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अपडेटेड May 8th 2025, 16:32 IST

S-400: पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत का ये सुदर्शन चक्र काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, बॉर्डर पर दिखाया अपना जलवा

रूस से प्राप्त एस-400 सिस्टम को लेकर भारत ने 2018 में लगभग ₹35,000 करोड़ के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत देश को पांच स्क्वॉड्रन मिलने थे।

Reported by: Ravindra Singh
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S-400: पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत का ये सुदर्शन चक्र काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, बॉर्डर पर दिखाया अपना जलवा | Image: Wikipedia

S-400 Sudarshan Chakra: भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर स्थिति अब अत्यधिक तनावपूर्ण हो गई है। हालात तब और बिगड़ गए जब पहलगाम में एक आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस हमले का उद्देश्य ना तो आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाना था, और ना ही पाकिस्तानी सेना को, बल्कि इसका लक्षय सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था। इसके बावजूद, पाकिस्तान ने भारत के इस प्रयास को नकारते हुए और बढ़ते हुए, भारत पर पलटवार करने का निर्णय लिया और उसने भारतीय सीमा पर हमला शुरू कर दिया। यह घटनाक्रम दोनों देशों के बीच सीमा पर और अधिक तनाव का कारण बन गया, और हालात अब बेकाबू होते दिखाई देने लगे हैं।


भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच, पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा (LoC) से सटे गांवों पर की जा रही लगातार गोलीबारी में कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई है। इसी बीच 7 से 8 मई की रात पाकिस्तान ने एक और बड़ा कदम उठाया। भारत सरकार के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत के कुल 15 शहरों को निशाना बनाते हुए मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश की। हालांकि, भारत के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया और सभी हमलों को नाकाम कर दिया गया। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट मोड में रहकर समय रहते हर मिसाइल और ड्रोन को ट्रैक और न्यूट्रलाइज़ कर दिया, जिससे किसी बड़े नुकसान से देश बच गया। इस घटना ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर जारी तनाव को और गंभीर बना दिया है, और दोनों देशों के बीच स्थिति अब बेहद संवेदनशील हो गई है।


एस-400 'सुदर्शन चक्र': भारत का अभेद्य सुरक्षा कवच ने हर वार को किया नाकाम

भारत ने हाल ही में एक बड़े खतरे को टालते हुए यह साबित कर दिया है कि उसकी वायु रक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे प्रभावशाली प्रणालियों में से एक है। पाकिस्तान द्वारा किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम करने में भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 ने अहम भूमिका निभाई। इस प्रणाली को भारतीय सेना ने 'सुदर्शन चक्र' नाम दिया है, जो अब राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। भारत पिछले कुछ वर्षों से अपनी सुरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में लगातार निवेश कर रहा था, और इस संकट की घड़ी में यह निवेश पूरी तरह सफल साबित हुआ। रूस से प्राप्त एस-400 सिस्टम को लेकर भारत ने 2018 में लगभग ₹35,000 करोड़ के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत देश को पांच स्क्वॉड्रन मिलने थे। यह अपडेटेड मॉडल 400 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को पहचानने और नष्ट करने में सक्षम है। वर्तमान में भारत ने इस प्रणाली को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, खासकर पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के पास, तैनात कर रखा है। पाकिस्तान द्वारा हाल ही में 15 भारतीय शहरों को निशाना बनाकर किए गए हमलों के दौरान, 'सुदर्शन चक्र' ने देश की सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित किया, जिससे किसी भी तरह की क्षति नहीं हुई।


एस-400: हथियार नहीं 'महाबली' सुरक्षा कवच

भारत की वायु सुरक्षा प्रणाली अब सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि एक 'महाबली' बन चुकी है। एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम ऐसा हथियार है, जो दुश्मन की हर चाल को हवा में ही ध्वस्त कर देता है। यह प्रणाली इतनी सटीक और घातक है कि आसमान से आने वाला कोई भी हमला चाहे वह ड्रोन हो, मिसाइल या फाइटर जेट पलभर में राख में बदल सकता है। दुनिया भर में एस-400 को सबसे उन्नत और सक्षम एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम माना जाता है। इसकी तुलना किसी भी आधुनिक प्रणाली से की जाए, तो यह हर कसौटी पर अव्वल साबित होती है। भारत के लिए पाकिस्तान और चीन हमेशा से रणनीतिक और सैन्य चुनौती रहे हैं। इन दोनों देशों के साथ भारत का युद्ध भी हो चुका है, और ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक विश्वसनीय और शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली की जरूरत समय की मांग थी। एस-400 ने भारत को वह ताकत दी है, जिससे वह अब न केवल अपने आकाशीय क्षेत्र की रक्षा कर सकता है, बल्कि शक्ति संतुलन बनाए रखते हुए दुश्मन को मनोवैज्ञानिक रूप से भी पीछे धकेल सकता है। भारत द्वारा रूस से प्राप्त इस प्रणाली ने यह साबित कर दिया है कि अब कोई भी साजिश देश की सीमाओं को लांघने में सफल नहीं हो सकती।

एस-400: हवा में दुश्मन का विनाशक, एक साथ दागता है 72 मिसाइलें

भारतीय वायु रक्षा प्रणाली का सबसे ताकतवर हथियार एस-400 'सुदर्शन चक्र' सिर्फ एक मिसाइल सिस्टम नहीं, बल्कि एक ऐसा सुरक्षा कवच है, जिसे भेदना दुश्मनों के लिए लगभग असंभव है। इसे नाटो द्वारा SA-21 Growler के नाम से जाना जाता है और यह प्रणाली विश्व की सबसे उन्नत लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल प्रणालियों में से एक है। एक साथ 72 मिसाइलें दागने की क्षमता रखने वाला एस-400 अपने आप में एक युद्धक क्षमता का चमत्कार है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसका मोबाइल होना है इसे 8x8 ट्रक पर आसानी से माउंट किया जा सकता है, जिससे इसे किसी भी स्थान पर तेज़ी से तैनात और फिर स्थानांतरित किया जा सकता है। यही कारण है कि इसकी कोई निश्चित लोकेशन नहीं होती, जिससे दुश्मन के लिए इसे ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है।


जानिए कितनी है एस-400 की अटैंकिंग रेंज

एस-400 की चार श्रेणियों की मिसाइलें 40 किमी, 100 किमी, 200 किमी और 400 किमी की रेंज में हर तरह के हवाई खतरों को खत्म करने में सक्षम हैं। यह सिस्टम 100 फीट से लेकर 40,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ रहे टारगेट को सटीकता से पहचान सकता है और उन्हें निष्क्रिय कर सकता है। इसके अत्याधुनिक रडार सिस्टम की मदद से यह 600 किलोमीटर दूर तक खतरे को भांप सकता है और एक साथ दर्जनों लक्ष्यों पर नज़र रखते हुए उन्हें ट्रैक कर सकता है। इतना ही नहीं, यह मिसाइल प्रणाली -50°C से लेकर -70°C तक के कठोर तापमान में भी बिना किसी प्रभाव के काम कर सकती है, जो इसे किसी भी मौसम और युद्ध परिस्थिति में पूरी तरह भरोसेमंद बनाता है। एस-400 की यह बहुआयामी क्षमता ही है जिसने भारत को दुश्मन देशों के सामने एक रणनीतिक बढ़त दिलाई है एक ऐसा ढाल, जो सिर्फ रक्षा नहीं करता, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनाता है।

एस-400: जो 300 दुश्मनों पर एक साथ रखती है नजर

भारत की वायु सुरक्षा की रीढ़ बन चुकी एस-400 'सुदर्शन चक्र' प्रणाली केवल एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम नहीं, बल्कि तकनीक और रणनीति का अद्भुत संगम है। इसकी सबसे बड़ी खूबियों में से एक इसका अत्याधुनिक रडार सिस्टम है, जो 600 किलोमीटर की रेंज में एक साथ करीब 300 लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है। चाहे हमला मिसाइल से हो, लड़ाकू विमान से या ड्रोन से एस-400 हर प्रकार के हवाई ख़तरों से प्रभावी ढंग से निपट सकता है। इस प्रणाली की कहानी भी उतनी ही रोचक है जितनी इसकी तकनीक। शीत युद्ध के दौर में रूस और अमेरिका के बीच हथियारों की होड़ ने आधुनिक रक्षा प्रणालियों के विकास को जन्म दिया। जब रूस अमेरिका जैसे आक्रामक मिसाइल सिस्टम नहीं बना सका, तो उसने एक नया रास्ता अपनाया ऐसी प्रणाली बनाना जो इन मिसाइलों को लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही खत्म कर दे।


जानिए कब से हुई 'एस सीरीज' डिफेंस सिस्टम की शुरुआत

  • 1967 में रूस ने एस-200 विकसित की
  • 1978 में एस-300 आया
  • 1990 में एस-400 को डिज़ाइन किया गया
  • इसके बाद, 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई और अंततः 28 अप्रैल 2007 को रूस ने इसे आधिकारिक रूप से तैनात किया। 
  • इस एडवांस्ड सिस्टम की अंतरराष्ट्रीय मांग इतनी ज़्यादा रही कि मार्च 2014 में रूस ने इसे चीन को बेचा
  • 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इसकी पहली डिलीवरी दी गई
  • आज, भारत जैसे देश इस सिस्टम को न केवल अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात कर रहे हैं, बल्कि इसे एक रणनीतिक ताकत और सैन्य संतुलन का केंद्रबिंदु बना चुके हैं

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पब्लिश्ड May 8th 2025, 16:32 IST