अपडेटेड 5 December 2024 at 14:45 IST

गांवों में स्वसहायता समूहों के लिए निर्यात केंद्रों की भूमिका निभा रहे हैं डाक घर: सरकार

ग्रामीण समुदायों, खास कर महिलाओं के वित्तीय समावेशन के लिए डाक घरों को महत्वपूर्ण बताते हुए सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि इनका का आधुनिकीकरण किया गया है ताकि सेवाओं में कोई कमी न रहे।

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On December 29, the BJP government raised the interest rates on the three-year post office term deposit (POTD) scheme by 10 basis points for the January-March quarter.
डाक घर | Image: Facebook Photo

ग्रामीण समुदायों, खास कर महिलाओं के वित्तीय समावेशन के लिए डाक घरों को महत्वपूर्ण बताते हुए सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि इनका का आधुनिकीकरण किया गया है ताकि सेवाओं में कोई कमी न रहे और यही वजह है कि गांवों में स्वसहायता समूहों के लिए ये डाक घर निर्यात केंद्रों की भूमिका निभा रहे हैं।

संचार राज्य मंत्री डॉ चंद्रशेखर पेन्नासानी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि डाक घर आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘गांवों में, खास कर महिलाओं के लिए इनका बेहद महत्व है क्योंकि मोदी सरकार के आने के बाद राष्ट्रीय बैंक में 20 फीसदी से अधिक खाते महिलाओं के हैं वहीं पेमेंट बैंक में 45 फीसदी से अधिक खाते महिलाओं के हैं। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया।’’

डॉ पेन्नासानी ने कहा कि डाक घरों के आधुनिकीकरण के लिए 5,700 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और पोस्टमैन को 1.4 लाख मोबाइल फोन, 1.4 लाख थर्मल प्रिंटर और तीन लाख बायोमीट्रिक उपकरण की सुविधा दी गई है ताकि वे लोगों को घरों पर मोबाइल एटीएम की सुविधा उपलब्ध करा सकें।

उन्होंने कहा कि सेवाओं को कार्यान्वित करने योग्य बनाने के साथ ही किफायती बनाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।

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डॉ पेन्नासानी ने कहा कि देश के 1,800 पोस्ट ऑफिस आज निर्यात केंद्र बन गए हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में स्व सहायता समूहों को इन पोस्ट ऑफिस से उनके स्थानीय उत्पादों के निर्यात में खासी मदद मिल रही है और हर गांव को डाक घर से जोड़ा गया है।

एक पूरक प्रश्न के उत्तर में संचार राज्य मंत्री ने बताया कि 2004 से 2014 के बीच एक लाख 55 हजार पोस्ट ऑफिस की संख्या घट कर 700 रह गई थी।

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने के बाद इनकी संख्या बढ़ा कर 16,500 कर दी गई और इनमें से 90.1 फीसदी पोस्ट ऑफिस ग्रामीण इलाकों और दूरदराज के इलाकों में हैं।

उन्होंने कहा कि 5,000 पोस्ट ऑफिस वामपंथ उग्रवाद प्रभावित इलाकों में स्थापित किए गए।

उन्होंने बताया कि 2013-14 में चार लाख 50 हजार कर्मी थे और आज भी इनकी संख्या इतनी ही है तथा किसी को नौकरी से नहीं निकाला गया है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ पेन्नासानी ने बताया कि ग्रामीण डाक सेवा में 2014 से पहले तक नियुक्तियां जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा की जाती थी। उन्होंने कहा, ‘‘बाद में हमने इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बना दिया और नियम तय किए गए। अब नियुक्तियां पारदर्शी तरीके से होती हैं।’’

द्रमुक सदस्य पी विल्सन के पूरक प्रश्न के उत्तर में पेन्नासामी ने बताया कि डाक घरों के लिए कर्मियों की भर्ती नियमित प्रक्रिया के अनुसार, नियमों के अनुसार होती है।

ऑनलाइन भुगतान के बारे में उन्होंने बताया कि 2014 के पहले तक इंटरनेट का उपयोग नहीं किया जाता था। उन्होंने कहा, ‘‘राजग सरकार ने नयी प्रौद्योगिकी को महत्व दिया और आज हर डाक घर में कम से कम दो इंटरनेट कनेक्शन हैं। कर्मियों को एक लाख से अधिक मोबाइल फोन दिए गए ताकि वे लोगों को घरों पर सेवाएं दे सकें। पुराने कंप्यूटरों को बदला गया है और आधुनिक सुविधाएं स्थापित की गई हैं।’’

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 5 December 2024 at 14:45 IST