अपडेटेड 21 October 2025 at 23:27 IST

'हां हम बिहारी हैं जी, थोड़े संस्कारी...', चुनाव और छठ से पहले मनोज तिवारी ने गाना के जरिए प्रदेश की जनता का जीता दिल

मनोज तिवारी के नए गाने 'हां हम बिहारी हैं जी, थोड़े संस्कारी...' गाना आ चुका है। जो बिहार चुनाव और छठ पूजा से ठीक पहले जारी हुआ है। भोजपुरी अभिनेता और नेता मनोज तिवारी का यह गीत बिहार की मिट्टी, संस्कृति, परंपरा और गौरव को समर्पित है।

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manoj tiwari | Image: Youtube
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बिहार की राजनीति हो या भोजपुरी सिनेमा, मनोज तिवारी का नाम हमेशा चर्चा में रहता है। एक कुशल राजनेता और लोकप्रिय गायक के तौर पर, वह जानते हैं कि जनता के दिल तक कैसे पहुंचा जाता है। और इस बार, उन्होंने ठीक समय पर वही कार्ड खेला है - एक गाना, जिसने बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच और लोक आस्था के महापर्व छठ से ठीक पहले, पूरे प्रदेश की जनता का दिल जीत लिया है।

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का नया गाना, ‘हां, हम बिहारी हैं जी, थोड़े संस्कारी हैं जी…’ रिलीज होते ही वायरल हो गया है। यह गाना सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह बिहार की माटी, संस्कृति, गौरव और मेहनतकश जनता के प्रति एक भावभीनी श्रद्धांजलि है।

गाने में माटी की खुशबू और मेहनत का बखान

गाने के बोल, 'हां, हम बिहारी हैं जी, माटी को सोना कर दें, वाली कलाकारी है जी,' बिहारियों के आत्मविश्वास और उनकी 'मेहनतकश' छवि को एक नई ऊंचाई देते हैं। मनोज तिवारी ने अपनी दमदार आवाज में बिहार के गौरवशाली इतिहास, लोक कला और त्योहारों की झलक दिखाई है।

भोजपुरी आईटी सेल के यूट्यूब चैनल पर जारी किए गए इस गीत को 'बिहार का गर्व गीत' कहा जा रहा है। गीत के बोल अतुल कुमार राय ने लिखे हैं और संगीत मधुकर आनंद ने दिया है, जिसमें भोजपुरी और लोक संगीत बेहद शानदार है।यह बताया गया है कि बिहारी न सिर्फ 'संस्कारी' हैं, बल्कि वे अकेले ही 'चाणक्य जैसे 100-100 पे भारी हैं जी'। यह लाइन बिहार की बौद्धिक शक्ति और राजनीतिक प्रभाव को दर्शाती है।

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छठ और चुनाव का 'परफेक्ट टाइमिंग'

इस गाने की रिलीज टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण है। एक ओर, जहां छठ महापर्व आने वाला है, जो बिहारियों के लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उनकी पहचान और आस्था का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर, राज्य में विधानसभा चुनाव का माहौल पूरी तरह गर्म है।

छठ से पहले इस तरह के सांस्कृतिक और गर्व से भरे गीत का आना लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ता है। एक यूजर ने कॉमेंट किया कि 'कल रात को मैंने आपकी ये रचना सुनी, छठ के अवसर पर ऐसी शानदार रचना हमारे हृदय में अमिट छाप छोड़ेगी।'यह दिखाता है कि यह गीत धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को छू रहा है।

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राजनीतिक नजरिए से देखें तो, मनोज तिवारी ने अपने 'गर्व गीत' के जरिए एक बार फिर खुद को 'जनता का गायक' साबित किया है। यह गीत न सिर्फ पार्टी के लिए एक चुनावी कैंपेन सॉन्ग का काम कर सकता है, बल्कि यह बिहार के लोगों में अपनी पहचान को लेकर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी कर रहा है।

Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 21 October 2025 at 23:27 IST