अपडेटेड 25 May 2024 at 11:03 IST
पूर्वांचल की इन 5 सीटों पर क्या होगी BJP की रणनीति? 2014 में तो जीती लेकिन 2019 में मिली थी शिकस्त
लोकसभा चुनाव के छठे चरण की वोटिंग के बीच बीजेपी के लिए 5 सीटें बेहद अहम है। पूर्वांचल में आजमगढ़, घोसी, गाजीपुर, जौनपुर, और लालगंज लीट पर मिली थी शिकस्त।
- चुनाव न्यूज़
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लोकसभा चुनाव के छठे चरण की वोटिंग में पूर्वांचल की 5 सीटें भारतीय जनता पार्टी के लिए अहम मानी जा रही है। आजमगढ़, घोसी, गाजीपुर, जौनपुर और लालगंज की सीट पर भाजपा ने 2014 में जीत का झंडा गाड़ा तो वहीं 2019 में इन सीटों पर शिकस्त मिली। ऐसे में 2024 में इन सीटों पर फतह करने के लिए बीजेपी की रणनीति क्या है ये समझना होगा।
आजमगढ़ सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। 2019 में इस सीट से अखिलेश यादव को ढ़ाई लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल हुई थी। हालांकि सपा प्रमुख के इस्तीफे के बाद यहां हुए उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार निरहुआ को जीत मिली। हालांकि, वोटों का अंतर काफी कम था।
घोसी सीट
घोसी सीट पर 2019 में बसपा उम्मीदवार अतुल राय ने 1,22,568 वोटों के अंतर के साथ जीत हासिल की थी। वहीं 2024 के चुनाव में बसपा और सपा ने अपने दिग्गजों को उतारा है। बसपा से बालकृष्ण चौहान और सपा से राजीव राय हैं, तो वहीं एनडीए ने सुभासपा के अनिल राजभर को मैदान में उतारा है। बता दें, घोषी में सपा ने सवर्णों का वोट साधने के लिए राजीव राय को मैदान में खड़ा कर दिया है, तो बसपा ने नोनिया वोट साधने के लिए बालकृष्ण को मैदान में उतार दिया। ऐसे में बीजेपी की किस्मत का फैसला जनता के हाथों में है।
गाजीपुर सीट
गाजीपुर सीट पर 2019 में बसपा के अफजाल अंसारी ने बीजेपी के मनोज सिन्हा को हराकर 1,19,392 वोटों से जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस बार इस सीट पर भाजपा ने मनोज सिन्हा के खास पारस नाथ राय को मौदान में उतारा है। एक तरफ मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से यहां उनके नाम की काफी चर्चा है, तो वहीं दूसरी ओर मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सपा को सहानुभूति वोट भी मिलने की उम्मीद की जा रही है।
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जौनपुर सीट
जौनपुर सीट पर 2019 में शिकस्त का सामना करना पड़ा था। बसपा के श्याम सिंह यादव ने यहां से जीत हासिल की थी। हालांकि, बीजेपी ने 1989 से लेकर 2014 तक करीब 4 बार लोकसभा चुनाव में यहां से जीत हासिल की है। इस बार बीजेपी ने कुपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को सामने खड़ा किया है। वहीं बसा ने फिर से श्याम सिंह यादव पर ही दांव खेला है। यूं तो इस सीट पर बसपा और सपा के बीच टक्कर देखी जा सकती है, लेकिन बीजेपी के धनंजय सिंह के आने से उम्मीद जगी है।
लालगंज सीट
लाल गंज में 2014 में बीजेपी ने जीत हासिल की, तो वहीं 2019 में सपा और बसपा ने साथ मिलकर इस सीट को अपने कब्जे में ले लिया। बीजेपी की नीलम सोनकर ने 2014 में जीत हासिल की थी। इसलिए इस बार फिर से बीजेपी ने उन्हें ही इस सीट पर खड़ा किया है। 2019 में बसा उम्मीदवार संगीता आजाद ने बीजेपी को शिकस्त दी थी। हालांकि, इसबार बसपा ने डॉ इंदू चौधरी को मैदान में उतारा और सपा ने दरोगा सरोज की साख दांव पर लगाई है। इस सीट पर करीब ढाई लाख मुस्लिम वोटर्स और 2 लाख के करीब यादव वोटर्स हैं।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 25 May 2024 at 10:05 IST