अपडेटेड 18 March 2024 at 15:22 IST
लोकसभा चुनाव: कांग्रेस-लेफ्ट के गढ़ घोसी में ओपी राजभर के बेटे अरविंद लगा पाएंगे सेंध?
लोकसभा चुनाव 2024 के आखिरी चरण में घोसी सीट पर वोटिंग होगी। एनडीए ने पत्ते खोल दिए हैं तो विपक्षी खेमे ने चुप्पी साध रखी है।
- चुनाव न्यूज़
- 4 min read

Lok Sabha Election 2024: घोसी में 1 जून को मतदान पड़ेंगे। एनडीए ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है तो विपक्षी गठबंधन अब तक कुछ फैसला नहीं कर पाया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष ओपी राजभर के बेटे अरविंद को मैदान में उतारा गया है। बसपा ने भी अब तक किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं थमाया है जबकि 2019 में उसके दल के ही अतुल राय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 1 लाख से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी।
घोसी उत्तर प्रदेश राज्य के 80 लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। इतिहास भी कम इंट्रेस्टिंग नहीं! लेफ्ट और कांग्रेस ने कई बार अपनी विजय पताका फहराई। वामपंथियों का सिक्का 5 तो कांग्रेस 4 बार विजयी रही।
वामपंथ-कांग्रेस का गढ़
पूर्वांचल में वामपंथ का गढ़ कहा जाता है इस सीट को। वजह भी है। क्योंकि घोसी संसदीय सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का लंबे समय तक दबदबा रहा। 1957 से अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव हुए। जिसमें लेफ्ट 5 तो कांग्रेस को 4 बार जीत हासिल हुई। 1957 के चुनाव में कांग्रेस को पहली जीत मिली थी। कांग्रेस के टिकट पर कल्पनाथ राय 2 बार चुनाव जरूर जीते, लेकिन यहां पर चुनाव जीतने के लिए उनकी अपनी ही छवि ही काफी थी क्योंकि बाद में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भी जीते।
अरविंद क्या लगा पाएंगे सेंध
घोसी का जातीय समीकरण राजभर की उम्मीदवारी को अप्रूव करता है। विभिन्न सर्वे में एक तस्वीर उभरती है जो विभिन्न पार्टियों के खामोश होकर इंतजार वाले खेल को उजागर करती है। दरअसल, इस सीट पर करीब 60,000 राजभर मतदाता हैं। यादवों की संख्या 40 हजार तो चौहान वोटर्स (ओबीसी की नोनिया जाति) की 50 हजार के करीब है तो वहीं मुस्लिम वोटर्स समूह की संख्या 90 हजार बताई जा रही है। इससे पहले के चुनावों में 2004 और 2014 में राजभर कैंडिडेट्स जीते। 2004 में सपा के चंद्रदेव प्रसाद तो 2014 में भाजपा के हरिनारायण राजभर जीते। इस जीत ने बताया कि राजभर कैंडिडेट्स की गुंजाइश है। विभिन्न पिछड़ी जातियों का बिखराव जीत नक्की कर सकता है!
Advertisement
सपा ने विधानसभा चुनाव में ऐसा पत्ता फेंका कि...
2023 में विधानसभा के लिए उपचुनाव हुआ और इस सीट से विपक्षी खेमे के सवर्ण उम्मीदवार सुधाकर सिंह विजयी घोषित हुए। उन्होंने नोनिया समाज से आने वाले ओबीसी दारा सिंह चौहान को शिकस्त दी। इसकी वजह बीजेपी के बेस वोट चौहान का बिखराव रहा। सपा का कोर वोटर यादव और मुसलमान है और उसने एक सामान्य वर्ग के प्रत्याशी पर दांव लगाया। चाल कामयाब रही। 10 उम्मीदवार मैदान में थे इनमें से दारा सिंह समेत 4 नोनिया जाति के। फायदा विपक्षी खेमे को मिला और अगड़ी जाति के सुधाकर सिंह बाजी मार ले गए।
घोसी के बारे में...
घोसी में गरीबी, बेरोजगारी, किसानों की बदहाल स्थिति समेत कई अहम मुद्दे हैं। इसके तहत 5 विधानसभा क्षेत्र -मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद-गोहना, मऊ सदर और रसड़ा है। जिसमें सिर्फ मुहम्मदाबाद-गोहना सीट आरक्षित है। 2019 में बसपा कैंडिडेट अतुल राय यहां से जीते थे। उन्होंने भाजपा के ही हरिनारायण राजभर को हराया था। मतों का अंतर एक लाख से ज्यादा का था।
Advertisement
2014 का जनादेश ऐतिहासिक
2014 में मोदी लहर का भरपूर फायदा भाजपा को मिला था। तब पार्टी के उम्मीदवार हरिनारायण राजभर ने बसपा के दारा सिंह चौहान को हराकर अपनी पार्टी के लिए यहां से खाता खोला। दारा सिंह तब बसपा में थे। 18 उम्मीदवारों के बीच हुई जंग में हरिनारायण को 36.53 फीसदी (3,79,797) वोट मिले थे, जबकि बसपा को 22.49 फीसदी (2,33,782) वोट मिले थे। जबकि चौथे स्थान पर रहे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राजीव कुमार राय को 16.0 फीसदी यानी 1,65,887 वोट मिले थे। तीसरे पुर बाहुबली मुख्तार अंसारी रहा।
Published By : Kiran Rai
पब्लिश्ड 18 March 2024 at 14:37 IST