अपडेटेड 3 February 2023 at 22:51 IST

भारत में सेक्‍स वर्कर से ज्यादा ये लोग हैं HIV एड्स से प्रभावित, देखें NFHS की रिपोर्ट

चौंकाने वाली बात यह है कि महिला सेक्‍स वर्करों (Female Sex Workers) में अब एड्स औसतन कम है।

PC : ANI | Image: self

NFHS: भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया एड्स (Aids) को खत्म करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। इस बीच भारत में एड्स को लेकर अच्छी रिपोर्ट यह है कि हर साल एड्स के मरीजों की संख्या भी कम हो रही है, लेकिन दूसरी ओर एनएफएचएस (NFHS) की रिपोर्ट देखी जाए तो उत्तरी-पूर्वी राज्यों में एड्स को लेकर लोगों को कम जानकारी है।

जी हां 2020 में किए गए NFHS के मुताबिक आंध्र प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, केरल और त्रिपुरा में एड्स के बारे में जानकारी को लेकर महिलाओं को बहुत कम जानकारी है। वहीं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भी आंकड़ा खराब था, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी खतरनाक बीमारी को लेकर आज भी भारत जागरुक नहीं है। भारत में एक-दूसरे से फैलने वाले संक्रामक रोग ने कुछ समुदाय को जकड़ लिया है। हालांकि एड्स को पूरी तरह शरीर से खत्म करना नामुमकिन है जिसमें महिलाएं, पुरुष समेत ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं।

ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वालों में मिला सबसे ज्यादा एड्स

वहीं देश में स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वाले लोगों में एड्स सबसे तेजी से फैल रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि महिला सेक्‍स वर्करों (Female Sex Workers) में अब एड्स औसतन कम है। क्योंकि समय समय पर सेक्स वर्करों की एड्स की जांच होती रहती है, इससे काफी फायदा देखने को मिला।

इसमें महिला सेक्‍स वर्कर और यौनकर्मी (FSW 1.56%), ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वाले लोग (PWID 6.26%), पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष (MSM 2.69%) और ट्रांसजेंडर समुदाय में (TG 3.14%) शामिल हैं।

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वैश्विक आंकड़े देखे जाएं तो लगभग 3.7 करोड़ लोग एड्स की समस्या से जूझ रहे हैं। इससे हर साल 7 लाख लोगों की जान जा रही है। आपको बता दें एचआईवी (HIV) और एड्स एक लाइलाज बीमारी है, जिसकी आज तक कोई दवाई या टीका नहीं बना है, लेकिन फिर भी विशेषज्ञों ने इससे बचाव के लिए कई उपाय बताएं हैं।

इन उपायों को अपना कर एड्स के खतरे से बचा जा सकता है। गौरतलब है कि हर सरकारी अस्पताल में एचआईवी और एड्स के फ्री टेस्ट किए जाते हैं, वहीं रिपोर्ट को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है, साथ ही इलाज करने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार उठाती है।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 3 February 2023 at 22:51 IST