अपडेटेड 25 February 2024 at 18:10 IST
Ritesh Pandey: हाथी की सवारी छोड़ी, थामा कमल, कौन हैं रितेश पांडेय, जो दे गए Mayawati को गच्चा
Ambedkar Nagar News: पिता राकेश पांडेय की विरासत को संभालते हुए रितेश पांडेय ने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी के दिग्गज नेता मुकुट बिहारी वर्मा को हराया।
- चुनाव न्यूज़
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MP Ritesh Pandey : लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा को बड़ा झटका लगा है। अंबेडकर नगर से बसपा सांसद रितेश पांडेय रविवार को बीजेपी में शामिल हो गए। रितेश पांडेय ने उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और अन्य बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थामा। रितेश पांडेय उन 9 सांसदों में शामिल थे, जिन्होंने संसद के बजट सत्र के दौरान संसद भवन की कैंटीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लंच किया था। तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो BSP का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
रितेश पांडेय ने रविवार सुबह बसपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया। बीजेपी में शामिल होने पर रितेश पांडे ने कहा, 'मैं पिछले 15 साल से बीएसपी के लिए काम कर रहा था। मैं उनकी (मायावती) सोच और गतिविधियों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। इस बारे में मैंने अपने त्यागपत्र में विस्तार से लिखा है। मेरे निर्वाचन क्षेत्र में जो कुछ भी हो रहा है वह पिछले पांच सालों में हुआ है।'
कौन हैं रितेश पांडेय
42 वर्षीय रितेश पांडेय राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता राकेश पांडेय उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2022 के चुनाव में जलालपुर विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुने गए। इसके पहले राकेश पांडेय 2009 से 2014 तक आंबेडकर नगर के सांसद रहे थे।
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पिता राकेश पांडेय की विरासत को संभालते हुए रितेश पांडेय 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और उस समय राज्य सरकार में मंत्री रहे मुकुट बिहारी वर्मा को हराया था। इसके पहले रितेश पांडेय 2017 के विधानसभा चुनाव में जलालपुर से ही बसपा के विधायक चुने गए थे। बसपा प्रमुख ने रितेश पांडेय को लोकसभा संसदीय दल का नेता बनाया था।
लंदन से की मार्केटिंग एंड फाइनेंस की पढ़ाई
रितेश पांडेय ने विदेश से पढ़ाई गई है। उन्होंने लंदन के यूरोपियन स्कूल से बीए (इंटरनेशनल मार्केटिंग एंड फाइनेंस) की डिग्री हासिल की। रितेश पांडेय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, राजनीति में कदम रखने से पहले वो भारतीय कला को यूरोपीय दर्शकों से जोड़ने वाली एक कला फर्म चलाते थे। उन्होंने अंबेडकर नगर में एक प्रमुख के-12 शैक्षणिक संस्थान, तक्षशिला अकादमी, साथ ही अवध म्यूटिनियर्स फुटबॉल क्लब की स्थापना की। दावा है कि तक्षशिला अकादमी में गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के छात्रों को प्रतिस्पर्धी फुटबॉल खेलने और 100% छात्रवृत्ति पर अध्ययन करने का मौका दिया जाता है।
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Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 25 February 2024 at 17:19 IST