अपडेटेड 15 May 2025 at 21:39 IST

कैसे बनता है नया देश? Baluchistan ने किया Pakistan से आजादी का ऐलान

नया देश बनने के लिए एक मजबूत आधार, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और लंबी स्थिरता की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया अक्सर दशकों तक चलती है और इसमें कई जोखिम शामिल होते हैं। सोमालीलैंड को स्वतंत्रता की घोषणा के बाद भी मान्यता नहीं मिली और बलूचिस्तान का मामला और भी जटिल है।

कैसे बनता है नया देश? | Image: X/BaluchFighter

Baloch Liberation Army : बलूचिस्तान में बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तान के पसीने छुड़ाए हुए हैं। बलूचिस्तान का इतिहास समृद्ध, जटिल और विवादों से भरा हुआ है। यह क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक पहचान, भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक संसाधनों के कारण हमेशा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। बलूचिस्तान के लोग अपने इलाके पर पाकिस्तान के कब्जे को अवैध मानते हैं।

1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय, खान ऑफ कलात और मीर अहमद यार खान ने बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया था। 11 अगस्त, 1947 को कलात रियासत ने स्वतंत्रता की घोषणा करते हुए एक संविधान सभा बनाई। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने 28 मार्च, 1948 को कलात पर कब्जा कर खान ऑफ कलात को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर दिया। पाकिस्तान आर्मी ने बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा किया था, जिसका बलूच हमेशा से विरोध करते आ रहे हैं।

'पाकिस्तानी ना कहें, अब हम आजाद हैं'

BLA लगातार पाकिस्तान के सैन्य और सरकारी ठिकानों को निशाना बना रहा है। आरोप है कि ग्वादर बंदरगाह से चीन बलूचिस्तान की संपत्ति की लूट कर रहा है। BLA दावा करता है कि ग्वादर बंदरगाह पाकिस्तान और चीन की साजिश का केंद्र है। पाकिस्तान और चीन मिलकर बलूचों की संपदा का दोहन कर रहे हैं। पाकिस्तान सेना बलूचों का शोषण और अपहरण कर रही है और बलूचिस्तान को अपनी ही संपत्ति का कोई लाभ नहीं मिल रहा।

बलूच विद्रोहियों के प्रतिनिधि मीर यार बलूच ने बुधवार (14 मई) को पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा करते हुए कहा- "क्षेत्र में दशकों से हो रही हिंसा, जबरन गायब किए जाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन का अंत हो गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में बलूच लोग सड़कों पर हैं और यह उनका राष्ट्रीय फैसला है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है और दुनिया अब और मूकदर्शक नहीं रह सकती।"

क्या आजाद हुआ बलूचिस्तान?

नया देश बनने की प्रक्रिया बेहद जटिल है, जो कई स्तर से होकर गुजरती है। जिसमें ऐतिहासिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय कारण शामिल होते हैं। बलूचिस्तान का पाकिस्तान से आजाद होना एक बेहद कठिन प्रक्रिया है। बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग दशकों पुरानी है। BLA जैसे संगठन सक्रिय रूप से पाकिस्तानी सेना और सैन्य ठिकानों पर हमले कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है। बलूच नेता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया पर बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के लिए भारत और संयुक्त राष्ट्र से मान्यता की मांग की है।

बलूचिस्तान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान उसे पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों से अलग बनाती है। इसके अलावा पाकिस्तान आर्मी द्वारा शुरू से बलूचों पर किया जा रहा अत्याचार स्वतंत्रता की मांग को मजबूती देता है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का करीब 44% क्षेत्रफल है। ईरान और अफगानिस्तान के पास होना इस इलाके को रणनीतिक रूप से पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। ये इलाका सोना, तांबा और प्राकृतिक गैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है। जो इसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाते हैं। पाकिस्तान की आर्थिक और सैन्य कमजोरी से साथ-साथ भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने बलूच विद्रोह को बढ़ावा दिया है। बलूचिस्तान में अधिक समय तक नियंत्रण बनाए रखना पाक सरकार और आर्मी के लिए मुश्किल हो सकता है।

बलूचिस्तान के रास्ते में चीन रोड़ा

नए देश को मान्यता के लिए संयुक्त राष्ट्र और महाशक्तियों जैसे अमेरिका, चीन, रूस, भारत का समर्थन जरूरी होता है। बलूचिस्तान की आजादी में चीन सबसे बड़ा रोड़ा है। चीन ग्वादर बंदरगाह और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में भारी निवेश कर चुका है। टीन मजबूती से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का विरोध करेगा। क्योंंकि बलूच चीन को पसंद नहीं करते हैं। चीन इस इलाके पर पाकिस्तान का कब्जा बने रहने का हर संभव प्रयास करेगा। इसके अलावा बलूचिस्तान की कम साक्षरता दर और बुनियादी ढांचे का अभाव भी नए देश की राह को कठिन बनाता है।

भारत ने अभी तक बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को औपचारिक समर्थन नहीं दिया है। अमेरिका और यूरोपीय राष्ट्र भी पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों के कारण बलूच आंदोलन का खुलकर समर्थन करने से हिचक रहे हैं।

कैसे बनता है नया देश?

एक देश से टूटकर नया देश बनने के कई उदाहरण हैं। इसके लिए सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई या राजनीतिक आधार पर एक समूह, क्षेत्र या समुदाय को स्वतंत्रता की मांग करनी पड़ती है। दक्षिण सूडान, 2011 में सूडान से अलग होकर एक नया देश बना। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है, जिसके तहत वे अपनी राजनीतिक स्थिति तय कर सकते हैं। लेकिन धरातल पर ये अधिकार लागू करना बेहद मुश्किल है। कई देश इसका विरोध कर सकते हैं और कई नए देश के रूप में मान्यता नहीं देते हैं। जनमत संग्रह के माध्यम से भी किसी देश को आजादी मिल सकती है। इसका ताजा उदाहरण स्कॉटलैंड है। 2014 में स्वतंत्रता के लिए जनमत संग्रह हुआ, लेकिन ये असफल रहा।

अंतरराष्ट्रीय मान्यता कितनी जरूरी?

नया देश बनने के लिए एक परिभाषित क्षेत्र होना चाहिए, जिस पर उस समूह का नियंत्रण हो। इसके बिना अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलना बेहद मुश्किल है। इसको उदाहरण से समझने की कोशिश करें तो कोसोवो ने 2008 में सर्बिया से स्वतंत्रता की घोषणा की, लेकिन उसका पूर्ण नियंत्रण और मान्यता अभी भी विवादों में है। नया देश बनने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों की मान्यता जरूरी होती है। नया देश बनने में इस चरण को सबसे कठीन माना जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ताइवान है। अंतरराष्ट्रीय मान्यता की कमी होनी की वजह से पूर्ण देश का दर्जा अभी भी लटका हुआ है।

नया देश तब तक पूर्ण रूप से स्थापित नहीं माना जाता, जब तक कि उसे अन्य देशों और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों से मान्यता न मिले। मान्यता नहीं मिलने पर उसे व्यापार, कूटनीति और अन्य क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मॉन्टेवीडियो कन्वेंशन (1933) के अनुसार, एक देश में चार चीजें होनी चाहिए।

  • स्थाई आबादी
  • परिभाषित क्षेत्र
  • सरकार
  • अन्य देशों के साथ संबंध बनाने की क्षमता

युद्ध प्रक्रिया

कई नए देश युद्ध, गृहयुद्ध और या लंबे संघर्ष के बाद आजाद होते हैं। युद्ध का उदाहरण बांग्लादेश है। जिसे 1971 में भारत ने पाकिस्तान से अलग कराया। लंबे संघर्ष का उदाहरण खुद भारत है, जो 1947 में लंबे संघर्ष के बाद अंग्रेजों से आजाद हुआ। कुछ मामलों में, शांतिपूर्ण समझौते और बातचीत से भी देश बनते हैं।

संविधान और शासन व्यवस्था

नए देश को चलाने के लिए अपनी सरकार, संविधान और शासन व्यवस्था की जरूरत होती है। इसके अलावा कानून, मुद्रा और राष्ट्रीय प्रतीक जैसे ध्वज और राष्ट्रगान की भी जरूरत होती है। दक्षिण सूडान ने स्वतंत्रता के बाद अपना संविधान बनाया, हालांकि आंतरिक अस्थिरता ने इसे लागू करना कठिन कर दिया। नए देश को अपनी अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा और सामाजिक व्यवस्था स्थापित करना होता है। बिना आर्थिक स्थिरता के नए देश अक्सर संघर्षों का सामना करते हैं। तिमोर-लेस्ते को 2002 में इंडोनेशिया से आजादी मिलने के बावजूद आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मूल देश अक्सर क्षेत्रीय अखंडता का हवाला देकर नए देश का विरोध करते हैं। जैसे स्पेन ने कैटेलोनिया के मामले में किया।

  • दक्षिण सूडान : लंबे गृहयुद्ध और जनमत संग्रह के बाद 2011 में सूडान से अलग हुआ। इसे संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने मान्यता दी।
  • तिमोर-लेस्ते : इंडोनेशिया से में 2002 अलग होकर संयुक्त राष्ट्र की मदद से स्वतंत्र हुआ।

नया देश बनने के लिए एक मजबूत आधार, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और लंबी स्थिरता की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया अक्सर दशकों तक चलती है और इसमें कई जोखिम शामिल होते हैं। हर मामला अपने आप में अनूठा होता है और सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कितनी जल्दी नया देश अपनी वैधता और योग्यता साबित कर पाता है। सोमालीलैंड को स्वतंत्रता की घोषणा के बाद भी मान्यता नहीं मिली और बलूचिस्तान का मामला और भी जटिल है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 15 May 2025 at 21:39 IST