अपडेटेड 21 October 2025 at 22:36 IST
Bihar Election: अररिया की इस सीट पर रोचक लड़ाई, पूर्व केंद्रीय मंत्री के दो बेटे आमने-सामने, एक ने जन सुराज तो दूसरे ने RJD से ठोकी ताल
Jokihat Assembly Election: अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट की बात करें तो इसकी स्थापना 1967 में हुई थी। तब से लेकर अभी तक कुल 16 बार विधानसभा चुनाव इस सीट पर हो चुके हैं। इनमें 1996 और 2008 में उपचुनाव भी हुए थे। इस सीट से शुरू से लेकर अभी तक जितने भी विधायक बने, वो सभी मुस्लिम रहे हैं।
- चुनाव न्यूज़
- 3 min read

Show Quick Read
Bihar Election, Jokihat Assembly Election: बिहार चुनाव में सियासत के अलग-अलग रंग दिख रहे हैं। यहां रिश्ते साथ में आने के बजाय एक-दूसरे के खिलाफ भी ताल ठोकते हुए नजर आ रहे हैं। कुछ दिन पहले ही तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेज प्रताप ने राजद से निष्कासित होने के बाद अपनी पार्टी बना ली थी और कई जगहों पर राजद के खिलाफ ही चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवारों को उतार दिया।
इस बीच एक और खबर अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सभा सीट से आ रही है। यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत तस्लीमुद्दीन के दो बेटे आमने-सामने चुनावी मैदान में हैं। एक बेटा राजद से तो दूसरा जन सुराज से जोकीहाट सीट पर ताल ठोक रहा है। बिहार चुनाव में हॉट सीट में जोकीहाट भी शामिल है। यहां की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।
बड़ा भाई बनाम छोटा भाई
मिली जानकारी के अनुसार, जोकीहाट विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री तस्लीमुद्दीन के दो बेटे आमने-सामने है। तस्लीमुद्दीन केंद्र की देवगौड़ा और फिर मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे थे। अब इन्हीं के बेटे जोकीहाट विधानसभा से एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं।
इस सीट पर तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज से चुनावी मैदान में हैं। वे इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। वहीं, इनके छोटे भाई शाहनवाज आलम की बात करें तो ये राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यहां यह चुनावी दंगल बड़ा भाई बनाम छोटा भाई हो गया है।
Advertisement
सरफराज आलम 4 बार रहे हैं जोकीहाट से विधायक
1996 में तस्लीमुद्दीन के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद जोकीहाट विधानसभा का दारोमदार परिवार की ओर से बड़े बेटे सरफराज आलम के पास आया। सरफराज ने 1996 के उपचुनाव में जनता दल और 2000 में राजद के टिकट पर जीत हासिल की थी। 2005 में उनकी हार हुई थी। उसके बाद 2010 और 2015 में सरफराज जदयू के टिकट पर फिर से विधायक बने। हालांकि, जदयू से निकाले जाने के बाद सरफराज घर वापसी करते हुए राजद में आ गए थे। सरफराज सांसद भी रह चुके हैं।
2020 में छोटे भाई शाहनवाज की हुई जीत
साल 2020 में राजद के टिकट पर लड़े सरफराज को अपने छोटे भाई शाहनवाज आलम से हार का सामना करना पड़ा। शाहनवाज ने 2020 में AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। उन्होंने अपने बड़े भाई सरफराज को 7 हजार से अधिक वोटों से हराया था। हालांकि, जीत हासिल करने के बाद सरफराज राजद में शामिल हो गए थे। अब 2025 में सरफराज राजद के टिकट से चुनावी मैदान में हैं।
Advertisement
जोकीहाट विधानसभा: तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों का रहा है कब्जा
अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट की बात करें तो इसकी स्थापना 1967 में हुई थी। तब से लेकर अभी तक कुल 16 बार विधानसभा चुनाव इस सीट पर हो चुके हैं। इनमें 1996 और 2008 में उपचुनाव भी हुए थे। इस सीट से शुरू से लेकर अभी तक जितने भी विधायक बने, वो सभी मुस्लिम रहे हैं।
इसकी एक खास वजह यह है कि जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 65 फीसदी से अधिक है। इस सीट पर तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों का कब्जा रहा है। इसे इनका गढ़ माना जाता है। अभी तक के कुल 16 चुनावों में से इस सीट से इनकी (तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों) कुल 11 बार जीत हुई है।
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 21 October 2025 at 22:36 IST