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Published 14:32 IST, August 24th 2024

सैलजा Vs हुड्डा: एक अनार सौ बीमार...हरियाणा कांग्रेस में खेमेबाजी ना बिगाड़ दे खेल? कौन किस पर भारी

हरियाणा में कांग्रेस अपने अंतर्कलह से जूझ रही है। खासकर बिना चुनाव के ही मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दावेदारी ठोकी जा रही है।

Reported by: Dalchand Kumar
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Bhupendra Singh Hooda Vs Kumari Selja
चुनावों से पहले हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी दिखी। | Image: Facebook

Haryana Election: हरियाणा में चुनावों से पहले ही कांग्रेस बिखर जाएगी, क्या कांग्रेस में कुर्सी की लड़ाई छिड़ी है? सवाल इसलिए हैं कि कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनाम कुमारी सैलजा के पूरे आसार हैं, जो हालिया राजनीतिक घटनाक्रम से दिखाई दे रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा पूरी तरह एक्टिव है। दीपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश हो रही है। इधर, कुमारी सैलजा ने भी एक ऐलान कर डाला है और अपनी महत्वाकांक्षा बता डाली है। इससे साफ है कि हरियाणा में चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस के भीतर खेमेबाजी की दीवार और बड़ी हो चुकी है।

जैसे-जैसे हरियाणा की राजनीति में चुनावी रंग चढ़ने लगा है, पार्टियां मैदान में कूदने की तैयारियां करने में जुट चुकी हैं। हालांकि कांग्रेस अपने अंतर्कलह से जूझ रही है। खासकर बिना चुनाव के ही मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दावेदारी ठोकी जा रही है। कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहती हैं कि हर समुदाय या व्यक्ति की महत्वाकांक्षा होती है और (उनकी) क्यों नहीं हो सकती। 'पीटीआई' से बातचीत में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा का संकेत दिया। इसके पहले मुख्यमंत्री पद के चेहरे से जुड़े सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 13 अगस्त को कहा था कि वो ना तो टायर्ड हैं और ना ही रिटायर्ड हैं।

सैलजा Vs हुड्डा, कौन किस पर भारी?

कांग्रेस में जिस तरह आंतरिक प्रतिस्पर्धा दिख रही है, ऐसे में कुमारी सैलजा क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भारी पड़ सकती हैं, इसको समझना जरूरी हो जाता है। भूपेंद्र हुड्डा दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इस लिहाज से हरियाणा में कांग्रेस के भीतर उनका कद बड़ा हो जाता है। उसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी हुड्डा खेमे के बताए जाते हैं। हुड्डा के समर्थन में लगभग 90 प्रतिशत विधायक माने जाते हैं। इसे भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान हुड्‌डा गुट का दबदबा रहा। बाद में जीते 5 कैंडिडेट में से 4 सांसद भी हुड्‌डा गुट के हैं।

अगर कुमारी सैलजा की सियासत को देखा जाए तो वो ज्यादातर गांधी परिवार के नजदीक दिखाई दी हैं। शायद इसीलिए उन्हें बार-बार कांग्रेस की तरफ से देश की राजनीति में लाने की कोशिश हुई। वो संसद में 4 कार्यकाल पूरे कर चुकी हैं। जिस तरह हुड्डा खेमे के साथ कुछ बड़े चेहरे दिखते हैं, ठीक उसी तरह कुमारी सैलजा का रणदीप सुरजेवाला के साथ बेहतर तालमेल बताया जाता है और किरण चौधरी भी उनके खेमे की बताई जाती थी, जो अब बीजेपी में जा चुकी हैं। फिलहाल 2024 में सिरसा से बड़े मार्जिन से जीतने वाली कुमारी सैलजा ही अपने गुट में एक्टिव हैं। रणदीप सुरजेवाला ज्यादा कुछ बोल नहीं रहे हैं। बहरहाल, अगर यही चलता रहा तो आने वाले विधानसभा चुनाव में हुड्‌डा गुट के लिए सैलजा राह को मुश्किल जरूर करेंगी।

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Updated 14:32 IST, August 24th 2024