Updated April 18th, 2019 at 16:37 IST
जब पत्नी पूनम सिन्हा के प्रचार के लिए शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पार्टी को दिखाया 'ठेंगा', तो कांग्रेस प्रत्याशी ने कहा- 'पार्टी धर्म निभाएं'
दरअसल हाल ही में शत्रुघ्न की पत्नि पूनम सिन्हा को समाजवादी पार्टी ने लखनऊ से अपना उम्मीदवार घोषित किया गया था,
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लखनऊ में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन (SP-BSP-RLD Alliance)की उम्मीदवार पूनम सिन्हा के नामांकन को लेकर उस वक्त विवाद खड़ा हो गया जब उनके पति और कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पार्टी के खिलाफ जाते हुए पत्नी के लिए प्रचार किया। जिस पर लखनऊ से कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमुख कृष्णाम ने कड़ी आपत्ति जताई है।
दरअसल हाल ही में शत्रुघ्न की पत्नि पूनम सिन्हा को समाजवादी पार्टी ने लखनऊ से अपना उम्मीदवार घोषित किया गया था, जिसके सिलसिले में आज वो अपना नामांकन भरने जिला कलेक्टर ऑफिस गई थी। लेकिन विवाद वहां खड़ा हुआ जब बीजेपी का दामन छोड़ हाल में कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न ने पार्टी को साइडलाइन करते हुए पत्नी के नामांकन कार्यक्रम में पहुंच गए। बावजूद इसके की इस सीट से पूनम के खिलाफ उनकी ही पार्टी (कांग्रेस) से आचार्य प्रमोद कृष्णम भी खड़ें हुए हैं।
जब शत्रुघ्न सिन्हा से आचार्य प्रमोद कृष्णम की नाराजगी से अवगत और पार्टीलाइन के खिलाफ जाकर पत्नि के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पार्टी बहुत प्यारी है मुझको, लेकिन परिवार से बढ़कर कुछ हहीं हो सकता। ये मेरा परिवार के प्रति कर्तव्य है।
इससे पहले शत्रुघ्न सिन्हा को यूं विरोधी पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर तीखा विरोध करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद कृष्णम ने कहा कि वो अपनी पत्नी के प्रचार के लिए आए हैं, मेरा उनसे कहना है कि वो पार्टी धर्म निभाएं और मेरे लिए चुनाव प्रचार करें।
बता दें, इस सीट से एक बार फिर बीजेपी ने राजनाथ सिंह को उतारा है। नवाबों की इस नगरी पर पिछले 28 सालों से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है ।1991, 1996,1998,1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में अदब, तहजीब और नफासत की इस नगरी की सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कब्जा रहा । 2009 में अटल के खास रहे लाल जी टंडन इस सीट पर जीते । इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने इस सीट पर किस्मत आजमायी और भारी मतों से चुनाव जीते । इस बार 2019 में फिर राजनाथ सिंह भाजपा के टिकट पर यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं ।
लखनऊ में गठबंधन के अलावा कांग्रेस ने अभी तक(खबर लिखे जाने तक) कोई प्रत्याशी नही उतारा है जबकि नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन 18 अप्रैल है ।
लखनऊ की जड़ों से जुड़ने वालों को शहर के लोगों ने सिर आंखों पर बैठाया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इसकी मिसाल हैं।
पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बॉलिवुड अभिनेता जावेद जाफरी (मशहूर कामेडियन जगदीप के बेटे) को मैदान में उतारा था। भाजपा के राजनाथ सिंह के सामने जाफरी ने खासी मशक्कत की और उनके समर्थन में कई फिल्मी हस्तियों ने प्रचार भी किया लेकिन लखनऊ ने उन्हें तवज्जो नहीं दी। जावेद की जमानत जब्त हो गई और उन्हें पांचवें स्थान पर संतोष करना पड़ा। उस हार का असर यह हुआ कि जाफरी वापस लखनऊ की राजनीति में लौटे ही नहीं।
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Published April 18th, 2019 at 16:37 IST