अपडेटेड 18 November 2025 at 10:26 IST
Sheikh Hasina: शेख हसीना के बचाव में उतरा UN, सजा-ए-मौत के फैसले का किया विरोध, निष्पक्ष सुनवाई पर दिया जोर
Sheikh Hasina Death Sentence: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में दोषी माना और उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस फैसले पर कहा गया है कि हम हर परिस्थिति में मौत की सजा का विरोध करते हैं।
UN on Sheikh Hasina Death Sentence: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई जाने के बाद अब संयुक्त राष्ट्र (UN) उनके सपोर्ट में उतर आया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश की शेख हसीना को फांसी की सजा दिए जाने का कड़ा विरोध किया है। प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हर हाल में मौत की सजा के खिलाफ है। हसीना को यह सजा उनकी अनुपस्थिति में सुनाई गई है। वो फिलहाल भारत में हैं।
बांग्लादेश में जुलाई-अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जुड़े मामलों पर कोर्ट का फैसला आया। इसके लिए शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई। हसीना और दो अन्य, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमलैंड और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर मानवता के विरुद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया गया।
संयुक्त राष्ट्र का फैसले पर क्या कहना है?
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, "हम हर परिस्थिति में मौत की सजा का विरोध करते हैं।" इस दौरान वो संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क के बयान को सही ठहराते नजर आए और कहा कि हम उनकी बात से पूरी तरह सहमत हैं।
ICT के इस फैसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की प्रवक्ता रवीना शमदासानी का भी बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि शेख हसीना और गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ फैसला बांग्लादेश में प्रदर्शनों को दबाने के दौरान हुए गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को मृत्युदंड लागू करने पर खेद है, जिसका वह 'सभी परिस्थितियों में विरोध करता है'।
'निष्पक्ष सुनवाई के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन जरूरी'
उन्होंने यह भी कहा, "हमें इस मुकदमे की जानकारी नहीं थी, फिर भी हमने सभी जवाबदेही कार्यवाहियों की लगातार वकालत की है- खासकर अंतरराष्ट्रीय अपराधों के आरोपों पर, जिससे उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई के अंतरराष्ट्रीय मानकों का निर्विवाद रूप से पालन किया जा सके।" शमदासानी ने यह भी बताया कि मुकदमें अनुपस्थिति में चलाए गए और मृत्युदंड की सजा सुनाई गई, जिससे निष्पक्ष सुनवाई के मानदंडों का पालन और भी महत्वपूर्ण हो गया।
फैसले पर क्या बोलीं शेख हसीना?
अपने खिलाफ आए इस फैसले पर शेख हसीना की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, "मेरे खिलाफ फैसले एक धांधलीपूर्ण ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए हैं, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। वे पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित हैं। मौत की सजा की उनकी घृणित मांग, अंतरिम सरकार के भीतर चरमपंथी लोगों के बांग्लादेश के अंतिम निर्वाचित प्रधानमंत्री को हटाने और अवामी लीग को एक राजनीतिक शक्ति के रूप में निष्प्रभावी करने के निर्लज्ज और जानलेवा इरादे को उजागर करती है।"
इसके अलावा बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सजा-ए- मौत सुनाए जाने के बाद दोषियों को बांग्लादेश को सौंपने की मांग भारत से की है। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि उसे ट्रेब्यूनल द्वारा सुनाए गए फैसले की जानकारी है। भारत, बांग्लादेश के लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 18 November 2025 at 10:26 IST