अपडेटेड 3 June 2024 at 11:45 IST

लोकसभा चुनाव में वोटों के गिनती की तैयारियां पूरी, कब कितने बजे शुरू होगी मतगणना? जानें हर जवाब

Lok Sabha Election: इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया 44 दिनों में पूरी हुई है। 19 अप्रैल से शुरू होकर 1 जून तक 7 अलग-अलग चरणों में मतदान कराए गए।

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Election Results 2023: Counting Of Votes
लोकसभा चुनाव में वोटों के गिनती की तैयारियां पूरी। | Image: PTI

Lok Sabha Election Result 2024: 18वीं लोकसभा के लिए अब चुनाव नतीजों का इंतजार है। 1 जून को मतदान मैराथन का दौर थम गया। 4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजे घोषित किए जाएंगे। इस वक्त निर्वाचन आयोग भी मतगणना की तैयारियां लगभग पूरी कर चुका है। मंगलवार को सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू होगी।

इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया 44 दिनों में पूरी हुई है। 19 अप्रैल से शुरू होकर 1 जून तक 7 अलग-अलग चरणों में मतदान कराए गए। पहले आम चुनाव के बाद पहली बार इतने लंबे समय तक मतदान की प्रक्रिया चली। 1951-52 के पहले ससंदीय चुनाव के बाद 2024 में ये मतदान की सबसे लंबी अवधि थी। लोकतंत्र के इस महापर्व में भीषण गर्मी के बावजूद देशवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 

किस चरण में कितना मतदान हुआ?

19 अप्रैल: 66.1%
26 अप्रैल: 66.7%
7 मई: 61.0%
13 मई: 67.3%
20 मई: 60.5%
25 मई: 63.4%
1 जून: 62%

निर्वाचन आयोग ने 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए खासा बंदोबस्त किया। इन चरणों में लगभग 15 मिलियन मतदान कर्मचारियों को तैनात किया था। देश के कोने-कोने में घूमकर ये सुनिश्चित किया कि हरेक पात्र मतदाता मतदान में भाग ले सके। भीषण गर्मी, देश के दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में, मतदान कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।

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मतगणना की प्रक्रिया को समझें

4 जून को मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू होगी। मतगणना शुरू होने के करीब 4 घंटे बाद रुझान आने शुरू हो जाते हैं। दोपहर के बाद परिणाम आने लगते हैं। देर शाम तक फाइनल रिजल्ट आने की संभावना है। हरेक संसदीय क्षेत्र के लिए एक रिटर्निंग ऑफिसर (RO) नियुक्त किया जाता है, जिसके ऊपर वोटों की गिनती कराने की जिम्मेदारी होती है। हां, एक रिटर्निंग ऑफिसर को साथ में सहायक रिटर्निंग ऑफिसर भी मिलते हैं, जिससे आसानी होती है। सहायक रिटर्निंग ऑफिसर यानी ARO संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में मतगणना के लिए जिम्मेदार होते हैं।

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मतदान समाप्त होने के बाद EVM को सील करके संसदीय क्षेत्र के स्ट्रांगरूम में रख दिया जाता है। मतगणना के दिन सभी भाग लेने वाले राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की मौजूदगी में EVM को बाहर निकाला जाता है और सील खोली जाती है। गणना से पहले ये सुनिश्चित करने के लिए कई जांचें की जाती हैं कि मशीनें सीलबंद हैं, सही ढंग से आवंटित की गई हैं और ठीक से काम कर रही हैं।

मतगणना की शुरुआत डाक मतपत्रों से शुरू होती है। EVM मतों की गिनती डाक मतपत्रों की गिनती के 30 मिनट बाद शुरू होती है। एक संसदीय क्षेत्र में कई विधानसभा क्षेत्र होते हैं, इसलिए हरेक विधानसभा क्षेत्र के लिए मतगणना एक ही हॉल में होती है, जहां 14 टेबल लगाई जाती हैं। EVM की नियंत्रण इकाइयां टेबलों के बीच बांटी जाती हैं। उम्मीदवारों की संख्या अधिक है तो हॉल या टेबल की संख्या बढ़ाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए निर्वाचन निकाय की अनुमति लेनी होती है।

हरेक चरण में 14 ईवीएम में दर्ज मतों की गणना की जाती है। उसके बाद परिणाम घोषित कर दिए जाते हैं। अगले चरण की गणना से पहले हरेक टेबल पर लगे ब्लैकबोर्ड पर उन्हें लिख दिया जाता है। ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में एक 'रिजल्ट' बटन होता है, जो प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या दिखाता है। ये हरेक निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की कुल संख्या भी दिखाता है। जब परिणाम बटन दबाया जाता है, तो EVM उम्मीदवारों को मिले वोटों को एक-एक करके दिखाता है।

EVM और VVPAT सिस्टम

भारत में 2004 से चुनावों में EVM का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन मशीनों को बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से चुनाव आयोग ने बनाया। EVM बैटरी से चलती हैं, इसलिए इनके संचालन के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती। EVM मशीनें इंटरनेट से जुड़ी नहीं होती हैं। ईवीएम में दो भाग होते हैं, जो एक केबल के जरिए आपस में जुड़े होते हैं।

कंट्रोल यूनिट: इसे मतदान केंद्र पर मतदान अधिकारी संचालित करता है। इसमें एक बैलेट बटन होता है, जो ईवीएम की दूसरी यूनिट पर एक हरे रंग की LED को जलाता है, जो यह दर्शाता है कि मशीन मतदान के लिए तैयार है। जब कोई वोट डाला जा रहा होता है तो यह 'बिजी' लाइट दिखाता है।

बैलेटिंग यूनिट: इसे मतदान केंद्र के मतदान कक्ष में रखा जाता है। उम्मीदवारों के नाम और चिह्न इस यूनिट में डाले जाते हैं। हरेक नाम के आगे एक नीला बटन होता है। यूनिट में ब्रेल लिपि की सुविधा भी है, ताकि दृष्टिबाधित मतदाता बिना किसी बाहरी मदद के अपना वोट डाल सकें। मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे नीला बटन दबाकर अपना वोट दर्ज करते हैं। वोट डाले जाने के बाद कंट्रोल यूनिट पर एक बीप की आवाज सुनाई देती है।

निर्वाचल आयोग ने EVM में मतदाताओं का विश्वास कायम करने के लिए 2013 में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) प्रक्रिया शुरू की। VVPAT को केबल के जरिए EVM की कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट से जोड़ा जाता है। मतदाता की तरफ से वोट डालने के बाद VVPAT एक पेपर स्लिप बनाता है, जो मतदाता को लगभग 7 सेकंड तक दिखाई देती है, ताकि ये पुष्टि हो सके कि वोट सही तरीके से और चुने हुए कैंडिडेट को डाला गया है। ये पर्चियां बाद में ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती हैं।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 3 June 2024 at 11:45 IST