अपडेटेड 26 April 2025 at 14:50 IST
बर्बादी की तारीख तय! PAK के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने बताया भारत कब करेगा हमला? तबाही सोच कांपने लगा पाकिस्तान
पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित अली ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को आगाह किया है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। हमले में 26 बेगुनाहों की मौत हो गई। इसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली है। हमले के बाद भारत सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें सीमा पर सुरक्षा कड़ी करना, राजनयिक स्तर पर पाकिस्तान को घेरना और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन शामिल है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक बड़ा सैन्य अभ्यास करते हुए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, जिससे यह स्पष्ट संकेत गया कि भारत हर हाल में अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। इस अभ्यास में युद्धपोतों, पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों की भागीदारी रही, जिससे पाकिस्तान के भीतर चिंता की लहर दौड़ गई है।
इस स्थिति के बीच, पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित अली ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि भारत के तेवर इस बार बेहद गंभीर हैं और यदि पाकिस्तान ने अपनी नीति नहीं बदली, तो वह एक बड़े टकराव की ओर बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को आंतरिक स्थिरता पर ध्यान देने और क्षेत्रीय तनाव को कम करने की दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिए। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल बासित ने पाकिस्तानी सरकार को चेताया कि वे आने वाले समय में कानून-व्यवस्था में अस्थिरता के लिए तैयार रहें। उन्होंने 2016 के उरी और 2019 के पुलवामा हमलों के बाद भारत की पिछली कार्रवाइयों का भी जिक्र किया।
'जंग के लिए तैयार रहें, एक हफ्ते में भारत कर सकता है हमला'
बिहार के मधुबनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए अब्दुल बासित ने कहा कि सीमा पार से कभी भी हमले हो सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमारी सीमा के भीतर भी इस तरह के हमले हो सकते हैं, जिसके बाद भारत दावा करेगा कि उन्होंने लॉन्च पैड और आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया है। चाहे एक हफ्ते में हो या 15 दिन में कुछ न कुछ तो होगा ही। ''
सिंधु जल संधि को रद्द करने के संबंध में फिलहाल कोई कूटनीतिक समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार से बलूचिस्तान और देश के अन्य हिस्सों में आतंकवादी कार्रवाइयों की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने कहा, "सिंधु जल संधि को न तो समाप्त किया जा सकता है, न ही निलंबित किया जा सकता है, न ही एकतरफा संशोधन किया जा सकता है।"
भारत की रणनीति - "जीरो टॉलरेंस" की नीति
मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के प्रति "कूटनीतिक संयम" की नीति को अब पीछे छोड़ दिया गया है। चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक हो या बालाकोट एयर स्ट्राइक, भारत अब हर हमले का जवाब कूटनीति के साथ-साथ सामरिक रूप से भी देता है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान आंतरिक रूप से राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वह FATF की निगरानी सूची से बाहर तो आ गया है, लेकिन अगर भारत पर्याप्त प्रमाणों के साथ आतंकवाद के मुद्दे को फिर से वैश्विक मंचों पर उठाता है, तो पाकिस्तान को फिर से कूटनीतिक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन, आतंक के विरुद्ध भारत के रुख का समर्थन करते हैं। अगर भारत यह साबित करता है कि हमले में पाकिस्तान आधारित समूहों की भूमिका है, तो अंतरराष्ट्रीय दबाव पाकिस्तान पर और बढ़ सकता है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 26 April 2025 at 14:50 IST