Published 13:54 IST, October 14th 2024
RBI ने सीमा पार धन प्रेषण की लागत और समय कम करने पर जोर दिया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सोमवार को विदेश भेजे जाने वाले धन में लगने वाले समय और लागत को कम करने की वकालत की, जो भारत सहित विभिन्न विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सोमवार को विदेश भेजे जाने वाले धन में लगने वाले समय और लागत को कम करने की वकालत की, जो भारत सहित विभिन्न विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) द्वारा जारी विश्व प्रवासन रिपोर्ट 2024 के अनुसार, पिछले वर्ष भारत का धन प्रेषण अन्य सभी देशों से आगे बढ़कर 111 अरब डॉलर हो गया।
बैंक ऑफ इंग्लैंड के अनुमान के अनुसार, वैश्विक सीमा पार भुगतान का मूल्य 2027 तक 250 लाख करोड़ डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि सीमा पार श्रमिकों द्वारा भेजे जाने वाले धन की महत्वपूर्ण मात्रा, पूंजी के सकल प्रवाह का बढ़ता आकार और सीमा पार ई-कॉमर्स के बढ़ते महत्व ने इस वृद्धि में उत्प्रेरक का काम किया है।
दास ने 'सेंट्रल बैंकिंग एट क्रॉसरोड्स' विषय पर आयोजित सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा, “भारत सहित कई उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए सीमा पार पीयर-टू-पीयर (पी2पी) भुगतान की संभावनाओं को तलाशने के लिए धन प्रेषण शुरुआती बिंदु है। हमारा मानना है कि ऐसे धन प्रेषणों की लागत और समय को महत्वपूर्ण रूप से कम करने की अपार संभावनाएं हैं।”
उन्होंने कहा कि इसके अलावा डॉलर, यूरो और पाउंड जैसी प्रमुख व्यापारिक मुद्राओं में लेनदेन निपटाने के लिए वास्तविक समय सकल निपटान (आरटीजीएस) के विस्तार की व्यवहार्यता द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यवस्था के माध्यम से तलाशी जा सकती है।
दास ने कहा कि भारत और कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों तरीकों से सीमा पार तीव्र भुगतान प्रणालियों के संपर्क का विस्तार करने के प्रयास पहले ही शुरू कर दिए हैं।
इनमें ‘प्रोजेक्ट नेक्सस’ भी शामिल है, जो चार आसियान देशों (मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड) और भारत की घरेलू त्वरित भुगतान प्रणालियों (आईपीएस) को आपस में जोड़कर त्वरित सीमा पार खुदरा भुगतान को सक्षम करने के लिए एक बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय पहल है।
द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत भारत द्वारा सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मॉरीशस, श्रीलंका, नेपाल आदि के साथ सीमा पार भुगतान संपर्क पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक और क्षेत्र है जिसमें कुशल सीमा-पार भुगतान की सुविधा प्रदान करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि मानकों और अंतर-संचालन का सामंजस्य सीबीडीसी के लिए सीमा-पार भुगतान और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी गंभीर वित्तीय स्थिरता चिंताओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
आरबीआई गवर्नर ने बैंकिंग क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआई) के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई और कहा कि इससे साइबर हमले और डेटा उल्लंघन की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
उन्होंने कहा, 'बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को इन सभी जोखिमों के खिलाफ पर्याप्त जोखिम शमन उपाय करने चाहिए। अंतिम विश्लेषण में, बैंकों को एआई और बिगटेक के लाभों का लाभ उठाना चाहिए।'
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 13:54 IST, October 14th 2024