़े होने का ऐलान कर चुकी है, जो INDI गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को भी अब बसपा के तेवरों को देखते हुए एक अलग रणनीति की जरूरत जरूर पड़ेगी।

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, भारत के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण फेरबदल हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी हैट्रिक लगाने को तैयार है तो विपक्ष का नया INDI गठबंधन चुनाव में संघ स्थापित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को चुनौती देने के लिए कमर कस रहा है, लेकिन INDI संग जाने से मायावती साफ इनकार कर गई हैं। ऐसे में राजनीतिक समीकरण पूरे तरह बदल जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में किसका बिगड़ेगा खेल?

मायावती का INDI गठबंधन में ना जाना विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा झटका है और खासकर उत्तर प्रदेश में, जिसे दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने का सबसे जरूरी रास्ता राजनीति में समझा जाता है। बसपा के अकेले मैदान में उतरने से ये साफ हो चुका है कि लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में तो एकदम से त्रिकोणीय होने ही वाला है। ऐसे में विपक्ष के हाथ से उत्तर प्रदेश निकलने की गुंजाइश बढ़ जाती है।

2019 में जब बीजेपी के देशभर में जबरदस्त प्रदर्शन के बावजूद यूपी में बसपा ने 10 सीटें छीन ली तो मायावती की ताकत को हल्के में आंका नहीं जा सकता है। 2019 में मायावती ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (5 सीटें जीतीं) से भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था और बसपा का वोट प्रतिशत भी लगभग 20 फीसदी रहा था। ऐसे में बसपा का कांग्रेस और सपा के साथ ना आना INDI गठबंधन के इरादों पर पानी फेर सकता है।

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2019 के चुनाव नतीजे (यूपी- 80 लोकसभा)

बीजेपी: 62 सीट
बसपा: 10 सीट
सपा: 5 सीट
अपना दल (सोनेलाल): 2 सीट
कांग्रेस: 1 सीट

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और कई राज्यों में बसपा की मौजूदगी

सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी दलित वोटबैंक अच्छी खासी तादाद में हैं। यहां भी बसपा की मौजूदगी है और कई क्षेत्रों में तो पार्टी का ठीक-ठाक जनाधार भी है। हालिया 4 राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव नतीजों को ही देख लिया जाए तो सपा और कई क्षेत्रीय दलों के मुकाबले बसपा के वोटबैंक में बढ़ोतरी रही। भले जीत ना मिली है, लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में दर्जनों सीटों पर तो बसपा ने जबरदस्त मुकाबला लड़ा।

बसपा वोट प्रतिशत (2023 विधानसभा)

मध्य प्रदेश: 3.4 प्रतिशत
छत्तीसगढ़: 2.09 प्रतिशत
राजस्थान: 1.82 प्रतिशत
तेलंगाना: 1.38 प्रतिशत

हर दल के लिए चुनौती होगी बसपा!

ऐसे में तय है कि मायावती का अकेले चुनाव लड़ना हिंदी पट्टी राज्यों में बीजेपी के मुकाबले INDI गठबंधन की टेंशन जरूर रहेगा। हालांकि भारतीय जनता पार्टी को भी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में INDI गठबंधन के साथ-साथ बसपा के मुकाबले के लिए सतर्क रहना होगा।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 16 January 2024 at 11:03 IST