अपडेटेड 12 January 2024 at 22:01 IST
Makar Sankranti Khichdi: बिना खिचड़ी क्यों अधूरी है मकर संक्रांति? जानें इसका धार्मिक महत्व
Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बेहद खास महत्व माना जाता है। यह त्योहार खिचड़ी के बिना अधूरा होता है, आइए जानते हैं क्यों?
- धर्म और अध्यात्म
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Khichdi Ke Bina Kyo Adhuri Hoti Hai Makar Sankranti: हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मकर संक्रांति का पर्व बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। धार्मिक दृष्टि से Makar Sankranti पर्व को बहुत ही खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। वहीं इस दिन पवित्र स्नान, दान के साथ खिचड़ी खाने का भी विधान है। मान्यता है कि बिना खिचड़ी के यह त्योहार अधूरा माना जाता है। तो चलिए इसके धार्मिक महत्व के बारे में जानते हैं।
स्टोरी में आगे ये पढ़ें...
- खिचड़ी खाने का क्या है धार्मिक महत्व?
- खिचड़ी के बिना क्यों अधूरी होती है संक्रांति?
- कहां से शुरू हुई मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा?
खिचड़ी खाने का क्या है धार्मिक महत्व?
शास्त्रों के मुताबिक खिचड़ी को नवग्रह का प्रसाद माना जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक जब व्यक्ति इसे खाता है, तो उसे तमाम ग्रह दोषों से छुटकारा मिल सकता है, लेकिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के दिन इसे खाने का क्या महत्व आइए इसके बारे में जानते हैं।
खिचड़ी के बिना क्यों अधूरी होती है संक्रांति?
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते होंगे की इसके पीछे की वजह क्या है। शास्त्रों के मुताबिक खिचड़ी में मिलाए जाने वाले चावल, दाल, हल्दी, हरी सब्जियां और बाकी चीजों का अलग-अलग ग्रहों के साथ संबंध होता है। ऐसे में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन जब खिचड़ी का सेवन किया जाता है, तो ये सभी ग्रह मजबूत होते हैं और ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
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खिचड़ी का संबंध इन ग्रहों से हैं
- खिचड़ी के चावल का संबंध चंद्रमा और शुक्र से है। यह शांति के लिए बेहद लाभकारी माने जाते हैं।
- खिचड़ी में पड़ने वाली काली दाल का सेवन और दान करने से शनि, राहू-केतु के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
- वहीं हल्दी का संबंध बृहस्पति से है।
- खिचड़ी में घी का संबंध सूर्य से है।
- खिचड़ी के साथ गुड़ खाने का विशेष विधान है। जिसका संबंध मंगल से है।
- इसके अलावा खिचड़ी में पड़ने वाली हरी सब्जियों का सबंध बुध ग्रह से है।
- ऐसे में Makar Sankranti के दिन खिचड़ी खाने से इन सभी ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है।
कहां से शुरू हुई खिचड़ी बनाने की परंपरा
मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा शिव जी के अवतार बाबा गोरखनाथ की कथा से है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खिलजी से युद्ध लड़ने के दौरान नाथ योगी न तो भोजन पकाते थे और न ही खाते थे, जिसकी वजह से धीरे-धीरे उनका शरीर कमजोर होने लगा। इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल, सब्जी को मिलाकर एक पकवान बनाने को कहा जिसे खिचड़ी का नाम दिया। तभी से हर साल मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का खास भोग लगाया जाता है और खिचड़ी खाया भी जाता है।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 12 January 2024 at 22:01 IST