अपडेटेड 19 February 2024 at 12:49 IST

लोकसभा चुनाव से पहले AAP-INDI को BJP ने दिया जोर का झटका, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कैसे बदला गेम?

चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन कॉन्फिडेंट था लेकिन फिर उसे जोर का झटका भी लग गया। जानें कैसे गेम गया बदल!

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Arvind Kejriwal on Chandigarh Mayor Election
आप के साथ हुआ गेम | Image: ANI/Facebook

Chandigarh Mayor Election News:  चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर आप-इंडी गठबंधन शीर्ष अदालत पहुंच गया। चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का हवाला दे याचिका डाली। कोर्ट ने जो कहा उससे कॉन्फिडेंस भी बढ़ा लेकिन फिर खेल हो गया। आप के 3 पार्षदों ने गेम बदल डाला।

बहुमत का ठीक ठाक आंकड़ा भाजपा के पास है और अगर शीर्ष अदालत फिर से चुनाव कराने का फैसला करती है तो कांग्रेस-आप को मुंह की खानी पड़ेगी। समीकरणों के लिहाज से भाजपा विपक्षी खेमे पर भारी पड़ती दिख रही है।

ऐसे बदला खेल?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले 18 फरवरी की रात को भाजपा मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद भी भाजपा में शामिल हो गए। इस तरह 35 सदस्यीय सदन में भाजपा के पास 18 वोट हो गए हैं। पिछली बार अकाली पार्षद हरदीप सिंह ने भी बीजेपी को वोट दिया था। ऐसे में भाजपा के पास बहुमत का आंकड़ा (19) है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट दोबारा चुनाव कराने के आदेश जारी भी करता है तो बीजेपी की राह आसान होगी।

लोकसभा चुनाव को लेकर था आत्मविश्वास, अब क्या?

विपक्षी गठबंधन मेयर चुनाव को लोकसभा चुनाव से पहले लिट्मस टेस्ट मान रहा था। विश्वास पूरा था कि जीत उनके खाते में जाएगी। आत्मविश्वास में इजाफा होगा और फिर राह आसान हो जाएगी। लेकिन एक बार फिर मिशन 2024 में विजय पताका लहराने का ख्वाब विपक्षी पार्टियों का चूर होता दिख रहा है। वजह उसके अपने लोगों की ही लगातार छिटकना!आप के तीन पूनम देवी, नेहा मुसावत और गुरचरण काला ने पार्टी छोड़ी और तुरंत भाजपा के हो भी गए।  तीनों पार्षद दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए।

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30 जनवरी को क्या हुआ था?

चंडीगढ़ में मेयर का चुनाव 30 जनवरी को हुआ था। सांसद किरण खेर के वोट डालने के बाद वोटों की गिनती शुरू हुई। इसके बाद बीजेपी के पक्ष में 16 वोट पड़े,  कांग्रेस और AAP गठबंधन के पक्ष में 20 वोट पड़े। लेकिन प्रिसाइडिंग ऑफिसर ने कथित रूप से उनके 8 वोट रद्द कर दिए और 16 पार्षदों के समर्थन वाले बीजेपी के जीत का ऐलान कर दिया था। इसके बाद एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह कथित रूप से अवैध करार दिए पार्षदों के वोटों पर निशान लगाते दिखाई दिए हैं। इस आधार पर कांग्रेस ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।  सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चंडीगढ़ प्रशासन को फटकार लगाई और मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को रखी।  पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त रुख अपनाया था और उनकी टिप्पणी के आधार पर कहा जा सकता है कि वो दोबारा चुनाव कराने का आदेश जारी कर सकते हैं। 

Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 19 February 2024 at 12:43 IST