अपडेटेड 10 January 2025 at 16:10 IST

Delhi Assembly Elections: दिल्ली की 'स्पेशल-30' पर BJP करेगी सेंधमारी? आखिर चुनावी लड़ाई पूर्वांचलियों पर क्यों आई

Delhi Assembly Election: पूर्वांचलियों की दिल्ली में करीब 40 से 45 फीसदी आबादी बताई जाती है और ये वोटर्स 30 से ज्यादा सीटों को सीधा प्रभावित करते हैं।

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Delhi Assembly Elections
Delhi Assembly Elections | Image: Facebook

Delhi Assembly Election : आज की दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रों से आने वाले पूर्वांचलवासियों को कोई भी राजनीतिक दल या नेता दरकिनार करके आगे नहीं बढ़ सकता है। लगभग एक दशक पहले तक दिल्ली की राजनीति हरियाणवी-पंजाबी वर्चस्व वाली थी, पूर्वांचली जिसके लगभग समानांतर आज खड़े हैं। दिल्ली में पूर्वांचलवासियों का अपना प्रभाव है, जिसने राजनीतिक विमर्श भी बदल दिए हैं। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के समय दिल्ली की राजनीति पूर्वांचलवासियों के आसरे आकर खड़ी हो गई है।

अरविंद केजरीवाल के एक बयान पर दिल्ली में पूरा विवाद है और राजनीति के केंद्र में पूर्वांचली वोटर्स हैं। भारतीय जनता पार्टी तलवार लेकर मैदान में कूद पड़ी है और इस मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी बचाव की मुद्रा में हैं। हालांकि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से इतर पहले दिल्ली में पूर्वांचलवासियों के राजनीतिक प्रभाव और राजनीतिक समीकरण को समझने की कोशिश करते हैं।

दिल्ली की राजनीति में पूर्वांचल फैक्टर

शायद ही दिल्ली का कोई कोना बाकी होगा, जहां पूर्वांचलवासी नहीं बसे हैं। इस पूर्वांचल फैक्टर का असर ये है कि दिल्ली की लगभग आधी विधानसभा सीटों पर निर्णय बदल सकते हैं। पूर्वांचलियों की दिल्ली में करीब 40 से 45 फीसदी आबादी बताई जाती है और ये वोटर्स 30 से ज्यादा सीटों को सीधा प्रभावित करते हैं। कुछ सीटों का फैसला सीधे पूर्वांचलियों के हाथों में रहता है। करावल नगर, मॉडल टाउन, बुराड़ी, पटपड़गंज, उत्तम नगर, बदरपुर, लक्ष्‍मी नगर, राजेंद्र नगर, देवली, पालम, द्वारका और विकासपुरी जैसे विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर लोगों का ताल्‍लुक उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से है। जाहिर है कि ये वोट जहां भी जाएगा, उस पार्टी का सत्ता में मजबूती से लौटना तय है। इसीलिए फिलहाल पूर्वांचलवासियों की हितैषी बनने की कोशिश हरेक राजनीतिक दल और नेता कर रहा है। 

दिल्ली में पूर्वांचल का मुद्दा अभी क्यों हावी है?

हाल ही में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक बयान दिया था, जिस पर बवाल मचा हुआ है। अरविंद केजरीवाल पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे और भारतीय जनता पार्टी को घेर रहे थे। बीजेपी की तरफ से साझा किए गए वीडियो में केजरीवाल बयान दे रहे थे कि '13 हजार नए वोट बनने का आवेदन आया है। जाहिर तौर पर यूपी और बिहार से ला-लाकर, आसपास के राज्यों से लाकर फर्जी वोट बनवा (बीजेपी वाले) रहे हैं।'

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बीजेपी ने लगाया पूर्वांचलियों के अपमान का आरोप

बीजेपी आरोप लगा रही है कि केजरीवाल ने पूर्वांचल समाज के लोगों पर फर्जी वोटर होने का आरोप लगाकर अपमान किया है। बीजेपी की दिल्ली इकाई कहती है कि केजरीवाल ने ये साबित कर दिया है कि आम आदमी पार्टी पूर्वांचल के लोगों से नफरत करती है। केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी सड़क पर उतर चुकी है। पोस्टर-बैनर लगाकर अरविंद केजरीवाल को घेरा जा रहा है। दिल्ली बीजेपी के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं- 'सत्ता जाने के भय से अरविंद केजरीवाल अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। अरविंद केजरीवाल आप हमेशा से पूर्वांचल विरोधी थे, हैं और रहेंगे और ये काला सच कल 9 जनवरी की शाम को एक बार फिर आपके मुंह से निकला। अरविंद केजरीवाल बताओ आप पूर्वांचल के लोगों से इतनी नफरत क्यों करत हो?'

चुनावों के बीच बचाव की स्थिति में उतरी AAP

पूर्वांचल मुद्दे पर केजरीवाल ने बीजेपी के हमलों का जवाब दिया। केजरीवाल कहते हैं- 'बीजेपी एक विरोध पार्टी बन गई है। मैं उनके लिए अपने घर के बाहर एक तम्बू लगा सकता हूं। उनसे ज्यादा धोखेबाज और पाखंडी कोई नहीं है। कल मैं चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराने गया था कि बीजेपी पूर्वांचली और दलित समुदायों के वोटों को विभाजित कर रही है। जेपी नड्डा ने खुद संसद में पूर्वांचल के लोगों को रोहिंग्या कहा था।'

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केजरीवाल ने पूर्वांचल समुदायों के लिए AAP के समर्थन पर जोर दिया और कहा, 'हम पूर्वांचल के लोगों को सबसे ज्यादा टिकट देते हैं। हमने झुग्गी-झोपड़ियों में सबसे ज्यादा काम किया है। बीजेपी ने कुछ नहीं किया।' उन्होंने बीजेपी पर लोगों की वास्तविक चिंताओं को दूर करने के बजाय अप्रासंगिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया। कहा- 'बीजेपी कोई मुद्दा नहीं बना सकती। वो जो भी मुद्दे उठा रहे हैं, वे उलटे पड़ रहे हैं। सुबह से शाम तक वो मेरे ही हैं। देश और दिल्ली की बात करें तो बेरोजगारी अपने चरम पर है। उन्हें बच्चों और रोजगार की चिंता नहीं है, यही वजह है कि कोई उन्हें वोट नहीं दे रहा है।'

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 10 January 2025 at 13:53 IST