अपडेटेड 22 January 2024 at 06:27 IST

Ramlala Pran Pratishtha: रामलला प्राण प्रतिष्ठा पूजन के समय करें इन मंत्रों का जाप, गाएं ये आरती

Ramlala Pran Pratishtha Puja: आज अयोध्या में होने वाली राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान आपको इन मंत्रों का जाप और ये आरती जरूर करनी चाहिए।

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Ram Mandir Decoration
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा | Image: Republic

Ramlala Pran Pratishtha Puja: देशभर में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी उत्साह है। राम मंदिर समारोह के चलते हर तरफ जश्न का माहौल है। आज यानी सोमवार को अयोध्या में राम मंदिर रामलला प्राण प्रतिष्ठा का समारोह आयोजित किया जा रहा है। आज भव्य पूजा पाठ के साथ राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

शास्त्रों में भगवान राम को विशेष स्थान दिया गया है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा जाता है। माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति आस्था व विधि विधान के साथ भगवान राम की पूजा करता है तो उन पर सदैव रामजी का आशीर्वाद बना रहता है।

ऐसे में भगवान राम की कृपा पाने के लिए आपको आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान कई मत्रों के जाप के साथ-साथ आरती भी पढ़नी चाहिए। आइए जान लेते हैं कि आप आज के दिन किन मंत्रों का जाप व आरती का पाठ कर सकते हैं।

रामलला प्राण प्रतिष्ठा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

भगवान राम के सरल मंत्र

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श्री राम जय राम जय जय राम।

श्री रामचन्द्राय नमः।।

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श्री राम ध्यान मंत्र

ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,

लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

दुख-परेशानी से निजात पाने के लिए मंत्र

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

सुख-शांति के लिए मंत्र

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।

गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा।।

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।

बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्।।

रामलला प्राण प्रतिष्ठा के दौरान करें ये आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।

नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।

पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।

रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।

करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।

तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 22 January 2024 at 06:27 IST