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Published 12:18 IST, August 25th 2024

एफपीआई ने अगस्त में बॉन्ड बाजार में लगाये 11,366 करोड़ रुपये

FPIs: एफपीआई ने बॉन्ड बाजार में अगस्त में 11,366 करोड़ रुपये लगाये। वहीं इस साल कुल प्रवाह एक लाख करोड़ रुपये रहा।

FPIs have made a robust return, investing over Rs 2 lakh crore in FY23–24. This reflects optimism in India's economic fundamentals despite global uncertainties.
एफपीआई का बॉन्ड बाजार | Image: Pexels

FPIs: विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक देश के बॉन्ड बाजार में 11,366 करोड़ रुपये लगाये हैं। इसके साथ बॉन्ड क्षेत्र में शुद्ध रूप से पूंजी प्रवाह इस साल एक लाख करोड़ रुपये का पार कर गया है।

भारत के बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों की मजबूत खरीदारी का कारण इस साल जून में जेपी मॉर्गन के उभरता बाजार सरकारी बॉन्ड सूचकांक में भारत को शामिल किये जाने को दिया जा सकता है।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने (24 अगस्त तक) बॉन्ड बाजार में 11,366 करोड़ रुपये लगाये हैं।

भारतीय बॉन्ड बाजार में जुलाई में 22,363 करोड़ रुपये, जून में 14,955 करोड़ रुपये और मई में 8,760 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश हुए थे।

इससे पहले, उन्होंने अप्रैल में 10,949 करोड़ रुपये निकाले थे।

इस ताजा पूंजी प्रवाह के साथ, 2024 में अब तक बॉन्ड में एफपीआई का शुद्ध निवेश 1.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि अक्टूबर 2023 में भारत के शामिल होने की घोषणा के बाद से, एफपीआई वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में शामिल होने की उम्मीद में अपने निवेश को आगे बढ़ा रहे हैं। और इसके शामिल होने के बाद भी पूंजी प्रवाह मजबूत बना हुआ है।

दूसरी ओर, येन कैरी ट्रेड यानी निम्न ब्याज दर वाले वाले देश से कर्ज लेकर दूसरे देश की परिसंपत्तियों में निवेश को समाप्त करने, अमेरिका में मंदी की आशंका और वैश्विक स्तर पर जारी संघर्षों के कारण, इस महीने अब तक एफपीआई ने इक्विटी से 16,305 करोड़ रुपये से अधिक निकाले हैं।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, शोध प्रबंधक, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि बजट में इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ कर में वृद्धि की घोषणा ने इस बिकवाली को काफी हद तक बढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारतीय शेयरों के उच्च मूल्यांकन के कारण एफपीआई सतर्क हैं। साथ ही अमेरिका में रोजगार के कमजोर आंकड़े से मंदी की बढ़ती आशंका, नीतिगत दर में कटौती के समय को लेकर अनिश्चितता और येन कैरी ट्रेड समाप्त होने से भी एफपीआई सतर्क रुख अपना रहे हैं।

कुल मिलाकर, भारत एफपीआई के जरिये दीर्घकालिक निवेश आकर्षित कर रहा है और इस मामले में स्थिति अनुकूल बनी हुई है।

बीडीओ इंडिया के भागीदार मनोज पुरोहित ने कहा, ‘‘वैश्विक मंदी, पश्चिम एशिया और पड़ोसी देशों में भू-राजनीतिक संकट के बीच, भारत अभी भी आकर्षक निवेश स्थल बना हुआ है। इससे विदेशी निवेशक दीर्घकालिक निवेश के लिए आगे आ रहे हैं।’’

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 12:18 IST, August 25th 2024