अपडेटेड 7 January 2024 at 06:59 IST

पानी में मौत को मात, समंदर के सिकंदर...कौन हैं मार्कोस कमांडो जिनके नाम से कांपते हैं समुद्री डकैत

MV LILA NORFOLK को हाईजैक करने वाले समुद्री डाकुओं के मार्कोस कमांडो ने 2 घंटे में छक्के छुड़ा दिए। जानें कौन है समंदर का सिकंदर कहे जाने वाले मार्कोस कमांडो।

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Indian Navy MARCOs Commando
भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडोज | Image: PTI

Indian Navy MARCOs Commando: सोमालिया तट से आगवा किए गए 'MV LILA NORFOLK' नाम के मर्चेंट शिप में फंसे भारतीयों को हमारी नौसेना ने महज 24 घंटे के अदंर खास ऑपरेशन के तहत छुड़ा लिया। 4 जनवरी को जानकारी मिली थी कि सोमावलिया के समुद्री डाकुओं ने 'MV LILA NORFOLK' मर्चेंट शिप को हाइजैक कर लिया। शिप में भारतीयों के फंसे होने की खबर के बाद नौसेना एक्टिव मोड में आ गए 2 घंटे के अंदर-अंदर इन समुद्री डाकुओं के छक्के छुड़ा दिए। ये ऑपरेशन नौसेना के मार्कोस कमांडो शामिल थे। मार्कोस कमांडो को समंदर का शिकंदर भी कहा जाता है।

खबर में आगे पढ़ें:

  • कौन हैं मार्कोस कमांडो?
  • मार्कोस कमांडो में क्या है खास?
  • पानी में मौत को मात देने में हैं एक्सपर्ट

जिस ऑपरेशन को कठिन मारा जा रहा था उसे भारतीय सेना के विशिष्ट समुद्री कमांडो 'मार्कोस' ने 24 घंटे में ही खत्म कर दिया। मार्कोस कमांडो के बारे में कई बातें कही जाती है। कहा जाता है कि ये वो हैं, जो पानी में मौत को भी मात देने का हुनर रखते हैं। इनके कारनामों की वजह से इन्हें समंदर का सिकंदर कहा जाता है। इतना ही नहीं इन्हें चलता-फिरता प्रेत भी कहा जाता है।

कौन हैं मार्कोस कमांडो?

मार्कोस भारतीय सेना यानि इंडियन नेवी की एक खास यूनिट का नाम है। मार्कोस समंदर में दुश्मनों के दांत खट्टे कर देते हैं। समंदर के सिकंदर को आधिकारिक तौर पर मरीन कमांडो फोर्स (MCF) कहा जाता है। मार्कोस कमांडो को अनकंवेंशनल वॉरफेयर, होस्‍टेज रेस्‍क्‍यू, पर्सनल रिकवरी जैसे कठिन ऑपरेशनों में शामिल किया जाता रहा है। 70 के दशक में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद 1987 में MCF का गठन किया गया।

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पानी में दुश्मनों के छक्के छुड़ा ने के लिए के 1986 से ही MCF बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। पहले तो मैरीटाइम स्पेशल फोर्स की योजना शुरू की गई। लेकिन इसके एक साल बाद फिर मार्कोस कमांडो यूनिट को अस्तित्व में लाया गया। बता दें, 1991 में इसका नाम मार्कोस कमांडो फोर्स रखा गया था।

सबसे मुश्किल होती है मार्कोस कमांडो की ट्रेनिंग

कहा जाता है कि सेना के किसी भी दूसरे विंग में इतनी ज्यादा कठिन ट्रेनिंग नहीं दी जाती है, जितनी मार्कोस कमांडों की होती है। मार्कोस के कमांडरों की ट्रेनिंग तीन साल की होती है, जो इतनी मुश्किल होती है कि हजारों में से कुछ ही सैनिक यहां आखिर तक पहुंच पाते हैं। लेकिन जो एक बार अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ले फिर उसे मात दे पाना मुश्किल हो जाता है। इंडियन नेवी के साथ-साथ ब्रिटिश और अमेरिकी नेवी के ट्रेनरों से भी इन्हें ट्रेनिंग दिलवाई जाती है। मार्कोस में ज्यादातर 20-22 साल के युवाओं को लिया जाता है।

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फिलहाल मार्कोस में 1200 कमांडो मौजूद हैं। ट्रेनिंग के दौरान मुश्किल से 4-5 घंटे सोने के लिए दिया जाता है। इसके अलावा इन्हें रात के समय भी ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हें सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि सारे ही परिस्थितियों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 6 January 2024 at 22:02 IST