अपडेटेड 12 April 2024 at 14:14 IST
सारण सीट रोहिणी के लिए बड़ी चुनौती...जब लालू की पत्नी राबड़ी और समधी को BJP नेता रूडी ने दी थी मात
Saran Seat: राजीव प्रताप रूडी सारण सीट से लालू की पत्नी राबड़ी देवी और समधी चंद्रिका राय को हरा चुके हैं। इस बार रोहिणी आचार्य उन्हें टक्कर देने के लिए आई हैं।
- चुनाव न्यूज़
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Rohini Acharya: रोहिणी आचार्य 2024 के लोकसभा चुनाव में सारण सीट से मैदान में उतरी हैं, जो कभी उनके पिता लालू प्रसाद यादव की सीट हुआ करती थी। लालू यादव कई बार सारण सीट से जीत चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने चारा घोटाले से जुड़े मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य ठहराए जाने तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि अपने पहले मुकाबले में रोहिणी के सामने चुनौती बड़ी है, क्योंकि उनका मुकाबला बीजेपी के मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के साथ है, जो लालू परिवार के सदस्यों को पहले भी मात दे चुके हैं।
रोहिणी आचार्य की जनमत को आकार देने और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने परिवार की विरासत का बचाव करने में सक्रिय भागीदारी रही है। फिलहाल उनकी सक्रिय राजनीति में एंट्री बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) राजवंश की राजनीतिक गाथा में एक अध्याय है। महीनेभर पहले 3 मार्च 2024 को पटना के गांधी मैदान में विपक्ष की 'जन विश्वास रैली' के दौरान रोहिणी अपने पिता के साथ मंच पर मौजूद थीं। रैली में लालू यादव ने उन्हें भीड़ से मिलवाया, जहां से रोहिणी के राजनीति में आने की संभावनाओं ने जन्म लिया था। अभी रोहिणी आचार्य अपने भाई-बहनों मीसा भारती, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के नक्शे कदम पर चलते हुए सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनी हैं।
सारण में चुनाव लड़ने पर क्या कहती हैं रोहिणी?
सारण में रोहिणी आचार्य अपने सामने टक्कर में किसी को नहीं गिन रही हैं। 7 अप्रैल को एक बयान में लालू के बेटी ने कहा- 'जनता के बीच घूमिए तो पता चलेगा कोई टक्कर में नहीं है।' सारण में उम्मीदवार बनाए जाने से पहले ही रोहिणी आचार्य ने जनता के बीच पहुंचना शुरू कर दिया था। 2 अप्रैल को दिए एक बयान में रोहिणी आचार्य कहती हैं- 'मुझे गर्व है कि मैं राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव की बेटी हूं। मेरी किसी से लड़ाई नहीं है। लोग फैसला करेंगे कि क्या वो (बीजेपी) 400 का आंकड़ा पार करेंगे, हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक है।'
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रोहिणी के सामने चुनौती क्या है?
रोहिणी आचार्य के सामने एक चुनौती लालू परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप हैं। दूसरी चुनौती ये कि रोहिणी आचार्य का सारण से जमीनी जुड़ाव रहा नहीं है, क्योंकि शादी के कुछ समय बाद से ही सिंगापुर में रही हैं। ऐसे में जनता से अपने बलबूते जल्दी से जुड़ाव कर पाना संभव नहीं है। इधर, बीजेपी कहती है कि 'रोहिणी आचार्य जिस तरह पिता को किडनी देने के नाम पर वोट मांग रही हैं, उससे शक पैदा होता है। बिहार भाजपा की प्रवक्ता सुहेली मेहता कहती हैं- 'जिस तरह चुनाव में इसे मुद्दा बनाकर रोहिणी घर घर जाकर कह रही हैं कि मैंने पिता को किडनी दी है, मुझे वोट दीजिए, अब शक होता है।' तीसरी और सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के दिग्गज नेता और सारण से उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी खुद हैं।
जब राजीव प्रताप रूडी ने लालू परिवार से छीनी सीट
राजीव प्रताप रूडी सारण सीट से लालू की पत्नी राबड़ी देवी और समधी चंद्रिका राय के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। उन्होंने दोनों ही चुनाव में हराया था। राजीव प्रताप रूडी ने 2014 और 2019 के आम चुनावों में इस सीट से चुनाव लड़ा और दोनों चुनाव जीते थे।
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सारण निर्वाचन क्षेत्र, जिसे पहले छपरा लोकसभा सीट के रूप में जाना जाता था, लंबे समय से राजद का गढ़ माना जाता रहा है। लालू यादव ने 4 बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1977 में उन्होंने अपना पहला चुनाव छपरा से जीता। हालांकि बाद के सालों में राजनीतिक गतिशीलता बदल गई, जिससे राजद को ये सीट गंवानी पड़ी। 2014 में राजद को सारण में हार का सामना करना पड़ा। रोहिणी की मां और लालू की पत्नी राबड़ी देवी को 41000 वोटों से प्रताप प्रताप रूडी ने हराया था। 2019 के चुनाव में राजद की तरफ से चंद्रिका राय, जो लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप के ससुर हैं, को मैदान में उतारकर दोबारा सीट हासिल करने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2019 के आम चुनाव में रूडी ने 4.99 लाख से अधिक वोटों और 51.29 प्रतिशत वोट शेयर से सीट जीती।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 12 April 2024 at 13:50 IST