अपडेटेड 1 October 2025 at 11:21 IST
अमेरिका होने वाला बर्बाद? आर्थिक संकट में US, 6 साल बाद फिर होने जा रहा शटडाउन; बिना सैलरी छुट्टी पर भेजे जाएंगे साढ़े 7 लाख कर्मचारी
अमेरिका मंगलवार रात एक बड़े सरकारी शटडाउन की कगार पर पहुंच गया। ऐसा तब हुआ जब सीनेट एक अस्थायी फंडिंग बिल को मंजूरी देने में नाकाम रही।
अमेरिका मंगलवार रात एक बड़े सरकारी शटडाउन की कगार पर पहुंच गया। ऐसा तब हुआ जब सीनेट एक अस्थायी फंडिंग बिल को मंजूरी देने में नाकाम रही। ऐसे में ट्रंप सरकार के फंड पर ही ताला लग गया। यह पिछले 6 सालों में पहला सरकारी शटडाउन है। शटडाउन मतलब अमेरिका भर में सरकारी एजेंसियां अस्थायी रूप से बंद हो जाएंगी। सरकारी शटडाउन के तहत, गैर-आवश्यक माने जाने वाले फेडरल (केंद्रीय) कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर रखा जाएगा। सैन्य कर्मियों सहित आवश्यक कर्मचारियों को बिना वेतन के काम करना होगा।
जानकारी के मुताबिक सीनेट में 55-45 के वोट से बिल खारिज होने के बाद बुधवार ट्रंप सरकार के गैर-जरूरी सेवाएं ठप हो गयी हैं। इससे हवाई यात्रा से लेकर आर्थिक रिपोर्ट्स और छोटे व्यवसायों के लिए लोन तक प्रभावित होंगे। हाउस के सत्र में न होने और रिपब्लिकन-डेमोक्रेट्स के बीच समझौते की कोई उम्मीद न दिखने से आखिरी मिनट में कोई समाधान मुश्किल लग रहा है।
इसके अलावा शटडाउन का असर ट्रांसपोर्ट सेवाओं पर दिखेगा। कई एयरलाइंस ने सेवाओं पर असर की आशंका जताई है। उड़ानें लेट हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शटडाउन जितना लंबा चलेगा, उसका दुष्प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा। एक्सपर्ट्स आशंका जता रहे हैं कि शटडाउन लंबा चला तो बाजारों पर असर दिख सकता है, अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
विस्तार से जानिए शटडाउन का असली मतलब
अमेरिका में सरकार चलाने के लिए हर साल बजट पास करना पड़ता है लेकिन अगर सीनेट और हाउस किसी वजह से सहमत नहीं होते और फंडिंग बिल पास नहीं होता, तो सरकारी एजेंसियों को वेतन नहीं मिल पाता है। इसके बाद नॉन-एसेंशियल सेवाएं और दफ्तर बंद हो जाते हैं। इसे ही शटडाउन कहा जाता है। पिछले दो दशकों में यह अमेरिका की पांचवीं बड़ी शटडाउन स्थिति बन सकती है। 1981 से अब तक अमेरिका में 15 बार शटडाउन हो चुका है।
आपको बता दें कि पिछली बार यह 22 दिसंबर 2018 को शुरू हुआ था और 25 जनवरी, 2019 तक 35 दिन चला था। यह अमेरिका में चार दशक में सबसे बड़ा शटडाउन था। इससे अमेरिका की इकॉनमी को 3 अरब डॉलर की चपत लगी थी।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 1 October 2025 at 11:21 IST