अपडेटेड 8 April 2024 at 13:00 IST

ओवैसी को चुनौती देने वाली BJP उम्मीदवार माधवी लता को थ्रेट, अब IB की रिपोर्ट पर मिली Y+ सिक्योरिटी

माधवी लता फायर ब्रांड नेता हैं जिन्होंने सीधे-सीधे ओवैसी को उनके गढ़ में चुनौती दी है। जान को खतरे की इनपुट के आधार पर उन्हें Y प्लस सिक्योरिटी दी गई है।

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बीजेपी प्रत्याशी माधवी लता को वाई प्लस सुरक्षा | Image: @Kompella_MLatha

Kompella Madhavi Latha Security: कोंपेला माधवी लता की हिंदू समर्थक छवि है और 'असद भाई' को डंके की चोट पर ललकारती हैं। खुद को सामाजिक कार्यकर्ता मानती हैं और ट्रिपल तलाक के खिलाफ भी मुखर हैं। गृह मंत्रालय ने आईबी थ्रेट रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा बढ़ा दी है।  हैदराबाद लोकसभा सीट से बीजेपी (BJP) उम्मीदवार माधवी को गृह मंत्रालय ने Y+ कैटेगरी सुरक्षा दी है।

49 वर्षीय माधवी लता खुद को समाजसेवी बताती हैं और वह लंबे समय से उस मुस्लिम-बहुल इलाके में सक्रिय हैं जो ओवैसी परिवार का गढ़ रहा है। ग्राउंड रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि ओवैसी को माधवी से जोरदार चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। 1984 से ही इस सीट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का कब्जा रहा है।

Y+ कैटेगरी सुरक्षा क्या?

वाई-प्लस कैटेगरी में आर्म्ड पुलिस के 11 कमांडो तैनात किए जाते हैं, इसमें 5 पुलिस के स्टैटिक जवान वीआईपी सुरक्षा के लिए उनके घर और आसपास रहते हैं। जबकि 6 पीएसओ तीन शिफ्ट में  वीआईपी को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

माधवी लता कौन?

माधवी लता की पहचान भरतनाट्यम डांसर, सामाजिक कार्यकर्ता और अब भाजपा की ओर से उतारी गई उम्मीदवार के तौर पर हो गई है। मुस्लिम महिलाओं के लिए भी उसी तत्परता से काम करती हैं जितना सनातन के लिए। माधवी ट्रस्ट और संस्थानों के माध्यम से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं। उनका सोशल मीडिया अकाउंट बताता है कि वो लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। साथ ही वह कई सांस्कृतिक संगठनों से भी जुड़ी रहीं। एक गोशाला भी चलाती हैं और स्कूल-कॉलेजों में हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति पर भाषण भी देती हैं।

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भाजपा नेत्री का विरिंची नाम का अस्पताल भी है जिसकी वो चेयरपर्सन हैं। माधवी लता की ख्याति हिंदू समर्थक के तौर पर है।

पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं

माधवी लता को राजनीति विरासत में नहीं मिली। वो खुद भी सक्रिय राजनेता नहीं थी। सुर्खियों में तब आईं, जब तीन तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं की आवाज बनीं। विभिन्न मुस्लिम महिला समूहों ने इस मामले में शहर के अलग-अलग इलाकों में बात करने के लिए उन्हें बुलाया जाता रहा और उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी। लता असदुद्दीन की आलोचक भी मानी जाती हैं। खुलकर कहती हैं कि जीत को लेकर 110 परसेंट आशवस्त हैं। ओल्ड सिटी की  गरीबी, बेबसी और पिछड़ेपन के लिए ओवैसी को जिम्मेदार मानती हैं।   शायद यही वजह रही कि उन्हें पिछले बार के भागवत राव के मुकाबले ज्यादा बेहतर समझा गया और हैदराबाद से टिकट थमाया गया।

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वोट शेयर में इजाफा भी एक वजह

2019 के चुनाव में बीजेपी (BJP) ने Bhagavanth Rao को ओवैसी के खिलाफ टिकट दिया था। तब उन्हें कुल 2,35,285 वोट मिले थे, जबकि ओवैसी को 5,17,471 वोट।  बीते 10 सालों में तेलंगाना में बीजेपी का वोट शेयर काफी हद तक बढ़ा है। जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 7 फीसदी वोट मिले थे, वहीं 2023 के विधानसभा में 15 फीसदी वोट मिले। विधानसभा चुनाव के इतिहास में भी पहली बार में पार्टी ने 8 सीटों पर कब्जा जमाया। इसमें हैदराबाद के आसपास की चारमीनार, कारवां, एलबी नगर, राजेंद्रनगर, अंबरपेट, कुथबुल्लापुर और सनथनगर सीटें शामिल हैं। महिला उम्मीदवार, सामाजिक कार्यकर्ता, मुस्लिम महिलाओं के बीच अच्छी पकड़ के अलावा बढ़ता वोट शेयर को ही ध्यान में रख भाजपा ने माधवी लता जैसे व्यक्तित्व पर दांव लगाया है! ओवैसी के गढ़ में माधवी पर भरोसा जता पार्टी ने साइकोलॉजिकल दबाव जरूर बना लिया है।  ये बीजेपी के कॉंफिडेंस की मुनादी भी करता है।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 8 April 2024 at 12:52 IST