अपडेटेड 27 April 2024 at 18:53 IST
Akshaya Tritiya 2024: 10 या 11 मई कब मनाई जाएगी अक्षय तृतीया? नोट कर लें सही डेट और पूजा का मुहूर्त
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है, लेकिन इस साल लोगों में इसकी डेट को लेकर कंफ्यूजन है। तो चलिए जानते हैं इस साल यह कब मनाया जाएगा।
- धर्म और अध्यात्म
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Akshaya Tritiya 2024: सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय न हो या फिर जिसका कभी नाश न हो। इस तिथि को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है यानी इस तिथि पर किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए मुहूर्त पर विचार नहीं करना पड़ता है।
अक्षय तृतीया तिथि (Akshaya Tritiya Tithi) पर दान-पुण्य और सोने-चांदी की खरीदारी का भी विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन इस साल यह दो दिन का पड़ रहा है। ऐसे में लोगों में इसकी सही डेट (Akshaya Tritiya Date) को लेकर कंफ्यूजन है। तो चलिए जानते हैं इस साल अक्षय तृतीया कब मनाई जाएगी और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
कब है अक्षय तृतीया 2024? (Kab Hai Akshaya Tritiya 2024)
हर साल वैशाख (Vaisakh) माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया का पर्व बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। पंचांग के मुताबिक इस साल इस तिथि की शुरुआत 10 मई की सुबह 4 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 11 मई की देर रात 2 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक यह 10 मई 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।
अक्षय तृतीया पर किस भगवान की पूजा होती है?
अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) और माता लक्ष्मी (Laxmi) की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि, वैभव और धन का आगमन होता है।
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अक्षय तृतीय का महत्व क्या है? (Akshaya Tritiya Ka Mahatav)
धार्मिक मान्यता के मुताबिक अक्षय तृतीया के दिन कई ऐसी धार्मिक घटानाएं हुई थी, जिसकी वजह से यह जिन बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण बन गया है। साथ ही इस दिन अबूझ साया भी होता है यानी इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं होता है, क्योंकि इस दिन किया गया शुभ और मांगलिक काम कभी भी असफल नहीं होता है और न ही किसी तरह की बाधा उत्पन्न होती है।
अक्षय तृतीया का क्यों है इतना महत्व
- इस दिन भगवान विष्ण के छठे अवतार परशुराम (Parashuram) का जन्म हुआ था।
- इसके आलावा अक्षय तृतीया के दिन ही युधिष्ठिर को कृष्णजी ने अक्षय पात्र दिया था। जिसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था और इसी पात्र से युधिष्ठिर अपने जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते थे। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व माना जाता है।
- ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अक्षय तृतीया के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद होते हैं। माना जाता है इस दौरान सूर्य और चंद्रमा दोनों ही सबसे ज्यादा चमकीले यानी सबसे ज्यादा प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।
- अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदने की परंपरा भी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गोल्ड और सिल्वर की खरीदारी करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 27 April 2024 at 18:53 IST