अपडेटेड 12 April 2024 at 12:27 IST
ना वाजपेयी ना आडवाणी... कौन वो 2 नेता? जिन्होंने 1984 में सबसे पहले भाजपा के लिए खिलाया था कमल
2024 लोकसभा चुनाव में 400 पार का दम भर रही BJP की लोकसभा में एंट्री सिर्फ दो सांसदों से हुई थी। 1984 में BJP ने दो सीटें जीती थीं।
- चुनाव न्यूज़
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Lok Sabha Election 2024: देश में इस वक्त सियासी हलचल तेज है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी रण में कूदी हुई हैं और लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए जान फूंक रही हैं। सत्ताधारी BJP जहां सरकार रिपीट करने के दावे कर रही है तो वहीं कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष BJP को सत्ता से बाहर करने की बात दोहरा रहा है।
बीजेपी 400 पार का दम भर रही है, क्योंकि कहा जा रहा है कि मोदी लहर चल रही है। लगातार दूसरी बार BJP को केंद्र की सत्ता में लाने वाले प्रधानमंंत्री मोदी का टारगेट अब हैट्रिक पर है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि इस वक्त देश में BJP बाकी पार्टियों के मुकाबले काफी मजबूत है, लेकिन क्या आपको पता है कि 1984 के चुनाव में BJP को सिर्फ 2 सीटें ही मिली थीं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ये दो सीटें जिताने वाले न तो अटल बिहारी वाजपेयी थे और न ही लालकृष्ण आडवाणी, तो फिर ये सांसद कौन थे, आइए आपको उनके बारे में बताते हैं।
1984 में इन दो नेताओं ने खोला था BJP का खाता
1980 में स्थापित हुई BJP का इतिहास बेहद खास रहा है। कुछ ही सालों में देश की सबसे पुरानी पार्टी को पीछे छोड़ने वाली BJP की लोकसभा (Lok Sabha) में एंट्री महज दो सांसदों से हुई थी। 1984 में बीजेपी ने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था और सिर्फ 4 साल पुरानी पार्टी होने के बावजूद BJP के दो सांसद बने थे। दरअसल 1984 के दौर में देश में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से सहानुभूति लहर चल रही थी। इसके चलते कांग्रेस ने 404 सीटें जीती थीं। बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी के दो नेता लोकसभा चुनाव जीते और संसद पहुंचे।
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साउथ में चंदुपतला ने खिलाया था कमल
वर्तमान में विपक्षी नेता BJP को नॉर्थ बेल्ट की पार्टी कहते हैं और ये सच भी है कि देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले साउथ में BJP की इतनी पकड़ नहीं है, लेकिन 1984 में BJP ने जो दो सीटें जीतीं थी, उनमें से एक साउथ की थी। दरअसल बीजेपी के चंदुपतला रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के हनमकोंडा से जीत हासिल की थी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को हराया था। वहीं दूसरी सीट गुजरात की मेहसाणा लोकसभा थी, जहां से बीजेपी के एके पटेल चुनाव जीते थे। बता दें कि एके पटेल वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। चंदुपतला का 2022 में 86 साल की उम्र में निधन हो गया था, जबकि एके पटेल 92 साल के हो गए हैं। वो मेहसाणा लोकसभा क्षेत्र से 1984 से 1998 तक 15 साल सांसद रहे हैं।
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हनमकोंडा और मेहसाणा में अब कौन सी पार्टी?
बता दें कि 1984 के बाद BJP ने आंध्र प्रदेश की हनमकोंड सीट गंवा दी थी। 1989 से 1996 तक यहां कांग्रेस का दबदबा रहा, जबकि 1998-99 में इस सीट से तेलुगु देशम पार्टी जीती, लेकिन फिर 2004 में यहां से तेलंगाना राष्ट्र समिति के बी विनोद कुमार जीते, हालांकि भारत के परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद 2008 में इस लोकसभा क्षेत्र को खत्म कर दिया गया। 2009 से इस लोकसभा सीट का ज्यादा हिस्सा वारंगल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत लाया गया। वहीं गुजरात की मेहसाणा सीट की बात करें तो ये फिलहाल BJP के कब्जे में है। वर्तमान में यहां से श्रद्धाबेन पटेल सांसद हैं। 1999 में यहां से कांग्रेस के आत्माराम मगनभाई पटेल ने बाजी मारी थी, लेकिन 2002 में ये फिर BJP के पाले में आ गई, हालांकि 2004 में कांग्रेस ने एक बार फिर मेहसाणा से जीत हासिल की, लेकिन 2009 से अब तक इस पर BJP का कब्जा है।
लगातार बढ़ती गईं BJP की सीटें
कहा जाता है कि 1984 में BJP हिंदुत्व वाली विचारधारा पर नहीं, बल्कि गांधीवादी समाजावद विचारधारा पर लड़ती थी, लेकिन 1989 के चुनाव में BJP ने राम मंदिर के मुद्दे को उठाया और मेनिफेस्टो में इसे प्रमुखता से रखा। राम की लहर बीजेपी को बड़ी सफलता मिली और 1984 में 2 सीटें जीतने वाली ये पार्टी 1989 के चुनाव में सीधे 85 पर पहुंच गई। यानि अपने दूसरे ही चुनाव में BJP की सीटें 43 गुना बढ़ गईं।
1991 में दोबारा चुनाव हुआ और उस दौरान बीजेपी राम मंदिर के निर्माण को लेकर आंदोलन कर रही थी। लिहाजा इस चुनाव में भी बीजेपी का ग्राफ बढ़ा और वो 120 सीटों पर पहुंच गई। 1996 में BJP को 161, 1998-99 में 182 सीटें मिलीं। 2004 और 2009 में ये आंकड़ा कम हुआ, लेकिन 2014 में मोदी फैक्टर की वजह से फिर BJP की बल्ले-बल्ले हुई और पार्टी ने 282 सीटें जीती। 2019 में मोदी लहर का इतना असर दिखा कि BJP 300 पार पहुंत गई और पार्टी 2024 चुनाव में 400 पार का दम भर रही है।
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Published By : DINESH BEDI
पब्लिश्ड 11 April 2024 at 21:36 IST