अपडेटेड 1 October 2025 at 07:15 IST
पवन सिंह-उपेंद्र कुशवाहा की जोड़ी क्यों बनेगी सुपरहिट? समझें बिहार में BJP का 'ऑपरेशन शाहाबाद' प्लान
Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में जातीय समीकरण एक बड़ा फैक्टर है। अगर पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा एक साथ आते हैं तो इससे आगामी चुनाव में NDA की पिक्चर सुपरहिट साबित हो सकती है। इस कदम से प्रभावशाली कुशवाहा और राजपूत समुदायों को एनडीए के पाले में वापस लाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
- चुनाव न्यूज़
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Bihar Election: जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही है, सियासी गलियारों में पारा हाई होते दिख रहा है। भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार पवन सिंह एक बार फिर घर वापसी करने को तैयार हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में बगावत के सुर दिखाने वाले पवन सिंह की बीजेपी में दोबारा एंट्री लगभग तय है।
पावर स्टार पवन सिंह की मंगलवार को दिल्ली में राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से हुई मुलाकात को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का ताजा मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है। इसके पीछे की वजह क्या है? आइए जानते हैं।
पवन सिंह-उपेंद्र कुशवाहा की जोड़ी क्यों होगी सुपरहिट?
बिहार चुनाव में जातीय समीकरण एक बड़ा फैक्टर है। अगर पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा एक साथ आते हैं तो इससे आगामी चुनाव में NDA की पिक्चर सुपरहिट साबित हो सकती है। इस कदम से प्रभावशाली कुशवाहा और राजपूत समुदायों को एनडीए के पाले में वापस लाने में मदद मिलने की उम्मीद है। विशेष रूप से शाहाबाद और मगध क्षेत्रों में, जहां NDA को हाल के वर्षों में काफी संघर्ष करना पड़ा है।
क्या है NDA का ऑपरेशन शाहाबाद?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में शाहाबाद क्षेत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर काराकाट, जहां भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के प्रवेश ने पूरे समीकरण को बदल दिया है। मंगलवार को पवन सिंह ने ना सिर्फ उपेंद्र कुशवाहा, बल्कि गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। वहीं, ऐसी भी खबरें सामने आई है कि पवन सिंह को बिहार चुनाव में दो सीटों का लालच दिया जा रहा है।
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एक जमाने में भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर को मिलाकर बना शाहाबाद एनडीए का गढ़ हुआ करता था, लेकिन अब यह उनकी सबसे कमजोर कड़ी बन गया है। पिछले दो बड़े चुनावों में गठबंधन को यहां करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। शाहाबाद की 22 सीटों में से एनडीए को सिर्फ़ 2 सीटें मिलीं, और दोनों ही भाजपा की जीत थीं। जेडीयू और उसके सहयोगी दल खाता भी नहीं खोल पाए। मगध के पड़ोसी जिलों जैसे अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद और नवादा को जोड़ दें तो तस्वीर और भी निराशाजनक हो गई, जहां एनडीए खाता भी नहीं खोल पाया।
क्या है NDA का मिशन?
2024 चुनाव में शाहाबाद में खराब प्रदर्शन ने भाजपा को पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया। पार्टी ने इस क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने के लिए एक व्यवस्थित प्रयास, ऑपरेशन शाहाबाद शुरू किया। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 2024 में पवन सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने को काराकाट में कुशवाहा की हार और आरा में भाजपा की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण माना जा रहा था। इसके बाद से पवन सिंह ने आर.के.सिंह और कुशवाहा, दोनों से मुलाकात की है, जिससे सुलह के संकेत मिले हैं।
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पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के हाथ मिलाने से भाजपा को उम्मीद है कि वह शाहाबाद और मगध में राजपूत और कुशवाहा मतदाताओं को फिर से एकजुट कर सकेगी, जिससे 2020 और 2024 के नुकसान की भरपाई हो सकेगी। अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो "ऑपरेशन शाहाबाद" उस क्षेत्र में एनडीए की संभावनाओं को बदल सकता है, जो हाल ही में उनकी कमजोरी रहा है।
Published By : Ritesh Kumar
पब्लिश्ड 1 October 2025 at 07:10 IST