अपडेटेड 27 April 2025 at 18:44 IST
Declaration of War: युद्ध का ऐलान कैसे होता है, क्या भारत-पाकिस्तान के बीच हैं युद्ध जैसे हालात?
Declaration of War : आजकल युद्ध की औपचारिक घोषणा कम हो गई है, क्योंकि कई संघर्ष अनौपचारिक रूप से शुरू हो जाते हैं। औपचारिक युद्ध की घोषणा दुर्लभ है।
- डिफेंस न्यूज
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India- Pakistan war : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तल्खी बढ़ गई है। भारतीय सेना युद्धाभ्यास कर रही है और अरब सागर में नौसेना ने एंटी शिप मिसाइल का परीक्षण किया है। इसके अलावा तीनों सेनाओं को अलर्ट पर रखा गया है। दिल्ली में हाई लेवल मीटिंग का दौर जारी है। सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी जम्मू-कश्मीर का दौरा करने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को तैयारियों को लेकर ब्रीफ कर चुके हैं। इसी बीच रविवार को CDS चीफ अनिल चौहान ने भी रक्षा मंत्री से मुलाकात की है।
PM नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि भारत पहलगाम आंतकी हमले का बदला लेगा और दोषियों को सजा देगा। PM मोदी ने देश को आतंक के खात्मे का भरोसा दिलाया है। भारत सरकार पहले ही पाकिस्तानियों को देश छोड़ने का आदेश दे चुकी है और भारतीयों को पाकिस्तान ना जाने की सलाह दी है। इसके बाद अटारी-बाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानियों की लंबी कतार लगी है। तो क्या भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ने वाला है? हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है।
कैसे होता है युद्ध का ऐलान? Declaration of War
युद्ध का ऐलान आमतौर पर एक औपचारिक प्रक्रिया होती है, जिसमें एक देश, दूसरे देश के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू करने की घोषणा करता है। यह प्रक्रिया अलग-अलग देशों के कानूनों, अंतरराष्ट्रीय नियमों और ऐतिहासिक परंपराओं पर निर्भर करती है। युद्ध की घोषणा से पहले देश अक्सर राजनयिक चैनलों के माध्यम से एक-दूसरे को अल्टीमेटम देते हैं या फिर कूटनीतिक संबंध तोड़ने की धमकी देते हैं। प्रथम विश्व युद्ध में ऑस्ट्रिया और हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया था। जिसके अस्वीकार होने पर युद्ध की घोषणा की गई थी।
औपचारिक घोषणा
आमतौर पर युद्ध की घोषणा देश का शीर्ष नेतृत्व जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या संसद करती है। जिसमें आधिकारिक बयान या दस्तावेज जारी किया जाता है। इसका उदाहरण द्वितीय विश्व युद्ध में देखने को मिलता है। दूसरे विश्व युद्ध में औपचारिक रूप से उतरते समय कई देशों ने युद्ध की घोषणा की थी। 1941 में पर्ल हार्बर हमले के बाद अमेरिका ने जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।
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कई देशों में युद्ध की घोषणा के लिए संसद या विधायिका की मंजूरी ली जाती है। भारत ऐसा ही लोकतांत्रिक देश है, भारत में संसद की सहमति महत्वपूर्ण होती है। कुछ देशों के संविधान में युद्ध की घोषणा की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय नियम क्या कहते हैं?
वर्तमान में अगर दो बड़े देशों के बीच युद्ध होता है, तो इसके परिणाम सोच से परे हो सकते हैं। आज के युद्ध बेहद खतरनाक हथियारों से लड़े जाते हैं। युद्ध को टालने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ नियम बनाए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र चार्टर का (अनुच्छेद 2(4)) कहता है कि किसी भी देश को बल प्रयोग से बचना चाहिए। सिवाय आत्मरक्षा या सुरक्षा परिषद की मंजूरी के।
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हालांकि, आजकल युद्ध की औपचारिक घोषणा कम हो गई है, क्योंकि कई संघर्ष अनौपचारिक रूप से शुरू हो जाते हैं। औपचारिक युद्ध की घोषणा दुर्लभ है। इसकी जगह देश सैन्य हस्तक्षेप, आत्मरक्षा और शांति स्थापना जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं। 2003 में इराक युद्ध इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अमेरिका ने औपचारिक युद्ध की घोषणा की जगह 'ऑपरेशन इराकी फ्रीडम' का नाम दिया।
क्या भारत-पाकिस्तान में होगा युद्ध?
पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर भारतीय पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा माना जाने वाले द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। भारत ने इसे सीमा पार आतंकवाद से जोड़कर पाकिस्तान पर हमले को समर्थन देने का आरोप लगाया है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है। दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत ने कड़े फैसले लेकर पाकिस्तान को बर्बाद करने की कहानी लिख दी है। पाकिस्तान के बड़े नेता लगातार धमकी दे रहे हैं। सीमाओं पर कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।
राफेल-सुखोई युद्धाभ्यास
आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान मिसाइल परीक्षण का नोटिफिकेशन देकर ये जता दिया है कि यह टकराव सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है। भारतीय वायुसेना युद्धाभ्यास कर रही है। भारत के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों राफेल और सुखोई-30 की गरज आसमान में सुनाई दे रही है। राफेल और सुखोई-30 जैसे घातक विमानों की तैनाती यह बताती है कि स्थिति बेहद नाजुक है।
राजनयिकों से मीटिंग
PM Modi ने आतंकी हमले के बाद कई देशों के प्रमुखों से फोन पर बात की है। खबर है कि प्रधानमंत्री ने 13 देशों के प्रमुखों से बात कर हमले में पाकिस्तान के हाथ की पूरी जानकारी दी है। इसके अलावा दिल्ली में 30 देश के राजनयिकों से मीटिंग कर भारत ने पहलगाम हमले की पूरी जानकारी दी है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन जैसे देशों के राजदूत शामिल रहे।
राष्ट्रपति से गृह मंत्री और विदेश मंत्री की मुलाकात
हमले के बाद 24 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। इस बैठक में अमित शाह दो लाल फाइल के साथ देख गए थे। आमतौर पर ऐसी बैठकें बड़े फैसले लेने के दौर की जाती है, और वर्तमान स्थिति ये इशारा करती है कि भारत इस बार निर्णायक कार्रवाई करने जा रहा है।
सर्वदलीय बैठक
हमले के बाद केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमें विपक्षी पार्टियों को पूरी स्थिति की जानकारी दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विपक्ष ने एक सुर में सरकार को पूरा समर्थन देने की बात कही।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 27 April 2025 at 17:24 IST