अपडेटेड 19 September 2024 at 13:07 IST
जानवरों की जान ले रहा इंसान, 200 हाथियों को मौत के घाट उतारेगा ये देश, ऐसा करने पर क्यों मजबूर?
जिम्बॉब्वे में चार दशकों का सबसे भयानक सूखा फैला हुआ है। फसलें खत्म हो गई हैं। लोगों के पास खाने को कुछ नहीं है।
Zimbabwe: 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट', चार्ल्स डार्विन का ये कथन काफी प्रचलित है। इसका मतलब है 'योग्यतम की उत्तरजीविता'। साफ और सीधे शब्दों में समझें तो सबसे मजबूत ही जीवित रहेगा और कमजोर को मरना होगा। यहीं कारण है कि जिम्बॉब्वे में 200 हाथियों को मार दिया जाएगा ताकि जिंदगी जीने की जंग में भूख से तड़प रहे इंसानों को खाना मिल सके।
आपको बता दें कि जिम्बॉब्वे में चार दशकों का सबसे भयानक सूखा फैला हुआ है। फसलें खत्म हो गई हैं। लोगों के पास खाने को कुछ नहीं है। इसी लिए यहां की वाइल्डलाइफ अथॉरिटी ने हाथियों को मारने का फैसला किया है।
अल-नीनो की वजह से पड़ा सूखा
दक्षिण अफ्रीकी देशों में इस समय अल-नीनो की वजह से सूखा पड़ा हुआ है। इसकी जद में लगभग 6.80 करोड़ लोग हैं। पूरे क्षेत्र में खाने की सामग्रियों की बड़ी किल्लत बनी हुई है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार जिम्बॉब्वे पार्क्स एंड वाइल्डलाइफ अथॉरिटी ने 200 हाथियों को मारने की बात की पुष्टि कर दी है।
जिम्बॉब्वे के पड़ोसी देश नामीबिया में भी इंसानों की भूखे हो रही मौतों पर 83 हाथियों को मारने का निर्णय लिया गया था। दरअसल, अफ्रीका के पांच देशों में हाथियों की तादाद सबसे अधिक है। ये देश जिम्बॉब्वे, जांबिया, बोत्सवाना, अंगोला और नामीबिया हैं। इन देशों में हाथियों की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है।
जंगलों में हैं 84000 हाथी, जब सिर्फ 55000 की है क्षमता
जिम्बॉब्वे की वाइल्डलाइफ अथॉरिटी का कहना है कि हाथियों को मरने से एक लाभ यह भी है कि उनकी आबादी कंट्रोल में रहती है। जिम्बॉब्वे के जंगलों में 55 हजार हाथियों को संभालने की क्षमता है, लेकिन इस समय यहां हाथियों की संख्या 84 हजार से अधिक है। इसलिए 200 हाथी मार भी दिए जाएं तो कोई दिक्कत नहीं।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 19 September 2024 at 11:42 IST