अपडेटेड 4 March 2024 at 06:28 IST

आजादी के बाद देश के पहले आम चुनाव में कैसे हुआ था प्रचार? मतदाताओं तक कैसे पहुंचते थे प्रत्याशी

1951-52 में हुए देश के पहले आम चुनाव में चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया जैसे माध्यम नहीं थे। प्रचार के लिए रैलियां और नुक्कड़ सभाएं होती थी।

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First general election
1952, पहले लोकसभा चुनाव के दौरान जनसंघ का चुनाव अभियान | Image: X

First general election : लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के लिए चुनाव आयोग समेत राजनीतिक दलों (Political party) ने तैयारी जोरों से शुरू करदी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शनिवार को उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी करदी है। बीजेपी ने 195 उम्मीदवारों के नामों के साथ अपनी पहली सूची जारी करते हुए 34 मौजूदा सांसदों के स्थान पर नए चेहरों को मौका दिया है। किसी भी पार्टी की जीत में चुनाव प्रचार अहम भूमिका निभाता है। आजाद भारत में हुए पहले आम चुनाव में भी खूब चुनाव प्रचार हुआ था।

आजाद भारत में पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ है। उस वक्त आज की तरह चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया जैसे माध्यम नहीं थे। पार्टियों और प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार के लिए चुनावी रैलियों और नुक्कड़ सभाओं की मदद लेनी पड़ती थी। नुक्कड़ सभाओं के लिए बाजार के आसपास के लिए इलाकों का चुनाव किया जाता था। इन इलाकों में नेताओं को सुनने वाले लोग आसानी से इकट्ठा हो जाते थे।

चुनाव गाड़ियों का इस्तेमाल

वर्तमान में चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने के लिए पैसा खर्च करने की सीमा तय करदी है। तय सीमा में ही उम्मीदवार को अपना प्रचार प्रसार करना होता है। इसके अलावा चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों के लिए भी अलग से नियम है। 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान में कांग्रेस और जनसंघ ने अपने चुनाव प्रचार में जमकर प्रचार गाड़ियों का इस्तेमाल किया था।

दुर्गम इलाकों में कैसे पहुंचे मतदान कर्मी?

पहले आम चुनाव में पूरे देश में 1,96,084 मतदान केंद्र बनाए किए गए थे। दुर्गम इलाकों में मतदान कर्मियों के पहुंचने में कई चुनौतियां थीं। उस वक्त यातायात के साधन आज जैसे नहीं थे। दुर्गम इलाकों में विशाल रेगिस्तानी क्षेत्र थे, जहां सड़कें नहीं थीं और संचार सुविधाओं का अभाव था। जोधपुर और जैसलमेर जैसे इलाकों में पहुंचने के लिए बड़ी संख्या में ऊंटों का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी का प्रयोग किया गया था।

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पहला चुनाव कितने प्रत्याशियों ने लड़ा?

1952 में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या 1,874 थी, जो 2019 में चार गुना बढ़कर 8,039 तक जा पहुंची है। 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक है। चुनावी मैदान तैयार हो गया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि कितने उम्मीदवार मैदान में होंगे।

1951-52 में कितने मतदाता थे?

भारत की आजादी के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने पहला लोकसभा चुनाव 489 सीटों पर कराया था। चुनाव आयोग को बने बमुश्किल एक ही साल हुआ था। लिहाजा आयोग के सामने तैयारियों के लिए बहुत कम समय था और सामने पहाड़ जैसी कई चुनौतियां थीं। पहले लोकसभा चुनाव में 17 करोड़ 30 लाख मतदाताओं ने 1,874 उम्मीदवारों में से अपने प्रतिनिधियों का चयन किया था। साल 1951-52 में हुआ यह चुनाव दुनिया में हुई सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 3 March 2024 at 16:43 IST