अपडेटेड 22 January 2024 at 08:57 IST
Pran Pratishtha क्या होती है, रामलला को आंखें खोलते ही क्यों दिखाया जाएगा आईना? जानें इसका महत्व
What is Pran Pratishtha: धर्म गुरुओं की मानें तो मूर्ति स्थापना के समय प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि को प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Pran Pratishtha Kya Hoti Hai: भारत में अभी जमीन से लेकर आसमान तक सिर्फ राम की गूंज सुनाई दे रही है। आखिर वो दिन आ ही गया जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था। 22 जनवरी यानि आज अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए देशभर में उत्साह है। लेकिन क्या आप प्राण प्रतिष्ठा का मतलब जानते हैं? पिछले कुछ दिनों से जिस बात की चर्चा तेज है आखिर उसका अर्थ क्या होता है? आइए जानते हैं।
पिछले कुछ दिनों से 'प्राण प्रतिष्ठा' शब्द के बारे में काफी सुनने को मिला है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर की नजर 22 जनवरी पर टिकी है क्योंकि इसी दिन अयोध्या में रामलला विराजमान होने वाले हैं। इस दिव्य दिन पर आइए पहले जानते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा का मतलब क्या होता है?
प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है?
धर्म गुरुओं की मानें तो मूर्ति स्थापना के समय प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि को प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। प्राण शब्द का अर्थ जीवन शक्ति से होता है तो प्रतिष्ठा का मतलब स्थापना है। साफ शब्दों में कहें तो प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ हुआ जीवन शक्ति की स्थापना करना।
प्राण प्रतिष्ठा का महत्व
प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ तो जान लिया, आइए अब बताते हैं कि इसका महत्व क्या है। आपको बता दें कि बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ति पूजा नहीं होती है। जिस भी देवता या भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होती है, वह विग्रह सीधे उस देवता या भगवान के जैसा उसी स्वरूप व एकदम वैसा ही आवतारिक स्वरूप हो जाता है। यह भगवान के साकार स्वरूप की उपासना पद्धति का श्रेष्ठतम तरीका है। मंदिरों में भगवान की मूर्ति पूजा से पहले प्राण प्रतिष्ठा बहुत जरूरी है।
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रामलला को आंखें खोलते ही क्यों दिखाया जाएगा आईना?
22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके बाद भगवान राम की मूर्ति से पट्टी हटाया जाएगा और सबसे पहले दर्पण दिखाया जाएगा। धर्म गुरुओं की मानें तो अधिवास प्रक्रिया के दौरान देवता मां के गर्व में होते हैं। गर्भ में सभी की आंखें बंद होती है। इसलिए देवताओं के आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है। ऐसी मान्यता है कि बच्चा जब पैदा होता है तो सबसे पहले अपने माता-पिता का चेहरा देखता है। लेकिन भगवान का कोई माता-पिता नहीं, इसलिए उन्हें खुद को देखना होता है।
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Published By : Ritesh Kumar
पब्लिश्ड 22 January 2024 at 08:57 IST