अपडेटेड 10 March 2024 at 18:36 IST
Holi 2024: प्रह्लाद ही नहीं इन कथाओं से भी जुड़ा है होली का त्योहार, जानें क्या हैं रोचक कहानियां
Holi Festival के लिए अभी तक ज्यादातर लोगों को होलिका और प्रह्लाद वाली कहानी ही पता है, लेकिन इसके अलावा भी कई कहानियां हैं। आइए जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Holi Stories: भारत का दूसरा सबसे प्रसिद्ध और देशभर में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाने वाला हिंदू त्योहार है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत और भगवान पर भक्त की आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। यह दो दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व है। पहले दिन होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है और दूसरे दिन रंगों से होली खेली जाती है। इन दोनों की दिनों के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग इनके बारे में जानते हैं।
दरअसल होली का त्योहार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को लेकर ज्यादातर लोगों को हिरण्यकश्यप, होलिका और भक्त प्रह्लाद की कहानी के बारे में मालूम है, लेकिन इस पर्व के पीछे कई और कहानियां छुपी हुईं है, जिनके बारे में आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे।
होली (Holi 2024) से जुड़ी पहली कहानी
Holi से जुड़ी कई सारी कथाएं हैं प्रचलित है, लेकिन इसमें सबसे खास हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्नाद की कथा है। रंग खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है।
कथा के मुताबिक प्राचीन समय में असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। ऐसे में असुर पिता ने प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का काम उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि वह आग में कभी भी जल नहीं सकती।
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अपने वरदान का दुरुपयोग करते हुए होलिका ने भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गई, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई और आग में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ। तभी से होली के एक दिन पहले होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है।
रति और कामदेव से जुड़ी है होली की दूसरी कहानी
होली से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा कामदेव से जुड़ी है। इस कथा के मुताबिक सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव दुख में डूब गए थे। उनके इस क्षोभ से समूचा संचार प्रभावित होने लगता था। इसके बाद सती ने माता पर्वती के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव के मन में प्रेम भाव जगाने का प्रयास करने लगीं। इसके माता पार्वती ने कामदेव से मदद मांगी।
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कथा के मुताबिक इसके बाद कामदेव ने शिव जी के दिल में प्रेम बाण मार दिया, जिससे उनका ध्यान भंग हो गया है, लेकिन इससे महादेव को गुस्सा आ गया और उन्होंने तीसरी आंख खोलते हुए कामदेव को भस्म कर दिया।
हालांकि प्रेम के बाण ने अपना काम कर दिया था और एकबार फिर भगवान शिव संसार के कार्यों पर ध्यान देने लगे। कामदेव के इस तरह भस्म होने को देखते हुए ही होलिका दहन की शुरूआत मानी जाती है। खासतौर से दक्षिण भारत में कामदेव की कथा को सही माना जाता है और होली पर उनकी पूजा की जाती है।
होली की तीसरी कथा राधा और कृष्णा से जुड़ी है
होली से जुड़ी एक और लोकप्रिय कथा है जो भगवान कृष्ण और उनकी प्रिय राधा की चंचल हरकतों की है। कथा के अनुसार अपने शरारती स्वभाव के लिए जाने जाने वाले कृष्ण राधा के गोरे रंग से ईर्ष्या करते थे और इसे लेकर उन्हें चिढ़ाते थे। जिसके प्रतिशोध में राधा और उसकी सहेलियों ने कृष्ण को गुलाल लगाया, जिससे होली के दौरान रंगों के खेलने की परंपरा की शुरुआत हुई।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 10 March 2024 at 17:25 IST