अपडेटेड 1 December 2022 at 10:10 IST
Gujarat Elections: भारत के 'मिनी-अफ्रीकी गांव' Jambur में वोटिंग से पहले क्यों दिखा जश्न का माहौल?
Gujarat Assembly Elections: गुजरात चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से पहले भारत के 'मिनी-अफ्रीकी गांव' जंबूर (Jambur) में जश्न मनाया गया।
- चुनाव न्यूज़
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Gujarat Assembly Elections: गुजरात चुनाव के पहले चरण के लिए गुरुवार सुबह 8 बजे से वोटिंग शुरू हो गई। चूंकि आज गुजराती 788 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे, वही भारत के 'मिनी-अफ्रीकी गांव' जंबूर (India's mini-African village Jambur) में जश्न का माहौल देखने के लिए मिल रहा है। जी हां, दरअसल जंबूर (Jambur) के लोग पहली बार अपने स्पेशल ट्राइबल बूथ (special tribal booth) में वोट डालने वाले हैं।
गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 788 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य पर मुहर लग जाएगी। कच्छ, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के 19 जिलों में फैले 89 निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाले जा रहे हैं। बाकी बची सीटों पर दूसरे चरण में पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे।
भारत का' छोटा अफ्रीकी गांव' करेगा विशेष जनजातीय बूथ में वोटिंग
जंबूर के निवासियों ने ये मौका देने के लिए भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) को धन्यवाद दिया है। वे ये मौका पाकर बेहद खुश हैं और उन्होंने वोटिंग डे से एक दिन पहले जमकर जश्न मनाया और दावत रखी।
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ANI के मुताबिक, गांव में रहने वाले रहमान ने स्पेशल बूथ बनाने के लिए चुनाव आयोग के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा- “हम सालों से इस गांव में रह रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जिससे हमें बहुत खुशी हो रही है। हमारे पूर्वज अफ्रीका से हैं जो कई साल पहले भारत आ गए थे। जब जूनागढ़ में किला बन रहा था तब हमारे पूर्वज यहां काम करने के लिए आए थे। पहले हम रतनपुर गांव में बसे और फिर धीरे-धीरे गांव जांवर में बस गए। हमारे पूर्वज भले ही अफ्रीका से हो लेकिन हम भारत और गुजरात की परंपरा निभाते हैं। हमें सिद्धि आदिवासी समुदाय (Siddhi tribal community) का दर्जा मिला है।”
तलाला से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले अब्दुल मगुज भाई ने कहा कि इस क्षेत्र में स्थानीय समुदाय पीड़ित है क्योंकि उनके पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें विधानसभा में जाकर अपना योगदान देने का मौका दिया जाना चाहिए।
उनका कहना है- “ये गांव दो नदियों के बीच में बसा है। यहां सब एक साथ रहते हैं। मैं यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ रहा हूं। हम चाहते हैं कि हम भी विधानसभा जाएं। हमें अधिकार मिले ताकि हम और अच्छा काम कर सकें। हमें भारत का अफ्रीका कहा जाता है। हमें सिद्धि आदिवासी समुदाय के रूप में जाना जाता है। सरकार आदिवासियों को मदद देती रहती है, इसमें कोई समस्या नहीं है लेकिन हमारे स्थानीय समुदाय को यहां भुगतना पड़ता है, हमें उतनी सुविधाएं नहीं मिलती।”
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Published By : Sakshi Bansal
पब्लिश्ड 1 December 2022 at 10:10 IST



