अपडेटेड 21 April 2024 at 19:04 IST

राजपूतों की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा को 'मोदी मैजिक' और विकास के मुद्दे का सहारा

कांग्रेस चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं से वोट मांगने के लिए किसान कल्याण और महंगाई के मुद्दों को उठा रही है। तो BJP को मोदी मैजिक का सहारा है।

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BJP's Rajasthan unit chief CP Joshi | Image: ANI

केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला की टिप्पणी पर राजपूत समुदाय के एक वर्ग के विरोध का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उम्मीद है कि ‘मोदी फैक्टर’ और विकास कार्यों के बूते पर वह राजपूत बहुल चित्तौड़गढ़ सीट पर अपनी जीत बरकरार रख पाएगी।

कांग्रेस चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं से वोट मांगने के लिए किसान कल्याण और महंगाई के मुद्दों को उठा रही है। चित्तौड़गढ़ सीट के लिए 26 अप्रैल को मतदान होगा। भाजपा ने इस सीट पर पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सी.पी. जोशी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना को टिकट दिया है।

चित्तौड़गढ़ से 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव में विजयी रहे जोशी का लक्ष्य जीत की ‘हैट्रिक’ लगाना है और वे अपने कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को गिनवा रहे हैं, जिनमें रेल संपर्क में बढ़ाना, नयी ट्रेन का संचालन और नए राजमार्गों के निर्माण शामिल हैं। जोशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ विकास कार्यों से इस इलाके की तस्वीर बदलने वाली है। मुझे विश्वास है कि चित्तौड़गढ़ के लोग विकास को चुनेंगे।’’

BJP को 'मोदी मैजिक' और विकास के मुद्दे का सहारा

उन्हें उम्मीद हैं कि ‘मोदी फैक्टर’ और निर्वाचन क्षेत्र में किए गए विकास कार्य भाजपा को राजपूत समुदाय में पार्टी के खिलाफ पैदा हुई नकारात्मकता से बचाएंगे। राजपूत समाज के लोग मांग कर रहे हैं कि भाजपा रूपाला को राजकोट लोकसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार नहीं बनाए। रूपाला ने 22 मार्च को राजकोट में एक सभा में कहा था कि पूर्ववर्ती ‘महाराजा’ विदेशी आक्रांताओं और अंग्रेजों के आगे झुक गए थे।

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उन्होंने कहा कि ‘महाराजाओं’ ने अंग्रेजों के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता बनाया। हालांकि रूपाला ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी, लेकिन राजपूतों ने उनकी माफी को स्वीकार नहीं किया। चित्तौड़गढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी उदयलाल आंजना खुद को ‘किसान के बेटे’ के रूप में पेश कर रहे हैं और किसानों के कल्याण के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ आज, संविधान खतरे में है। भाजपा ने संविधान का मजाक बना दिया है। अगर उन्हें 400 से ज्यादा सीट मिलती हैं तो अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा।’’

जोशी ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि भाजपा आरक्षण के खिलाफ नहीं है। जोशी ने कांग्रेस पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। कांग्रेस की कहानी आरक्षित श्रेणियों के कुछ लोगों को प्रभावित करती दिखाई दी। कांग्रेस नेता ने चित्तौड़गढ़ के अफीम किसानों से यह भी वादा किया कि अगर वह जीतेंगे तो वे उनके मुद्दे संसद में उठाएंगे। आंजना ने कहा, ‘‘ मैं अफीम की खेती में भ्रष्टाचार नहीं होने दूंगा। मैं किसानों के हित में नीतियां बनवाने का काम करूंगा। आज किसानों के साथ अन्याय हो रहा है और उनसे बात करने वाला कोई नहीं है।’’

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आदिवासी आरक्षण चित्तौड़गढ़ के लिए बड़ा मुद्दा

पूर्व विधायक बद्री लाल जाट ने कहा कि अधिकांश लोग विकास चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चितौड़ का किला बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन वे चितौड़गढ़ में कुछ ही घंटे बिताते हैं। भाजपा पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए काम करेगी।’’ चित्तौड़गढ़ के गंगरार कस्बे के आदिवासी रामकिशोर मीणा ने कहा, ‘‘ आरक्षण हमारा अधिकार है और चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, कोई भी सरकार इसे वापस नहीं ले सकती।’’

शहर के एक उद्यमी आंचल बोहरा ने बताया कि बहादुरी, वीरता और देशभक्ति की कहानियों के लिए प्रसिद्ध, चित्तौड़गढ़ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सीमेंट उद्योग पर आधारित है। साथ ही संगमरमर और ग्रेनाइट उद्योग भी फलफूल रहे हैं। उन्होंने चित्तौड़गढ़ में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ चित्तौड़गढ़ में सड़क और रेल संपर्क काफी बढ़ गया है, जिसने इसे आर्थिक गलियारे में जगह दी है। मार्बल और ग्रेनाइट उद्योग फलफूल रहा है और नयी सीमेंट फैक्टरियां के आने की संभावना बढ़ रही है जिससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।’’

चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं जिनमें चित्तौड़गढ़ जिले की पांच, उदयपुर जिले की दो और प्रतापगढ़ जिले की एक विधानसभा है। इनमें से छह पर भाजपा, एक पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े निर्दलीय विधायक हैं। चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र में पांच लाख नए मतदाताओं सहित 21 लाख से अधिक मतदाता हैं। इस सीट पर राजपूतों का दबदबा है। उनके बाद वैश्य और ब्राह्मण मतदाताओं का नंबर आता है। ओबीसी, दलित और आदिवासी वोट भी अच्छे खासे हैं।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जोशी ने कांग्रेस उम्मीदवार गोपाल सिंह को हराया था। राजपूत नेता गोपाल सिंह पिछले महीने भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी को उम्मीद है कि इससे उन्हें चुनाव में बढ़त मिलेगी। इस लोकसभा सीट से अब तक कोई भी नेता जीत की ‘हैट्रिक’ नहीं बना सका है, लेकिन पांच नेता- दो कांग्रेस के और तीन भाजपा के, यहां से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं।

कांग्रेस के माणिक्य लाल वर्मा ने 1957 और 1962 में जीत हासिल की, जबकि निर्मला कुमारी शक्तावत ने 1980 और 1984 में जीतीं। भाजपा के जसवंत सिंह ने 1991 और 1996 में, श्रीचंद कृपलानी ने 1999 और 2004 में और जोशी ने 2014 और 2019 में सीट जीती।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 21 April 2024 at 19:04 IST