अपडेटेड 15 December 2024 at 11:33 IST

आयात बढ़ने और मांग घटने से बीते सप्ताह ज्यादातर तेल-तिलहन के दाम टूटे

Oilseeds prices: खाद्य तेलों का आयात 39 प्रतिशत बढ़ने और मांग कमजोर रहने के बीच खाद्य तेल-तिलहन बाजार में सभी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।

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प्रतीकात्मक तस्वीर | Image: Unsplash

Oilseeds prices: नवंबर के महीने में खाद्य तेलों का आयात 39 प्रतिशत बढ़ने और मांग कमजोर रहने के बीच बीते सप्ताह देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में सभी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। इस गिरावट के चलते सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के दाम नुकसान के साथ बंद हुए।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि नवंबर में खाद्य तेलों का आयात बढ़ने की खबरों के बीच बीते सप्ताह मांग कमजोर रहने से खाद्य तेल-तिलहनों के दाम पूर्व सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट के साथ बंद हुए।

उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में सीपीओ का दाम 1,305-1,310 डॉलर प्रति टन से घटकर 1,270-1,275 डॉलर प्रति टन रह गया। इस वजह से मुख्यत: पाम, पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। हालांकि, देश में गत शुक्रवार रात में पाम, पामोलीन और सोयाबीन तेल के आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि की गई है। इससे आगे इन तेलों के दाम बढ़ सकते हैं। लेकिन यह भी तथ्य है कि जब मौजूदा दाम पर ही पाम-पामोलीन के लिवाल नहीं हैं, तो बढ़े हुए दाम पर लिवाल मिलना और मुश्किल होता जायेगा।

उन्होंने कहा कि बंदरगाह पर पामोलीन तेल को आयात करने की लागत (बगैर मुनाफा जोड़े) 142 रुपये किलो बैठता है और 134 रुपये किलो के भाव पर भी इस तेल के लिवाल कम हैं। इसका कारण बंदरगाहों पर सोयाबीन तेल का दाम 124 रुपये किलो होना है। सोयाबीन तेल के सस्ता रहते जाड़े में कौन पामोलीन खरीदना चाहेगा जिसमें ठंड में जमने की प्रवृति होती है।

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सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों की आवक पहले के लगभग 1.80 लाख बोरी से घटकर पिछले शनिवार को लगभग 1.20-1.25 लाख बोरी रह गई। लेकिन आवक घटने के बावजूद सरसों तेल-तिलहन में गिरावट नवंबर में खाद्य तेलों का आयात बढ़ने की वजह से आई है।

उन्होंने कहा कि नवंबर में आयात बढ़ने के बाद पैसों की तंगी को दूर करने के लिए आयातकों ने आयात लागत के मुकाबले सोयाबीन तेल की बिक्री एक प्रतिशत नीचे दाम पर यानी पाम-पामोलीन से 3-4 प्रतिशत कम कीमत पर की। इस वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में पाम-पामोलीन के अलावा सोयाबीन तेल-तिलहन में भी गिरावट आई। सोयाबीन में 18 प्रतिशत तेल और 82 प्रतिशत डी-आयल्ड केक (डीओसी) निकलता है। जबतक डीओसी का बाजार विकसित नहीं होगा या डीओसी का निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार सब्सिडी नहीं देगी, तो सोयाबीन प्लांट वाले खरीद नहीं करेंगे। यह भी सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट का मुख्य कारण है।

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इसका दबाव सरसों पर भी दिखा और पिछले सप्ताह मांग कमजोर रहने की वजह से भी सरसों तेल-तिलहन में गिरावट दर्ज हुई।

उन्होंने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को बिनौला सीड को खरीद भाव के हिसाब से तय कर बेचना चाहिये नहीं तो बाजार धारणा प्रभावित होती रहेगी। या फिर सीसीआई को उचित समय का इंतजार करते हुए बिनौला का स्टॉक बनाना चाहिये नहीं तो सट्टेबाज सीसीआई से बिनौला सीड सस्ते में खरीद कर उसका स्टॉक बना लेंगे।

इस बार कपास का उत्पादन भी कम है और इस मायने में भी बिनौला को औने-पौने दाम पर बेचना अनुचित है।

सूत्रों ने कहा कि सीसीआई द्वारा बिनौला सीड की कम दाम पर बिकवाली से पहले, जो किसान पंजाब, हरियाणा में कपास नरमा की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10 प्रतिशत ऊंचे दाम पर कर रहे थे वही सीसीआई द्वारा खरीद की लागत से सस्ते दाम पर बिनौला सीड की बिकवाली करने के बाद कपास नरमा को एमएसपी से लगभग 5-7 प्रतिशत नीचे दाम पर बेचने को मजबूर हैं। सीसीआई की बिनौला सीड की सस्ते दाम पर बिकवाली करने से पहले किसानों को कपास नरमा के जो दाम पहले 8,000-8,200 रुपये क्विंटल मिल रहे थे, वे अब हाजिर बाजार में घटकर 6,500-7,000 रुपये क्विंटल रह गए हैं।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला सीड का दाम कमजोर रहने की वजह से इसका सीधा असर मूंगफली तेल-तिलहन पर भी देखने को मिल रहा है। बिनौला खल का दाम टूटा होने तथा मूंगफली खल की मांग कमजोर रहने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन में भी गिरावट देखी गई।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 75 रुपये की गिरावट के साथ 6,500-6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 200 रुपये की गिरावट के साथ 13,525 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,260-2,360 रुपये और 2,260-2,385 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 75 रुपये और 10 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,225-4,275 रुपये और 3,925-4,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 385 रुपये, 600 रुपये और 435 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 13,500 रुपये, 13,250 रुपये और 9,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट देखने को मिली। मूंगफली तिलहन का भाव 325 रुपये की गिरावट के साथ 5,975-6,300 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ, वहीं मूंगफली तेल गुजरात 50 रुपये की गिरावट के साथ 14,450 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव पांच रुपये की गिरावट के साथ 2,180-2,480 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

मलेशिया में दाम टूटने की वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 250 रुपये घटकर 13,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 350 रुपये की गिरावट के साथ 14,400 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 300 रुपये की गिरावट के साथ 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

गिरावट के आम रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 650 रुपये की गिरावट के साथ 12,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

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Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 15 December 2024 at 11:33 IST