अपडेटेड 2 July 2024 at 23:35 IST

नेपाल में गिरेगी प्रचंड सरकार? ओली और नेपाली कांग्रेस ने मिलाया हाथ, PM बोले- नहीं दूंगा इस्तीफा

समझौते के तहत ओली के कार्यकाल के दौरान सीपीएन-यूएमएल के पास प्रधानमंत्री के पद और वित्त मंत्रालय समेत कई मंत्रालयों का नियंत्रण रहेगा।

खतरे में प्रचंड सरकार? | Image: PTI

नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड को सत्ता से बाहर करने के लिए समझौता किया
Nepal News: नेपाल में नाटकीय घटनाक्रम के तहत दो सबसे बड़े दलों नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक नयी ‘राष्ट्रीय सर्वसम्मति की सरकार’ बनाने के वास्ते सोमवार आधी रात को एक समझौता किया।

वहीं, नयी गठबंधन सरकार बनाने के लिए सहमति बनने के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है।

विश्वास मत का सामना करेंगे प्रचंड

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के सचिव गणेश शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया के पार्टी पदाधिकारियों की मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में प्रचंड ने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने के बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे।

सीपीएन-यूएमएल ने आज प्रधानमंत्री प्रचंड से पद छोड़ने का आग्रह किया ताकि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार नयी सरकार बनाई जा सके। इसने सभी राजनीतिक दलों से देश में राजनीतिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए ओली के नेतृत्व में ‘‘राष्ट्रीय सरकार’’ में शामिल होने का भी आग्रह किया।

नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल में समझौता

पूर्व विदेश मंत्री नारायण प्रकाश सौद के अनुसार, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नयी गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार मध्यरात्रि को समझौते पर हस्ताक्षर किए। सौद ने बताया कि देउबा (78) और ओली (72) संसद के शेष कार्यकाल के लिए बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करने पर सहमत हुए। सौद नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय सदस्य भी हैं।

क्या कहता है नंबर गेम? 

नेपाल के प्रतिनिधि सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीट जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीट हैं। दोनों दलों की संयुक्त संख्या 167 है जो 275 सदस्यीय सदन में बहुमत के 138 सीट के आंकड़े के लिए पर्याप्त है।

देउबा और ओली ने दोनों दलों के बीच संभावित नए राजनीतिक गठबंधन की जमीन तैयार करने के लिए शनिवार को भी मुलाकात की थी जिसके बाद ओली की सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से रिश्ता खत्म कर लिया। उसने महज चार महीने पहले ही इस सरकार को अपना समर्थन दिया था। समझौते के तहत ओली डेढ़ साल तक नयी, ‘राष्ट्रीय सर्वसम्मति वाली सरकार’ का नेतृत्व करेंगे। बाकी के कार्यकाल के लिए देउबा प्रधानमंत्री रहेंगे।

मीडिया में आयी खबरों में दोनों दलों के कई वरिष्ठ नेताओं के हवाले से कहा गया है कि दोनों नेता नयी सरकार बनाने, संविधान में संशोधन करने और सत्ता बंटवारे के फॉर्मूले पर बातचीत करने के लिए सहमत हुए। उन्होंने यह समझौता कुछ विश्वासपात्रों के साथ साझा किया है।

16 साल में बनी 13 सरकारें 

नेपाल में पिछले 16 साल में 13 सरकारें बनी हैं जिससे इस हिमालयी देश की राजनीतिक प्रणाली की कमजोरी जाहिर होती है।

सीपीएन-यूएमएल के सचिव शंकर पोखरेल ने मीडियाकर्मियों को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सरकार बनाने के लिए नेपाली कांग्रेस के साथ एक समझौता किया गया है। इससे पहले दिन में, सीपीएन-माओवादी सेंटर के करीबी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए सीपीएन-यूएमएल प्रमुख ओली से बातचीत कर रहे हैं।

सीपीएन-माओवादी केंद्र के सचिव गणेश शाह ने कहा, ‘‘प्रचंड अभी पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। प्रचंड और ओली के बीच बातचीत खत्म होने से पहले कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।’’

समझौते में क्या तय हुआ?

‘मायरिपब्लिका’ समाचार पोर्टल ने बताया कि समझौते के तहत ओली के कार्यकाल के दौरान सीपीएन-यूएमएल के पास प्रधानमंत्री के पद और वित्त मंत्रालय समेत कई मंत्रालयों का नियंत्रण रहेगा। इसी तरह, नेपाली कांग्रेस के पास गृह मंत्रालय समेत 10 मंत्रालय रहेंगे। समझौते के अनुसार, सीपीएन-यूएमएल कोशी, लुम्बिनी और करनाली प्रांतों में प्रांतीय सरकारों का नेतृत्व करेगी तथा नेपाली कांग्रेस बागमती, गंडकी और सुदूर पश्चिम प्रांतों में प्रांतीय सरकारों का नेतृत्व करेगी।

ओली और देउबा मधेस प्रांत का नेतृत्व करने में मधेस आधारित दलों को शामिल करने तथा संवैधानिक संशोधन करने पर भी राजी हुए। खबर में कहा गया है कि इस समझौते का मसौदा चार सदस्यीय कार्य बल ने तैयार किया है।

क्यों बढ़े मतभेद? 

ओली और प्रधानमंत्री प्रचंड के बीच मतभेद तेजी से बढ़े हैं और ओली वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार द्वारा हाल में किए गए बजट आवंटन से भी नाखुश हैं जिसके बारे में उन्होंने सार्वजनिक रूप से बोला था। पर्यवेक्षकों का कहना है कि देउबा और ओली के बीच बंद कमरे में हुई बैठक से चिंतित प्रचंड यह आश्वासन देने के लिए ओली से मिलने गए थे कि सरकार सीपीएन-यूएमएल द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने को लेकर गंभीर है।

खबर में कहा गया है कि सोमवार को सुबह हुई बैठक के दौरान ओली ने प्रचंड से इस्तीफा देने की स्थिति में उनका समर्थन करने का अनुरोध किया। सीपीएन-यूएमएल के एक नेता के हवाले से खबर में कहा गया है कि प्रचंड ने ओली को मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन में प्रधानमंत्री पद की पेशकश की जिसे ओली ने ठुकरा दिया।

प्रचंड (69) ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान संसद में तीन बार विश्वास मत जीता है।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 2 July 2024 at 23:35 IST