अपडेटेड 10 October 2025 at 12:22 IST
पूरा होगा डोनाल्ड ट्रंप का सपना? नोबेल शांति पुरस्कार 2025 जीतने के कितना चांस? आज होना है विजेता के नाम का ऐलान
Nobel Peace Prize 2025: हर किसी की नजरें आज नोबेल शांति पुरस्कार के होने वाले ऐलान पर टिकी है। ट्रंप कई बार इस पुरस्कार को पाने की इच्छा जता चुके हैं। हालांकि ट्रंप की इस बार नोबेल शांति पुरस्कार पाने की राह तो मुश्किल दिख रही है।
Nobel Peace Prize 2025: नोबेल पुरस्कार 2025 के विजेताओं का ऐलान किया जा रहा है। चिकित्सा, भौतिकी और रसायन विज्ञान के पुरस्कारों की घोषणा पहले ही हो चुकी है। हालांकि सबकी नजरें आज (10 अक्टूबर) को होने वाली घोषणा पर टिकी है। इस बार नोबेल शांति पुरस्कार किसे मिलेगा, उस नाम की घोषणा आज हो जाएगी। क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई महीनों से नोबेल शांति उनको दिए जाने की रट लगाकर बैठे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलेगा या नहीं?
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। इस बार इसके लिए 338 उम्मीदवार हैं। इनमें 244 लोग और 94 संगठन शामिल है। इस पुरस्कार के लिए ट्रंप का नाम खूब सुर्खियों में बना है, क्योंकि वो अमेरिकी राष्ट्रपति ने कई देशों में युद्ध रुकवाकर इस पुरस्कार को पाने की कई बार इच्छा जाहिर की है। हालांकि ट्रंप की इस बार नोबेल शांति पुरस्कार पाने की राह तो मुश्किल दिख रही है।
ट्रंप कर रहे 8 युद्ध रुकवाने का दावा
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दुनियाभर में 8 युद्ध रुकवाने का दावा किया है। इसमें गाजा में इजरायल-हमास संघर्ष विराम भी शामिल है। इसके अलावा ट्रंप बार-बार खुद को भारत और पाकिस्तान में सीजफायर का क्रेडिट भी खुद को देते रहते हैं। जबकि भारत की ओर से बार-बार उनके दावे को खारिज किया जा चुका है। वो कई मौकों पर खुद को शांतिदूत दिखाने की कोशिश कर चुके हैं।
पाकिस्तान-इजरायल का मिला साथ
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पाकिस्तान और इजरायल जैसे देशों का तो ट्रंप को साथ मिल चुका है। पाकिस्तान ने यह कहकर कि उन्होंने भारत से सीजफायर में रोल निभाया था, उन्हें नोबेल के लिए नॉमिनेट किया। वहीं इजरायल का भी ये कहना है कि ट्रंप इस पुरस्कार के हकदार हैं।
क्यों मुश्किल है ट्रंप की राह?
ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। इसके पीछे वजह ये भी है कि इसके लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2025 थी। ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ 20 जनवरी ली थी यानी इसके 11 दिन बाद ही नॉमिनेशन प्रोसेस बंद हो गई थी। वहीं, माना ये भी जा रहा है कि गाजा शांति डील में बहुत देर हो गई और इस आधार पर भी उनके नोबेल जीतने की संभावना कम है।
डील के पहले ही नोबेल समिति ने विजेता का नाम चुन लिया है। सोमवार को समिति के पांच सदस्यों ने अंतिम बैठक की थी। आमतौर पर विजेता का चयन समिति की अंतिम बैठक से पहले ही हो जाता है।
ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के चांस पर स्वीडिश प्रोफेसर और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ पीटर वालेंस्टीन का कहना है कि उनका चांस शायद अगले साल होगा। तबतक गाजा पहल की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। वहीं, पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की निदेशक नीना ग्रेगर कहती हैं कि ट्रंप के बयान शांतिपूर्ण नजरिए की ओर इशारा नहीं करते हैं।
Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 10 October 2025 at 12:22 IST