अपडेटेड 18 September 2024 at 21:53 IST
जम्मू-कश्मीर चुनाव : बुजुर्ग कश्मीरी पंडितों ने ‘मातृभूमि’ लौटने की उम्मीद के साथ वोट दिया
सत्तर वर्षीय अवतार कृष्ण ने कहा, ‘‘एकमात्र मांग जिसके लिए हम वर्षों से लगातार मतदान करते रहे हैं, वह यह है कि हमे कश्मीर में ‘मातृभूमि’ का हमारा अधिकार मिले।
- चुनाव न्यूज़
- 3 min read

पिछले 36 वर्षों से अपने पैतृक स्थान कश्मीर से दूर निर्वासन में रह रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने बुधवार को इसी आस के साथ वोट दिया कि घाटी में अपनी ‘मातृभूमि’ में वापस लौटने का उनका सपना साकार हो सके। उन्होंने कहा कि पुनर्वास हो ताकि कश्मीरी पंडितों की युवा पीढ़ी लगातार अपनी जड़ों से जुड़ी रह सके।
समुदाय के सदस्यों ने मुसलमानों और सिखों सहित 5,000 कश्मीरी प्रवासी युवाओं को कश्मीर में नौकरी और सरकारी आवास प्रदान करने के सरकार के प्रस्ताव को महज प्रतीकात्मक बताया। उनका तर्क है कि यह कदम 3,00,000 की आबादी वाले समुदाय की वापसी और पुनर्वास की संभावनाओं को कमजोर करता है।
‘पनुन कश्मीर’ और अन्य संगठनों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान का बहुत कम असर हुआ है, जो समुदाय के खिलाफ कथित अत्याचारों को ध्यान में रखकर एक कानून बनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
कश्मीर में ‘मातृभूमि’ का हमारा अधिकार मिले- अवतार कृष्ण
Advertisement
सत्तर वर्षीय अवतार कृष्ण ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एकमात्र मांग जिसके लिए हम वर्षों से लगातार मतदान करते रहे हैं, वह यह है कि हमे कश्मीर में ‘मातृभूमि’ का हमारा अधिकार मिले। यह निराशाजनक है कि यह मांग लगातार अनसुनी हो रही है।’’
सेवानिवृत्त शिक्षक कृष्ण ने कुलगाम विधानसभा क्षेत्र के जगती मतदान केंद्र पर मतदान किया।
Advertisement
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि दो दशक पहले घोषित ‘‘वापसी और पुनर्वास’’ संबंधी सरकारी नीतियों को कभी भी प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया।
नब्बे के दशक की शुरुआत में उग्रवाद के भय से घाटी से पलायन करने को मजबूर हुए इस समुदाय ने शांति और सुरक्षा की गारंटी के साथ अपनी स्थायी वापसी एवं पुनर्वास की मांग की है।
कड़ी सुरक्षा के बीच लंबी कतारों में खड़े दिखे वोटर
कश्मीरी पंडित पहले चरण के चुनाव में कश्मीर के 16 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डालने के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच लंबी कतारों में खड़े दिखे।
इसी तरह, शांगस-अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र में मतदान करने वाले 67 वर्षीय पुष्कर नाथ ने घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धताओं पर चिंता व्यक्त की। इस सीट से तीन कश्मीरी पंडित चुनाव लड़ रहे हैं।
नाथ ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि एक दशक से अधिक समय तक इस देश पर शासन करने वाली भाजपा घाटी में हमारी वापसी के लिए टीका लाल टपलू पुनर्वास योजना के अपने वादे को पूरा करेगी, जैसा कि उसके घोषणापत्र में कहा गया है। उसे आतंकवाद के बढ़ने और उसके बाद घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के पीछे के कारणों की भी जांच करनी चाहिए, जैसा कि वादा किया गया है।’’
हालांकि, कश्मीरी पंडितों की युवा पीढ़ी घाटी में स्थायी वापसी और पुनर्वास के लिए सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की आवश्यकता पर जोर देती है।
चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे एक युवा मतदाता वैभव ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि किसी भी वापसी और पुनर्वास योजना में बसावट के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी सुनिश्चित किए जाने चाहिए ताकि हमारे युवाओं का बड़े पैमाने पर विदेश में पलायन रोका जा सके। यह हमारी 5,000 साल पुरानी सभ्यता को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।’’
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 18 September 2024 at 21:53 IST