अपडेटेड 27 March 2024 at 09:32 IST

मेरठ के सांसद का टिकट काट BJP ने अरुण गोविल पर क्यों खेला दांव? जातीय समीकरण में कितना फिट हैं 'राम'

भाजपा ने मेरठ सीट से अरुण गोविल को चुनावी रण में उतारा है। क्या है सियासी समीकरण, क्या बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा?

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Arun Govil
अरुण गोविल | Image: Instagram

लोमस झा

UP Caste Equation: लोकसभा चुनाव नजदीक है और उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर सभी की नजर है। देश का सबसे बड़ा राज्य इस बार ज्यादा दिलचस्प और चुनौती पूर्ण सभी पार्टियों के लिए साबित होने वाला है। यूपी की ही मेरठ लोकसभा सीट पिछले कई सालों से दिलचस्प मुकाबला दिखा रही है। इस बार भाजपा ने सिटिंग सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काट कर जहां अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। दूसरी तरफ कांग्रेस और सपा, आम आदमी पार्टी प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह (इंडी अलायंस)  चुनावी रण में अपना कौशल दिखाएंगे। बसपा ने देव दत्त त्यागी पर भरोसा जताया है।

रामायण सीरियल में भगवान राम के रोल से अरुण गोविल को घर-घर में पहचान मिली। कोविड के समय जब फिर से रामायण को प्रसारित किया गया तो एक बार फिर लोगों ने अरुण गोविल को वही प्यार दिया।

रिकॉर्ड मतों से जीती भाजपा

सराफा बाजार के लिए मशहूर मेरठ पिछले दो चुनावों से लगातार भारतीय जनता पार्टी को भारी जीत दिला रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि मेरठ लोकसभा सीट के साथ हापुड़ का कुछ इलाका भी जुड़ता है। यहां पर कुल विधानसभा के पांच क्षेत्र हैं जिसमें किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण और हापुड़ शामिल है। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो मेरठ की सीट से बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने बड़ी जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर बसपा के हाजी याकूब कुरैशी रहे थे। कांग्रेस ने मेरठ से हरेंद्र अग्रवाल को उतारा था, लेकिन उन्हें मात्र 34,479 वोट मिले थे।

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पलड़ा बीजेपी का भारी

वैसे मेरठ को लेकर एक बड़ा आंकड़ा ये भी है कि 1991 के बाद से यहां से अब तक आठ बार चुनाव हुए हैं, जिसमें छह बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। बीजेपी का लगातार तीन बार जीतने का रिकॉर्ड 1999 में कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना ने तोड़ दिया था। फिर 2004 के चुनाव में बीएसपी ने मोहम्मद शाहिद अखलाक को उतार कर फिर भाजपा को पटखनी देने का काम किया था।

सामाजिक और जातीय समीकरण क्या?

मेरठ को लेकर कहा जाता है कि हिंदू मुस्लिम राजनीति के अलावा यहां पर ब्राह्मण वैश्य और त्यागी समाज के लोग भी अच्छी संख्या में रहते हैं। जाट और गुर्जर की भी भूमिका अहम मानी जाती है। ऐसे में इस बार मेरठ से बीजेपी किसे प्रत्याशी बनती है और इंडिया गठबंधन किस तरह से समीकरण बदलता है, यह देखना दिलचस्प रहेगा।

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वोटर की संख्या वर्ग के हिसाब से--

पहले नंबर पर मुस्लिम

2019 के आंकड़ों के अनुसार, मेरठ लोकसभा क्षेत्र में मुसलमानों की लगभग 5 लाख 64 हजार आबादी रहती है।

दूसरे नंबर पर दलित वोटर

मेरठ लोकसभा क्षेत्र में दूसरे नंबर पर दलित वोटर्स की संख्या है। यहां 3 लाख, 14 हजार 788 वोटर्स जाटव समुदाय से और 58 हजार 700 वोटर्स वाल्मीकि समाज से हैं। एक लाख 18 हजार ब्राह्मण समुदाय के लोग यहां हैं। इसके बाद वैश्य की 1 लाख 83 हजार, त्यागी समुदाय की 41 हजार, 1 लाख 30 हजार जाट और 56 हजार 300 गुर्जरों की आबादी है।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 27 March 2024 at 07:53 IST