अपडेटेड 12 May 2024 at 14:42 IST

पुरुलिया लोकसभा सीट पर तृणमूल, कांग्रेस और भाजपा के कुर्मी उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

सिद्धो-कान्हो-बिरशा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक देबाशीष घोराई ने कहा कि अधिकांश राजनीतिक दलों ने कुर्मी समुदाय के उम्मीदवारों को ही मैदान में

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Voting for the fourth phase of the Lok Sabha Elections 2024 will take place on May 13
Voting for the fourth phase of the Lok Sabha Elections 2024 will take place on May 13 | Image: PTI/ Representational

पश्चिम बंगाल की पुरुलिया लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा, जहां कुर्मी समुदाय के अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने के लिए संघर्ष करने के बीच औद्योगीकरण की कमी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे चुनाव प्रचार के दौरान हावी हैं। पुरुलिया सीट एक कुर्मी-बहुल क्षेत्र हैं। यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व मंत्री शांतिराम महतो और कांग्रेस के नेपाल महतो के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। ये सभी कुर्मी समुदाय से आते हैं।

भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। अब फिर से कुर्मी समुदाय का समर्थन पाने के लिए पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कुर्मी सुमदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने का एलान किया है। यहां तक कि सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) जैसी छोटे दलों ने भी युवा छात्र नेता सुष्मिता महतो के रूप में कुर्मी समुदाय से ही उम्मीदवार खड़ा किया है।

सिद्धो-कान्हो-बिरशा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक देबाशीष घोराई ने कहा कि अधिकांश राजनीतिक दलों ने कुर्मी समुदाय के उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है। ऐसे में मत बंट सकते हैं, जिससे तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के जीतने की संभावनाएं कम हो सकती है। बहरहाल, नेपाल महतो ने दावा किया कि पुरुलिया में जाति के आधार पर मतदान नहीं होगा बल्कि लोग बुनियादी आजीविका के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।

उन्होंने कहा, ''यदि आप मेरे मामले पर विचार करें। दशकों का राजनीतिक अनुभव रखने वाला भूमिपुत्र होने के नाते मेरी पार्टी ने मुझे चुना। पुरुलिया के लोग भी केंद्र में एक धर्मनिरपेक्ष उदार लोकतांत्रिक सरकार चाहते हैं।'' भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तृणमूल की शासन नीतियों की आलोचना करते हुए उसे भ्रष्टाचार और विकास मुद्दे पर लगातार घेर रही है। भाजपा क्षेत्र का औद्योगिक विकास का वादा करने के साथ-साथ राम मंदिर जैसे भावनात्मक मुद्दों को भुनाकर स्थानीय हिंदू वोट बैंक भी पाने की कोशिश कर रही है क्योंकि पिछले चुनाव में इसी आधार पर पार्टी को जीत मिली थी।

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दूसरी ओर, तृणमूल विकास कार्ड पर भरोसा कर रही है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रघुनाथपुर में 62,000 करोड़ रुपये की औद्योगिक पार्क परियोजना शुरू करने की योजना बना रही हैं। इसके अलावा उन्होंने 'लक्ष्मी भंडार', 'कन्याश्री' और 'सबुजसाथी' जैसी कई सामाजिक कल्याण योजनाओं की पहले ही घोषणा कर दी थी। ज्योतिर्मय सिंह महतो ने जहां तृणमूल पर खोखले वादे करने और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है। वहीं, तृणमूल ने केंद्र सरकार द्वारा वर्षों से बंगाल के साथ कथित भेदभाव का आरोप लगाते हुए पलटवार किया है।

पुरुलिया सीट के बाघमुंडी के मूल निवासी ज्योतिर्मय सिंह महतो ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार ने अपने घोटालों के कारण लोगों का विश्वास खो दिया है। तृणमूल के शांतिराम महतो ने एक अलग राग अलापते हुए कहा, ‘‘तृणमूल सरकार की कई सामाजिक कल्याण परियोजनाओं ने लोगों के मन में गहरी छाप छोड़ी है।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि पुरुलिया में विकास प्रमुख मुद्दा है। यहां बड़ी संख्या में गरीब लोग रहते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार नेपाल महतो ने पुरुलिया में औद्योगीकरण की कमी और रोजगार के अवसरों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया।

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उन्होंने आरोप लगाया कि पेयजल, रोजगार और पर्यटन जैसे मुद्दों को टीएमसी सरकार द्वारा लगातार नजरअंदाज किया गया है, जबकि भाजपा का एकमात्र एजेंडा धार्मिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करना है। नेपाल महतो ने कहा, “भाजपा और टीएमसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं – एक मंदिर की राजनीति और समाज को विभाजित करने पर केंद्रित है और दूसरा गरीबों के लिए दिए गए धन को हड़पने पर केंद्रित है।”

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 12 May 2024 at 14:42 IST