अपडेटेड 21 August 2025 at 22:43 IST
ITR फाइल करने की यह है अंतिम तारीख, अगर नहीं भरा तो देना होगा इतना जुर्माना
ITR Filing last date: लेट रिटर्न पर धारा 234एफ के तहत विलंब शुल्क (Late Fine) लगेगा। धारा 234F के अनुसार, यदि रिटर्न धारा 139(1) में निर्दिष्ट तय तारीख के बाद जमा किया जाता है, तो 5,000 रुपये का विलंब शुल्क देना होगा। हालांकि, यदि व्यक्ति की कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो यह विलंब शुल्क 1,000 रुपये का होगा।
- बिजनेस न्यूज
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ITR Filing last date: आईटीआर का अर्थ है आयकर रिटर्न । यह एक निर्धारित फॉर्म है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति द्वारा एक वित्तीय वर्ष में अर्जित आय और उस आय पर चुकाए गए टैक्स की जानकारी आयकर विभाग को सूचित किया जाता है। यह नुकसान को आगे ले जाने और आयकर विभाग से धनवापसी का दावा करने की भी अनुमति देता है। मिली जानकारी के अनुसार, आयकर पोर्टल पर वर्तमान में कुल 13.21 करोड़ व्यक्तिगत रजिस्टर्ड यूजर्स हैं।
अब बात करते हैं ITR Filing last date की। जी हां, आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा उन सभी करदाताओं के लिए 15 सितंबर, 2025 तक बढ़ा दी गई है, जिनके लिए यह पहले 31 जुलाई, 2025 थी। अगर आपने अभी तक फाइल नहीं किया है तो कर दें, नहीं तो जुर्माना देना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि तय समय के बाद अगर आप आईटीआर फाइल करते हैं तो कितना जुर्माना देना होगा इसके साथ ही जानेंगे कि आईटीआर फाइल करते समय किन जरूरी बातों का खास ध्यान रखना चाहिए...
अंतिम तारीख के बाद ITR फाइल करने पर लगेगा इतना जुर्माना
धारा 139(4) के अंतर्गत विलंबित इनकम डिटेल्स प्रस्तुत की जाती है। कोई भी व्यक्ति जिसने धारा 139(1) के तहत तय समय के भीतर या धारा 142(1) के तहत जारी नोटिस के तहत तय समय के भीतर आयकर रिटर्न फाइल नहीं किया है , तो वह किसी भी पिछले वर्ष के लिए रिटर्न प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि, लेट रिटर्न पर धारा 234एफ के तहत विलंब शुल्क (Late Fine) लगेगा। धारा 234F के अनुसार, यदि रिटर्न धारा 139(1) में निर्दिष्ट तय तारीख के बाद जमा किया जाता है, तो 5,000 रुपये का विलंब शुल्क देना होगा। हालांकि, यदि व्यक्ति की कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो यह विलंब शुल्क 1,000 रुपये का होगा।
टैक्स का भुगतान न करने पर ब्याज, जुर्माना और जेल का प्रावधान
मिली जानकारी के अनुसार, टैक्स का भुगतान न करने पर ब्याज, जुर्माना और अभियोजन का प्रावधान है। अभियोजन के परिणामस्वरूप 3 महीने से 2 वर्ष तक का कठोर कारावास हो सकता है। वहीं, यदि टैक्स चोरी की राशि 25,00,000 रुपये से अधिक हो, तो सजा 6 महीने से 7 वर्ष तक हो सकती है।
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आईटीआर फाइल करते समय इन बातों का रखें खास ध्यान
इनकम टैक्स की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, आयकर रिटर्न फाइल करते समय इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।
1) पहली और सबसे महत्वपूर्ण सावधानी यह है कि नियत तारीख पर या उससे पहले आयकर रिटर्न दाखिल किया जाए। करदाताओं को विलंबित रिटर्न दाखिल करने की प्रथा से बचना चाहिए।
आयकर/हानि (हाउस प्रॉपर्टी के नुकसान के अलावा) की रिटर्न दाखिल करने में देरी के निम्नलिखित परिणाम हैं:
a. नुकसान को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
b. धारा 234A के तहत ब्याज का लेवी।
c. नियत तारीख के बाद दाखिल रिटर्न के लिए धारा 234F के तहत देर से दाखिल करने का शुल्क लगाया जाता है। यदि नियत तारीख के बाद रिटर्न प्रस्तुत किया जाता है तो 5,000 रुपये का विलंबित दाखिल शुल्क देय होगा। हालांकि, यदि कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो भुगतान की जाने वाली विलंबित दाखिल शुल्क की राशि 1,000 रुपये होगी । 80-IA , 80-IAB , 80-IB , 80-IC , 80-ID और 80-IE के अंतर्गत कटौती उपलब्ध नहीं है। 80IAC , 80IBA , 80JJA , 80JJAA , 80LA , 80P , 80PA , 80QQB और 80RRB के अंतर्गत कटौती उपलब्ध नहीं है।
2) करदाता को फॉर्म 26AS डाउनलोड करना चाहिए और वास्तविक भुगतान किए गए TDS/TCS/कर की पुष्टि करनी चाहिए। यदि कोई विसंगति दिखाई दे तो उसे दूर करने के लिए उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
3) आयकर रिटर्न दाखिल करते समय उपयोग किए जाने वाले दस्तावेजों जैसे बैंक स्टेटमेंट/पासबुक, ब्याज प्रमाणपत्र, निवेश प्रमाण जिन पर कटौती का दावा किया जाना है, खाता बही और बैलेंस शीट तथा लाभ-हानि खाता (यदि लागू हो) आदि को इकट्ठा करें और उनका ध्यानपूर्वक अध्ययन करें।
4) आयकर रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज संलग्न नहीं करना है। करदाता को अपने मामले में लागू सही रिटर्न फॉर्म की पहचान करनी चाहिए। रिटर्न फॉर्म में सभी जानकारी सावधानीपूर्वक प्रदान करें। कुल आय, कटौती (यदि कोई हो), ब्याज (यदि कोई हो), कर देयता/वापसी आदि की गणना की पुष्टि करें।
5) सुनिश्चित करें कि अन्य जानकारी जैसे पैन, पता, ईमेल पता, बैंक खाता की जानकारी आदि सही हैं।
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Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 21 August 2025 at 22:43 IST