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Updated March 19th, 2024 at 16:48 IST

जातीय समीकरण के जरिए BJP का राजस्थान में मिशन 25 पर फोकस, किन सीटों पर किसका पलड़ा भारी?

राजस्थान की दो से तीन सीटों पर बीजेपी को अंदर खाने जातिगत समीकरण बिगड़ते हुए दिखाई दे रहे थे। बीजेपी ने हवा भांपते हुए समय रहते सभी चीजों को ठीक कर लिया है।

Reported by: Deepak Gupta
Bhupendra Yadav, BJP
भूपेंद्र यादव, बीजेपी | Image:PTI
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अमरदीप शर्मा

Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव को लेकर के भारतीय जनता पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। चुनावी मैदान में राजस्थान की 25 सीटों पर बीजेपी वापस से अपना कब्जा करना चाहती है और इसीलिए कई सीटों पर पार्टी को कांग्रेस और अन्य जनाधार वाले नेताओं से कास्ट फैक्टर का डर था लेकिन चुनावों से ठीक पहले बीजेपी ने कास्ट मैनेजमेंट करके चुनावी मैदान में कांग्रेस को मात देने की रणनीति बना ली है।

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राजस्थान की दो से तीन सीटों पर बीजेपी को अंदर खाने जातिगत समीकरण बिगड़ते हुए दिखाई दे रहे थे। बीजेपी ने हवा भांपते हुए समय रहते सभी चीजों को ठीक कर लिया है।

कैसा है राजस्थान में सियासी समीकरण?

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अलवर सीट

अलवर सीट पर बीजेपी ने भूपेंद्र यादव को मैदान में उतारा है, कांग्रेस की तरफ से ललित यादव मैदान में  हैं। अलवर सीट पर यादव वोट बैंक डिसाइड फैक्टर के रूप में काम करता है ऐसे में ललित लोकल है और भूपेंद्र यादव बाहरी हैं। इस तरह की हवा यादव बैल्ट में चलनी शुरू हो गयी थी। बीजेपी ने समय रहते कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ कर्ण सिंह यादव को बीजेपी जॉइन करा दी और भूपेंद्र यादव के प्रचार में झोंक दिया है। डॉक्टर कर्ण सिंह यादव का प्रभाव अलवर के यादव वोट बैंक में सबसे ज्यादा है।

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बांसवाड़ा सीट

बांसवाड़ा सीट की बात की जाए तो आदिवासी क्षेत्र की यह सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। गुजरात से सटी हुई यह सीट बीजेपी के लिहाज से कमजोर साबित हुई। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी के तीन विधायक इस इलाके से जीते हैं और एक विधायक ने तो लोकसभा चुनाव में ताल ठोक दी है। ऐसे में बीजेपी के पास कोई मजबूत ऑप्शन नहीं था, लिहाजा कांग्रेस के खेमे में बीजेपी ने सेंध लगा दी और महेंद्रजीत सिंह मालवीय को पार्टी में शामिल कर बांसवाड़ा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया। महेंद्रजीत सिंह मालवीय का बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर खास अच्छा प्रभाव है। इस सीट पर चंद दिनों पहले बीजेपी कमजोर नजर आ रही थी फिलहाल मजबूती के साथ मैदान में है।

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नागौर सीट

नागौर सीट की बात करें तो बीजेपी के लिए जाट लैंड हमेशा से सर दर्द रहा है। ये सीट पहले हनुमान बेनीवाल से गठबंधन करके सीट जीती थी लेकिन बेनिवाल की बीजेपी से दूरी के बाद अमित शाह ने जाट लैंड पर खुद प्लान तैयार किया और विधानसभा चुनावों में इस जिले के लिए खास तैयारी की । विधानसभा चुनाव में पहले ज्योति मिर्धा को कांग्रेस से लेकर आए और अब लोकसभा चुनाव के बीच रिछपाल मिर्धा और उनके बेटे विजयपाल मिर्धा को साथ लेकर आ गए। नागौर जिले में मिर्धा परिवार का बड़ा हस्तक्षेप रहता है, इसीलिए ज्योति मिर्धा को लोकसभा टिकट बीजेपी ने थमाया है और कांग्रेस की ताकत को कमजोर करके जातिगत समीकरण साध लिए हैं।  

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जयपुर ग्रामीण सीट

जयपुर ग्रामीण सीट पिछले दो बार से बीजेपी के खाते में गई है लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का जयपुर ग्रामीण के आमेर विधानसभा सीट से चुनाव हार जाना बीजेपी के लिए लोकसभा में सर दर्द साबित हो सकता था। लिहाजा विधानसभा की हार से सबक लेते हुए बीजेपी ने लाल चंद कटारिया, आलोक बेनीवाल और राजेंद्र यादव की तिकड़ी को बीजेपी जॉइन करा दी। जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर यह तिकड़ी हमेशा कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह काम करती थी जिसकी वजह से वोट मार्जन शिफ्ट हो जाता था।  

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हालांकि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि बीजेपी कांग्रेस के नेताओं को अपने दल में नहीं लाई बल्कि वह खुद बीजेपी में आए हैं उनको अपना भविष्य बीजेपी में नजर आ रहा है। उधर भाजपा के विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा हर पार्टी जातिगत समीकरण साधती है, हमने भी साधे हैं लेकिन किसी भी कांग्रेसी नेता को हम बीजेपी में नहीं ले वह स्वयं बीजेपी में आए हैं क्योंकि बीजेपी भविष्य है।

बीजेपी में शामिल हुए डॉ. कर्ण सिंह

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बीजेपी को ज्वाइन करने के बाद डॉक्टर कर्ण सिंह यादव ने कहा कांग्रेस को संभालने वाला कोई बचा नहीं है। दोयम दर्जे के नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बने बैठे हैं। कांग्रेस के पास जनाधार वाले नेता नहीं है क्योंकि कांग्रेस जनाधार वाले नेताओं को सुन नहीं रही। राहुल की दूसरे लोग नहीं सुन रहे, कांग्रेस में भगदड़ जैसा माहौल है, हर कोई बीजेपी की तरफ देख रहा है।

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने अपना होमवर्क पूरा कर लिया है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के महज 10 लोकसभा सीटों पर ही उम्मीदवार घोषित हो पाए हैं। आपसी कलह और गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस के पास अब जीत की कोशिश भी नहीं बची है।

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इसे भी पढ़ें :  Bihar: NDA सीट शेयरिंग में जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को कितनी सीटें, कौन खुश कौन नाराज?

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Published March 19th, 2024 at 16:40 IST

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