अपडेटेड 22 December 2025 at 14:56 IST
Bangladesh: फैक्ट्री को बचाने के लिए दीपू दास को भीड़ के हवाले कर दिया? साथी वर्कर ही बन गए हैवान... लिंचिंग का खौफनाक सच आया सामने
बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की कट्टरपंथी भीड़ द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अब इस हत्याकांड को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। लिंचिंग की पीछे का सच सामने आया है।
भारत के पड़ोसी मूल्क बांग्लादेश में एक हिंदू युवक,दीपू दास की बेरहमी से हत्या के बाद अंतरिम सरकार मोहम्मद युनूस की चौतरफा निंदा हो रही है। भीड़ ने जिस बेरहमी से उसकी हत्या की इसे लेकर कानून-व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। अब दीपू दास की हत्या को लेकर चौकाने वाला खुलासा हुआ है। बांग्लादेश की मीडिया ने इस हत्याकांड को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की कट्टरपंथी भीड़ द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। 18 दिसंबर की रात को ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाकर भीड़ ने दीपू को सरेआम पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। मौत के बाद उसके शव को पेड़ से बांधकर ढाका-मयमनसिंह हाईवे पर ले जाकर आग के हवाले कर दिया। इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दीपू दास की हत्या पर चौकाने वाला खुलासा
बांग्लादेश की अखबार द डेली स्टार ने मयमनसिंह इंडस्ट्रियल जिले के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद फरहाद हुसैन खान के हवाले इस हत्याकांड को लेकर बड़ा खुलासा किया है। दीपू चंद्र दास पायनियर निटवेयर फैक्ट्री में मजदूर थे। शाम करीब 5 बजे कुछ सहकर्मियों ने उन पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया, हालांकि कोई ठोस सबूत नहीं था। धीरे-धीरे मामला गंभीर हो गया। फैक्ट्री प्रबंधन ने स्थिति शांत करने के लिए दीपू से जबरन इस्तीफा लिखवाया और उन्हें सिक्योरिटी रूम में रखा। फैक्ट्री के सीनियर मैनेजर आलमगीर हुसैन ने बताया कि दीपू से नकली इस्तीफा भी दिलवा दिया ताकि लोग शांत हो जाएं, लेकिन फैक्ट्री के मजदूर शांत होने का नाम नहीं ले रहे थे।
फैक्ट्री से बाहर ऐसे पहुंची बात
इसके बाद वर्कर की शिफ्ट बदली और बात फैक्ट्री से बाहर भी पहुंच गई। देखते ही देखते फैक्ट्री के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई। रात पौने नौ बजे भीड़ ने फैक्ट्री का गेट तोड़ दिया, दीपू को बाहर खींचा और पीट-पीटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को पेड़ से बांधकर तथा हाईवे पर ले जाकर जलाया गया, जिससे कई घंटों तक ट्रैफिक ठप रहा और इलाके में दहशत फैल गई। पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन देरी से।
साथी वर्कर ही बन गए हैवान
सूचना मिलते ही टीम रवाना हुई, लेकिन भीड़ के कारण मौके पर पहुंचना मुश्किल हो गया। पुलिस जब तक पहुंची तब तक दीपू मॉब लीचिंग का शिकार हो चुके थे। एसपी ने कहा कि अगर समय पर उन्हें कॉल किया जाता तो दीपू की जान बच सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मयमनसिंह में RAB-14 के कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमां ने द डेली स्टार को बताया कि जब हालात खराब हो गए, तो फैक्ट्री को बचाने के लिए उसे जबरदस्ती फैक्ट्री से बाहर निकाल दिया गया। हालांकि, फैक्ट्री के सीनियर मैनेजर साकिब महमूद इन आरोपों को गलत बताया है।
दीपू पर लगाए गए आरोप निराधार
वहीं, अब तक की जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि मृतक ने सोशल मीडिया पर कुछ कुछ ऐसा लिखा था जिससे महजबी भावनाएं आहत हुई हों। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि ईशनिंदा का आरोप पूरी तरह निराधार था। दीपू ने न तो सोशल मीडिया पर और न ही कहीं कोई आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जांच एजेंसियों का कहना है कि फैक्ट्री प्रबंधन की चूक गंभीर थी, जिसने दीपू को भीड़ के हवाले कर दिया।
मामले में अब तक 7 गिरफ्तार
हिंदू युवक की बेरहमी से हत्या मामल में कार्रवाई की गई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार, मुहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी है। इस जघन्य घटना में अंतरिम सरकार की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोग हैं-मोहम्मद लिमोन सरकार (19), मोहम्मद तारिक हुसैन, मोहम्मद मानिक मियां (20), इरशाद अली (39), निजुम उद्दीन (20), आलमगीर हुसैन (38), और मोहम्मद मिराज हुसैन अकन (46)। RAB-14 ने अलग-अलग जगहों पर ऑपरेशन चलाकर ऊपर बताए गए संदिग्धों को गिरफ्तार किया।"
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 22 December 2025 at 14:48 IST