अपडेटेड 3 February 2024 at 12:43 IST

INDI गठबंधन को कब और कैसे लगा ग्रहण? नीतीश के बाद बाहर निकलने की कतार में और कौन-कौन नेता

INDI गठबंधन को ऐसा ग्रहण लगा है कि सहयोगी पार्टियों में ही जबरदस्त सिर फुटव्वल है। अभी ममता बनर्जी और कांग्रेस में घमासान मचा है।

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INDIA Alliance
विपक्ष का INDI गठबंधन | Image: PTI/File

INDI Alliance News: भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन यानी INDI अलायंस अब खुद में एक सिरदर्द हो गया है। INDI गठबंधन को ऐसा ग्रहण लगा है कि सहयोगी पार्टियों में ही जबरदस्त सिर फुटव्वल और इससे संदेह नहीं, बल्कि यकीन होने लगा है कि विपक्षी गठबंधन में अब एकता बची नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो INDI के सूत्रधार थे, गठबंधन से जा चुके हैं। अभी कई ऐसा नेता और दल INDI गठबंधन में दिखाई पड़ रहे हैं, जिनके तेवरों और तल्खियों को देखकर लगने लगा है कि वो भी बाहर निकलने की कतार में खड़े हो चुके हैं।

पिछले दो लोकसभा चुनावों में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने दम पर कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी पार्टियां हरा नहीं पाई, तो इस बार के चुनावों में ये सारे दल एक साथ खड़े हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का विजयी रथ देशभर में दौड़ रहा है, लेकिन विपक्षी दल बीजेपी के रथ को रोकने की दौड़ में अभी विपक्षी दल आपस में ही एक दूसरे को जमीन पर गिराने में लगे हुए हुए हैं।

इस गठबंधन को ग्रहण कब और कैसे लगा उसे समझने से पहले अभी INDI गठबंधन में बिखराव के हालातों पर नजर डालते हैं।

टीएमसी-कांग्रेस में भयंकर वाक युद्ध!

शुरुआत ताजा घटनाक्रम से कर लेते हैं, जहां पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच छिड़े वाक युद्ध से INDI अलायंस का अस्तित्व खतरे में पड़ने की संभावनाएं और बढ़ चुकी है।

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ममता बनर्जी की टीएमसी और कांग्रेस दोनों ही INDI अलायंस का हिस्सा हैं। बावजूद इसके दोनों दलों के बीच सामंजस्य दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ा है, बल्कि इसके उलट दोनों दल एक दूसरे के लिए ही तलवारें लेकर खड़े हो गए हैं।

ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कांग्रेस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला और चैलेंज कर दिया कि वो यूपी, बनारस, राजस्थान, मध्य प्रदेश में बीजेपी को हराकर दिखाए। ममता बनर्जी को लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के 40 सीट जीतने पर भी संदेश है।

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ममता ने तीखे सवाल दागे तो कांग्रेस पार्टी तिलमिलाने लगी है। टीएमसी मुखिया को तुरंत जवाब देने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश आए और बोल दिया कि ममता बनर्जी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

दोनों में बढ़ती तख्ती के बाद चर्चाएं हैं कि कांग्रेस के रवैये को देखते हुए ममता बनर्जी INDI गठबंधन से बाहर निकल सकती हैं। वो पहले ही बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है।

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अखिलेश यादव की प्रेशर या 'क्विट' पॉलिटिक्स!

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव अपना खेल खेल रहे हैं। वो INDI गठबंधन के सिर माथे अपना PDA फॉर्मूला रखने की कोशिश में हैं, लेकिन अखिलेश के अलावा PDA फॉर्मूले पर गठबंधन के सहयोगी दल बोल तक नहीं रहे हैं।

इसी बीच अखिलेश यादव ने यूपी में अपने कुछ उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। वो भी ऐसे वक्त जब यूपी में कांग्रेस के साथ ही सीट बंटवारे पर सपा का मनमुटाव चल रहा है।

AAP बनाम कांग्रेस?

कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी की खींचतान बनी हुई है। गठबंधन में शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तालमेल बना नहीं है। गाहे-ब-गाहे दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर हमलावर होते रहे हैं। यही नहीं, पंजाब में दोनों दलों में जबरदस्त झगड़ा है। दिल्ली में भी सीट बंटवारे पर मंथन जरूर हुआ है, लेकिन अभी तक दोनों दलों ने सामने ये नहीं रखा है कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा।

सबसे अहम ये है कि हरियाणा में अरविंद केजरीवाल अपने बलबूते चुनाव में खड़े होने की तैयारी कर चुके हैं। पिछले दिनों ही केजरीवाल ने ऐलान किया कि हरियाणा में उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।

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नीतीश कुमार INDI गठबंधन से अलग हुए

पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्होंने सबसे पहले 23 जून 2023 को पटना में सभी दलों को एक साथ इकट्ठा किया, वही इस गठबंधन को छोड़कर जा चुके हैं। नीतीश ने हाल ही में बिहार में महागठबंधन के दलों से अलायंस तोड़ दिया और फिर से बीजेपी के साथ एनडीए में आ गए।

नीतीश कुमार ऐसे नेता है, जिनके आह्वान पर ही सारे दल एक साथ आए और फिर वही खुद सभी को छोड़कर निकल गए। नीतीश INDI गठबंधन से अलग होने वाले पहले नेता हैं।

INDI गठबंधन को कब और कैसे लगा ग्रहण?

INDI गठबंधन को ग्रहण लगने की शुरुआत तो पहली बैठक से ही हो चुकी थी। 23 जून 2023 को पटना में जब पहली बैठक हुई थी तो बीच से ही अरविंद केजरीवाल और एमके स्टालिन समेत कुछ नेता गायब हो गए थे। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये चेहरे ढूंढे नहीं मिले।

फिर 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में जब दूसरी बैठक हुई, तो यहां गठबंधन का नाम पड़ा। इसे इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (INDIA) नाम दिया गया था, लेकिन नीतीश कुमार जैसे नेताओं को गठबंधन के नाम से आपत्ति थी।

अभी जब पिछले दिनों नीतीश कुमार ने गठबंधन को छोड़ा था तो खुद इस बात को स्वीकार किया था।

31 अगस्त-1 सितंबर को मुंबई में तीसरी बैठक बुलाई गई, जहां तय गठबंधन का लोगो और संयोजक का नाम तय होना था। हालांकि मुंबई की बैठक में ना लोगो जारी हुआ और ना ही संयोजक की पहेली सुलझी। इसके उलट जिन लोगों की गठबंधन को लेकर अलग-अलग महत्वाकांक्षाएं रही थीं, पूरी ना होने पर नाराजगी बढ़ने लगी थी।

फिर चौथी बैठक जब दिल्ली में हुई, तो सारा का सारा खेल बदल गया। यहां संयोजक पद और प्रधानमंत्री चेहरे के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम रख दिया गया। इससे नीतीश कुमार भी नाराज हो गए। इसी को INDI गठबंधन से नीतीश के अलग होने की वजह माना जाता है।

फिलहाल केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेता अपने बलबूते चुनावों में खड़े होने की तैयारी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और कांग्रेस पार्टी के बीच छिड़े वाकयुद्ध से INDI अलायंस के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगने लगा है।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 3 February 2024 at 12:35 IST